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आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी पर संकट, जलशक्ति विभाग ने निकाले 277 कर्मचारी, स्थायी नीति बनाने की मांग

हिमाचल प्रदेश में आउससोर्स कर्मचारियों को अपनी नौकरी का संकट गहराने लगा है. कई आउटसोर्स कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट दो माह से रिन्यू नहीं हो पाए हैं. ऐसे में आउटसोर्स कर्मचारियों ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से उनके लिए स्थायी नीति बनाने की मांग की है.

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Published : Mar 2, 2023, 3:44 PM IST

शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सरकार से स्थायी नीति की आस लगाए आउससोर्स कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडराने लगा है. पूर्व सरकार के समय में रखे गए आउटसोर्स कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किए जा रहे हैं. इससे इन कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है. राज्य के जलशक्ति विभाग के तहत फील्ड में तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के कारण इसको रिन्यू नहीं किया गया. इसके बाद अब इन कर्मचारियों को निकाला भी जा रहा है. विभाग में अभी तक करीब 277 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. प्रदेश सरकार के अन्य विभागों में भी ऐसी स्थिति की संभावना बन रही है.

जलशक्ति विभाग में 1575 कर्मचारी फील्ड पर तैनात- जलशक्ति विभाग में फील्ड में 1575 कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात हैं. ये कर्मचारी पंप ऑपरेटर, बेलदार, चौकीदार व अन्य के तौर पर काम कर रहे हैं. दरअसल जल शक्ति विभाग में कॉन्ट्रैक्ट ठेकेदार के माध्यम से अगस्त 2019 में करीब 2223 कर्मचारियों को तैनात किया गया था, जिनका कॉन्ट्रैक्ट 31 दिसंबर 2022 को पूरा हो गया. 2223 कर्मचारियों में अब 1575 कर्मचारी विभाग में रह गए हैं, बाकी कर्मचारी मल्टी पर्पज वर्कर भर्ती के तहत जल शक्ति विभाग में समायोजित हो चुके हैं.

इस तरह 1575 कर्माचारी पार्ट टाइम पर अभी तक काम कर रहे हैं, जिनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया है. इसके बाद अब इन कर्मचारियों को घर जाने के आदेश दिए जा रहे हैं. अभी तक राज्य में करीब 277 कर्मचारियों को निकाला गया है. इनमें सबसे ज्यादा 169 धर्मपुर मंडल में निकाले गए हैं. सुंदरनगर में करीब 48 कर्मचारियों, बिलासपुर के झंडूता में 35 कर्मचारियों की नौकरी चली गई है. इसी तरह हमीरपुर के सुजानपुर में भी 25 आउटसोर्स कर्मियों की छुट्टी कर दी गई है.

दो माह से कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होने का इंतजार कर रहे कर्मचारी- जल शक्ति विभाग में फील्ड में काम कर रहे इन आउटसोर्स कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हुए करीब दो माह हो गए हैं. कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होने का इंतजार कर रहे हैं. जिनको रिन्यू नहीं किया जा रहा. फील्ड में तैनात बाकी कर्मचारियों की भी नौकरी जाने की नौबत आ गई है. कई जगह वेतन भी इन कर्मचारियों को नहीं मिला है. हालांकि ये कर्मचारी पार्ट टाइम पर नियुक्त है और इनकी डयूटी का समय नियमानुसार 6 घंटे हैं, लेकिन इन कर्मचारियों का कहना है कि उनसे 8 घंटे से भी ज्यादा समय तक काम लिया जा रहा है.

ऊपर से अब नौकरी पर भी संकट छा गया है. इसी तरह जलशक्ति विभाग में डाटा एंट्री का काम कर रहे कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट भी मार्च माह में खत्म होने जा रहा है. विभाग में करीब 250 कर्मचारी आउटसोर्स पर लगे हुए हैं. फील्ड में तैनात कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू न होने से इन कर्मचारियों को भी नौकरी जाने का शंका सता रही है. हिमाचल में आउटसोर्स कर्मचारियों का एक बड़ा मुद्दा रहा है.

