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HPU ने Bsc गणित की परीक्षा में छात्रा को दे दिए जीरो अंक, ABVP ने उठाए सवाल

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रक्रिया एक बार फिर से सवालों के घेरे में घिर चुकी है. इससे पहले भी कई बार विश्वविद्यालय मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठ चुके हैं, लेकिन इस बार का मामला और भी ज्यादा गंभीर है.

HPU ABVP PC
एचपीयू एबीवीपी पीसी
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Published : Oct 9, 2020, 7:42 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रक्रिया एक बार फिर से सवालों के घेरे में घिर चुकी है. इससे पहले भी कई बार विश्वविद्यालय मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठ चुके हैं, लेकिन इस बार का मामला और भी ज्यादा गंभीर है.

इसके तहत बीएसई की एक छात्रा के गणित विषय की उत्तर पुस्तिका जांचने वाले शिक्षक की ओर से जीरो अंक दिए गए हैं. उत्तर पुस्तिका के हर पेज पर शिक्षक की ओर से काटा मारा गया है, जिसका मतलब कि उत्तर पुस्तिका में छात्रा की ओर से लिखे गए कोई भी जवाब सही नहीं हैं.

वीडियो

वहीं, उत्तर पुस्तिका को आरटीआई के माध्यम से एबीवीपी ने हासिल किया. इसे विषय से जुड़े विशेषज्ञों को दिखाया गया. इस पर उनका दावा है कि छात्रा को उत्तर पुस्तिका में लिखे गए उत्तरों के हिसाब से 40 में से 45 अंक मिलने चाहिए थे, जबकि उत्तर पुस्तिका को जांचने वाले शिक्षक ने छात्रा को कोई अंक ही नहीं दिया है. ऐसे में एबीवीपी ने की मांग है कि इस शिक्षक के खिलाफ विश्वविद्यालय कार्रवाई करें, जो वह नहीं कर रहा है.

एबीवीपी विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष विशाल ने कहा कि ये मामला एचपीयू कुलपति सहित परीक्षा नियंत्रक के समक्ष भी रखा है. फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा की एबीवीपी एचपीयू की मूल्यांकन प्रक्रिया के विरोध में और छात्र हितों की मांगों को लेकर आंदोलन शुरू करने जा रहे है. यह आंदोलन पीजी में मेरिट के आधार पर प्रवेश देने के साथ ही छात्रों से ली जा रही होस्टल निरंतरता फीस, एचपीयू में शिक्षकों और गैर शिक्षकों के पदों को समय रहते ना भरने के विरोध ने किया जा रहा है.

एबीवीपी कहना है कि एचपीयू रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करे. साथ ही छात्रों से कोविड के इस संकट के बीच में मात्र ट्यूशन फीस ही लें. इसके अलावा मूल्यांकन की प्रक्रिया को सुधारा जाए, जिसका खामियाजा छात्रों को ना भुगतना पड़े.

विशाल वर्मा ने कहा कि एबीवीपी अपनी इन सब मांगो को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर रही हैं, जिसके तहत 10 से 17 अक्टूबर तक अलग-अलग तरीके से विरोध जताया जाएगा. 10 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से हस्ताक्षर अभियान और व्यापक ईमेल अभियान चलाया जाएगा.

इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के उनकी मांगे न मानने पर 13 से 15 अक्टूबर तक विश्वविद्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन और 17 अक्टूबर को डीएस का घेराव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद करेगी.

नहीं मिल रहा री चैकिंग और पुनः मूल्याकंन की सुविधा

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दूसरा प्रणाली के तहत 2017 तक के बैच के छात्रों को रिचैकिंग और रिवेल्युएशन की सुविधा नहीं दी जा रही है. यही वजह है कि छात्र को किसी पेपर में फेल होने पर वे अपना पेपर ना री चैक और ना ही उसकी रिवेल्युएशन करवा सकता है. इसी वजह से एबीवीपी ने छात्रा की उत्तर पुस्तिका को आरटीआई के माध्यम से हासिल किया है, जिसके चलते विश्वविद्यालय के मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही का खुलासा हो पाया है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रक्रिया एक बार फिर से सवालों के घेरे में घिर चुकी है. इससे पहले भी कई बार विश्वविद्यालय मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठ चुके हैं, लेकिन इस बार का मामला और भी ज्यादा गंभीर है.

इसके तहत बीएसई की एक छात्रा के गणित विषय की उत्तर पुस्तिका जांचने वाले शिक्षक की ओर से जीरो अंक दिए गए हैं. उत्तर पुस्तिका के हर पेज पर शिक्षक की ओर से काटा मारा गया है, जिसका मतलब कि उत्तर पुस्तिका में छात्रा की ओर से लिखे गए कोई भी जवाब सही नहीं हैं.

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वहीं, उत्तर पुस्तिका को आरटीआई के माध्यम से एबीवीपी ने हासिल किया. इसे विषय से जुड़े विशेषज्ञों को दिखाया गया. इस पर उनका दावा है कि छात्रा को उत्तर पुस्तिका में लिखे गए उत्तरों के हिसाब से 40 में से 45 अंक मिलने चाहिए थे, जबकि उत्तर पुस्तिका को जांचने वाले शिक्षक ने छात्रा को कोई अंक ही नहीं दिया है. ऐसे में एबीवीपी ने की मांग है कि इस शिक्षक के खिलाफ विश्वविद्यालय कार्रवाई करें, जो वह नहीं कर रहा है.

एबीवीपी विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष विशाल ने कहा कि ये मामला एचपीयू कुलपति सहित परीक्षा नियंत्रक के समक्ष भी रखा है. फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा की एबीवीपी एचपीयू की मूल्यांकन प्रक्रिया के विरोध में और छात्र हितों की मांगों को लेकर आंदोलन शुरू करने जा रहे है. यह आंदोलन पीजी में मेरिट के आधार पर प्रवेश देने के साथ ही छात्रों से ली जा रही होस्टल निरंतरता फीस, एचपीयू में शिक्षकों और गैर शिक्षकों के पदों को समय रहते ना भरने के विरोध ने किया जा रहा है.

एबीवीपी कहना है कि एचपीयू रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करे. साथ ही छात्रों से कोविड के इस संकट के बीच में मात्र ट्यूशन फीस ही लें. इसके अलावा मूल्यांकन की प्रक्रिया को सुधारा जाए, जिसका खामियाजा छात्रों को ना भुगतना पड़े.

विशाल वर्मा ने कहा कि एबीवीपी अपनी इन सब मांगो को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर रही हैं, जिसके तहत 10 से 17 अक्टूबर तक अलग-अलग तरीके से विरोध जताया जाएगा. 10 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से हस्ताक्षर अभियान और व्यापक ईमेल अभियान चलाया जाएगा.

इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के उनकी मांगे न मानने पर 13 से 15 अक्टूबर तक विश्वविद्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन और 17 अक्टूबर को डीएस का घेराव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद करेगी.

नहीं मिल रहा री चैकिंग और पुनः मूल्याकंन की सुविधा

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दूसरा प्रणाली के तहत 2017 तक के बैच के छात्रों को रिचैकिंग और रिवेल्युएशन की सुविधा नहीं दी जा रही है. यही वजह है कि छात्र को किसी पेपर में फेल होने पर वे अपना पेपर ना री चैक और ना ही उसकी रिवेल्युएशन करवा सकता है. इसी वजह से एबीवीपी ने छात्रा की उत्तर पुस्तिका को आरटीआई के माध्यम से हासिल किया है, जिसके चलते विश्वविद्यालय के मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही का खुलासा हो पाया है.

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