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कोविड-19 संकट: राहत बनकर आए राजस्व घाटा अनुदान के 952 करोड़, कर्ज लेने से बच गया हिमाचल - राज्य का राजस्व घाटा अनुदान 45 फीसदी

राज्य सरकार को महंगा कर्ज लेने से फिलहाल राहत मिल गई है. जयराम सरकार के लिए 15वां वित्तायोग संजीवनी लेकर आया था. वित्तायोग ने राज्य का राजस्व घाटा अनुदान 45 फीसदी बढ़ाया था. ऐसे में कोविड-19 संकट के इस काल में ये राजस्व घाटा अनुदान देवदूत बनकर आया है.

जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश
जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश
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Published : Apr 10, 2020, 3:46 PM IST

शिमला: पहले से ही कर्ज के बोझ से कराह रहे हिमाचल प्रदेश के लिए एक सुखद खबर है. राज्य सरकार को महंगा कर्ज लेने से फिलहाल राहत मिल गई है. जयराम सरकार के लिए 15वां वित्तायोग संजीवनी लेकर आया था.

वित्तायोग ने राज्य का राजस्व घाटा अनुदान 45 फीसदी बढ़ाया था. ऐसे में कोविड-19 संकट के इस काल में ये राजस्व घाटा अनुदान देवदूत बनकर आया है. हिमाचल को इस मद में केंद्र से 952 करोड़ रुपए मिले हैं. इस तरह हिमाचल सरकार जो 700 करोड़ का कर्ज लेने जा रही थी, उससे बच गई है.

वीडियो रिपोर्ट

केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान की भारी-भरकम मदद मिलने से जयराम सरकार ने फिलहाल 700 करोड़ कर्ज लेने की अधिसूचना वापिस ले ली है. यानी सरकार अब 700 करोड़ रुपये कर्ज नहीं लेगी. हाल ही में राज्य सरकार ने वेतन-पेंशन व अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए 1220 करोड़ रुपये एकमुश्त कर्ज लेने का फैसला किया था.

इसमें से 420 करोड़ रुपये का लोन सरकार मार्च के अंत में ले चुकी थी और 700 करोड़ रुपये सात मार्च को लेने थे. चूंकि इसी अवधि में केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान मिलने की आस प्रबल थी, लिहाजा राज्य सरकार इंतजार कर रही थी. अब केंद्र ने ये रकम जारी कर दी है और सरकार कर्ज के बोझ से बच गई है.

रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट यानी राजस्व घाटा अनुदान के 952 करोड़ रुपये मिलने से हिमाचल सरकार एक बड़े आर्थिक संकट में फंसने से बच गई है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार को वित्तायोग ने कई तोहफे दिए थे. वित्तायोग ने हिमाचल का राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को 45 फीसदी बढ़ा दिया था,

बड़ी बात ये थी कि वित्तायोग में हिमाचल कैडर के सीनियर आईएएस अफसर अरविंद मेहता बतौर सचिव थे. वे हिमाचल की दिक्कतों को अच्छे से समझते हैं. अरविंद मेहता ने हिमाचल में लंबे अरसे तक काम किया है और वे भली-भांति जानते हैं कि हिमाचल की कमाई कम और खर्च अधिक हैं फिर हिमाचल सरकार ने भी 15वें वित्तायोग के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखा था.

इसी का परिणाम है कि वित्तायोग ने कई तोहफे दिए. पहली सौगात तो रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट में 45 फीसदी बढ़ोतरी की, दूसरी सौगात फॉरेस्ट कवर के बदले 10 फीसदी टैक्स मिला. जिला परिषद और बीडीसी का बजट बहाल किया गया था.

हिमाचल के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है कि राजस्व घाटा अनुदान बढ़ने से सरकार को हर महीने कर्मचारियों के वेतन के लिए खजाने से रकम खर्च करने की चिंता नहीं थी. दिलचस्प बात ये थी कि राजस्व घाटा अनुदान की अवधि 2020 में खत्म होने वाली थी. अब ये बढ़ने से हिमाचल को राहत मिली है.

शिमला: पहले से ही कर्ज के बोझ से कराह रहे हिमाचल प्रदेश के लिए एक सुखद खबर है. राज्य सरकार को महंगा कर्ज लेने से फिलहाल राहत मिल गई है. जयराम सरकार के लिए 15वां वित्तायोग संजीवनी लेकर आया था.

वित्तायोग ने राज्य का राजस्व घाटा अनुदान 45 फीसदी बढ़ाया था. ऐसे में कोविड-19 संकट के इस काल में ये राजस्व घाटा अनुदान देवदूत बनकर आया है. हिमाचल को इस मद में केंद्र से 952 करोड़ रुपए मिले हैं. इस तरह हिमाचल सरकार जो 700 करोड़ का कर्ज लेने जा रही थी, उससे बच गई है.

वीडियो रिपोर्ट

केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान की भारी-भरकम मदद मिलने से जयराम सरकार ने फिलहाल 700 करोड़ कर्ज लेने की अधिसूचना वापिस ले ली है. यानी सरकार अब 700 करोड़ रुपये कर्ज नहीं लेगी. हाल ही में राज्य सरकार ने वेतन-पेंशन व अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए 1220 करोड़ रुपये एकमुश्त कर्ज लेने का फैसला किया था.

इसमें से 420 करोड़ रुपये का लोन सरकार मार्च के अंत में ले चुकी थी और 700 करोड़ रुपये सात मार्च को लेने थे. चूंकि इसी अवधि में केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान मिलने की आस प्रबल थी, लिहाजा राज्य सरकार इंतजार कर रही थी. अब केंद्र ने ये रकम जारी कर दी है और सरकार कर्ज के बोझ से बच गई है.

रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट यानी राजस्व घाटा अनुदान के 952 करोड़ रुपये मिलने से हिमाचल सरकार एक बड़े आर्थिक संकट में फंसने से बच गई है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल सरकार को वित्तायोग ने कई तोहफे दिए थे. वित्तायोग ने हिमाचल का राजस्व घाटा अनुदान यानी रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को 45 फीसदी बढ़ा दिया था,

बड़ी बात ये थी कि वित्तायोग में हिमाचल कैडर के सीनियर आईएएस अफसर अरविंद मेहता बतौर सचिव थे. वे हिमाचल की दिक्कतों को अच्छे से समझते हैं. अरविंद मेहता ने हिमाचल में लंबे अरसे तक काम किया है और वे भली-भांति जानते हैं कि हिमाचल की कमाई कम और खर्च अधिक हैं फिर हिमाचल सरकार ने भी 15वें वित्तायोग के समक्ष अपना पक्ष मजबूती से रखा था.

इसी का परिणाम है कि वित्तायोग ने कई तोहफे दिए. पहली सौगात तो रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट में 45 फीसदी बढ़ोतरी की, दूसरी सौगात फॉरेस्ट कवर के बदले 10 फीसदी टैक्स मिला. जिला परिषद और बीडीसी का बजट बहाल किया गया था.

हिमाचल के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है कि राजस्व घाटा अनुदान बढ़ने से सरकार को हर महीने कर्मचारियों के वेतन के लिए खजाने से रकम खर्च करने की चिंता नहीं थी. दिलचस्प बात ये थी कि राजस्व घाटा अनुदान की अवधि 2020 में खत्म होने वाली थी. अब ये बढ़ने से हिमाचल को राहत मिली है.

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