राज्य के विभिन्न विभागों में करीब 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्तियां कर रखी हैं. इन कर्मचारियों को विभिन्न फर्मों और ठेकेदारों के माध्यम से लगाया गया है. कर्मचारियों को सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है पूरा वेतन नहीं मिलता, वहीं इनका कोई भविष्य भी नहीं है. ये कर्मचारी पूरी तरह से ठेकेदारों के रहमों करम पर है. यही वजह है कि आउटसोर्स कर्मचारी समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं और अपने लिए स्थायी नीति बनाने की मांग करते रहे हैं.

पूर्व सरकार ने HPKVN के तहत लाने का लिया था फैसला- कर्मचारियों की बड़ी तादाद को देखते हुए पूर्व की जयराम सरकार ने अपने आखिरी समय में इन कर्मचारियों को हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के तहत लाने का फैसला किया था. इस तरह इनका भविष्य सुरक्षित करने की बात कही गई थी. लेकिन बाद में चुनाव हो गए और हिमाचल में पूर्व सरकार के अंतिम समय में लिए फैसले या तो लागू नहीं हुए या इनको बदल दिया गया.

कांग्रेस ने चुनावों में किया था पारदर्शी नीति बनाने का वादा- हिमाचल में चुनावों के दौरान कांग्रेस ने जहां एनपीएस कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन का वादा किया था. वहीं, आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों के लिए भी एक पारदर्शी नीति लाने की बात कही थी. राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनने पर इन कर्मचारियों को भी आस जगी थी कि सरकार उनके भविष्य के लिए स्थायी नीति लाएगी.

कर्मचारियों को उम्मीद थी कि जब तक सरकार उनके लिए कोई नीति नहीं बनाती तब तक उनको कम से कम नौकरी से तो नहीं निकाला जाएगा. लेकिन जिस तरह से आउटसोर्स कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद रिन्यू नहीं किए जा रहे हैं, उससे इन कर्मचारियों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है.

आउटसोर्स कर्मचारियों ने CM से स्थायी नीति बनाने की मांग की- हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य एवं जल शक्ति विभाग के आउटसोर्स कर्मचारी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भेंट की. कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी मांगें रखीं. कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से नीति बनाने का आग्रह किया. इसके अलावा जलशक्ति विभाग में हटाए गए कर्मचारियों को मुद्दा भी सीएम के सामने रखा. मुख्यमंत्री ने आउटसोर्स कर्मचारियों को भरोसा दिया कि सरकार उनकी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सक्रियता से कार्य कर रही है.

ये भी पढ़ें: अब समस्याओं को सुनने के लिए सुक्खू सरकार का हर मंत्री कांग्रेस मुख्यालय में बैठेगा, CM ने आज से की शुरुआत

शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सरकार से स्थायी नीति की आस लगाए आउससोर्स कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडराने लगा है. पूर्व सरकार के समय में रखे गए आउटसोर्स कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किए जा रहे हैं. इससे इन कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है. राज्य के जलशक्ति विभाग के तहत फील्ड में तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के कारण इसको रिन्यू नहीं किया गया. इसके बाद अब इन कर्मचारियों को निकाला भी जा रहा है. विभाग में अभी तक करीब 277 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है. प्रदेश सरकार के अन्य विभागों में भी ऐसी स्थिति की संभावना बन रही है.

जलशक्ति विभाग में 1575 कर्मचारी फील्ड पर तैनात- जलशक्ति विभाग में फील्ड में 1575 कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात हैं. ये कर्मचारी पंप ऑपरेटर, बेलदार, चौकीदार व अन्य के तौर पर काम कर रहे हैं. दरअसल जल शक्ति विभाग में कॉन्ट्रैक्ट ठेकेदार के माध्यम से अगस्त 2019 में करीब 2223 कर्मचारियों को तैनात किया गया था, जिनका कॉन्ट्रैक्ट 31 दिसंबर 2022 को पूरा हो गया. 2223 कर्मचारियों में अब 1575 कर्मचारी विभाग में रह गए हैं, बाकी कर्मचारी मल्टी पर्पज वर्कर भर्ती के तहत जल शक्ति विभाग में समायोजित हो चुके हैं.

इस तरह 1575 कर्माचारी पार्ट टाइम पर अभी तक काम कर रहे हैं, जिनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया है. इसके बाद अब इन कर्मचारियों को घर जाने के आदेश दिए जा रहे हैं. अभी तक राज्य में करीब 277 कर्मचारियों को निकाला गया है. इनमें सबसे ज्यादा 169 धर्मपुर मंडल में निकाले गए हैं. सुंदरनगर में करीब 48 कर्मचारियों, बिलासपुर के झंडूता में 35 कर्मचारियों की नौकरी चली गई है. इसी तरह हमीरपुर के सुजानपुर में भी 25 आउटसोर्स कर्मियों की छुट्टी कर दी गई है.

दो माह से कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होने का इंतजार कर रहे कर्मचारी- जल शक्ति विभाग में फील्ड में काम कर रहे इन आउटसोर्स कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हुए करीब दो माह हो गए हैं. कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होने का इंतजार कर रहे हैं. जिनको रिन्यू नहीं किया जा रहा. फील्ड में तैनात बाकी कर्मचारियों की भी नौकरी जाने की नौबत आ गई है. कई जगह वेतन भी इन कर्मचारियों को नहीं मिला है. हालांकि ये कर्मचारी पार्ट टाइम पर नियुक्त है और इनकी डयूटी का समय नियमानुसार 6 घंटे हैं, लेकिन इन कर्मचारियों का कहना है कि उनसे 8 घंटे से भी ज्यादा समय तक काम लिया जा रहा है.

ऊपर से अब नौकरी पर भी संकट छा गया है. इसी तरह जलशक्ति विभाग में डाटा एंट्री का काम कर रहे कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट भी मार्च माह में खत्म होने जा रहा है. विभाग में करीब 250 कर्मचारी आउटसोर्स पर लगे हुए हैं. फील्ड में तैनात कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू न होने से इन कर्मचारियों को भी नौकरी जाने का शंका सता रही है. हिमाचल में आउटसोर्स कर्मचारियों का एक बड़ा मुद्दा रहा है.

राज्य के विभिन्न विभागों में करीब 30 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्तियां कर रखी हैं. इन कर्मचारियों को विभिन्न फर्मों और ठेकेदारों के माध्यम से लगाया गया है. कर्मचारियों को सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है पूरा वेतन नहीं मिलता, वहीं इनका कोई भविष्य भी नहीं है. ये कर्मचारी पूरी तरह से ठेकेदारों के रहमों करम पर है. यही वजह है कि आउटसोर्स कर्मचारी समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं और अपने लिए स्थायी नीति बनाने की मांग करते रहे हैं.

पूर्व सरकार ने HPKVN के तहत लाने का लिया था फैसला- कर्मचारियों की बड़ी तादाद को देखते हुए पूर्व की जयराम सरकार ने अपने आखिरी समय में इन कर्मचारियों को हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम के तहत लाने का फैसला किया था. इस तरह इनका भविष्य सुरक्षित करने की बात कही गई थी. लेकिन बाद में चुनाव हो गए और हिमाचल में पूर्व सरकार के अंतिम समय में लिए फैसले या तो लागू नहीं हुए या इनको बदल दिया गया.

कांग्रेस ने चुनावों में किया था पारदर्शी नीति बनाने का वादा- हिमाचल में चुनावों के दौरान कांग्रेस ने जहां एनपीएस कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन का वादा किया था. वहीं, आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों के लिए भी एक पारदर्शी नीति लाने की बात कही थी. राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनने पर इन कर्मचारियों को भी आस जगी थी कि सरकार उनके भविष्य के लिए स्थायी नीति लाएगी.

कर्मचारियों को उम्मीद थी कि जब तक सरकार उनके लिए कोई नीति नहीं बनाती तब तक उनको कम से कम नौकरी से तो नहीं निकाला जाएगा. लेकिन जिस तरह से आउटसोर्स कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद रिन्यू नहीं किए जा रहे हैं, उससे इन कर्मचारियों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है.

आउटसोर्स कर्मचारियों ने CM से स्थायी नीति बनाने की मांग की- हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य एवं जल शक्ति विभाग के आउटसोर्स कर्मचारी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भेंट की. कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी मांगें रखीं. कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से नीति बनाने का आग्रह किया. इसके अलावा जलशक्ति विभाग में हटाए गए कर्मचारियों को मुद्दा भी सीएम के सामने रखा. मुख्यमंत्री ने आउटसोर्स कर्मचारियों को भरोसा दिया कि सरकार उनकी जायज मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सक्रियता से कार्य कर रही है.

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