शिमला: सुखविंदर सरकार ने SJVNL यानी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड के निदेशक मंडल में हिमाचल का स्थानीय सदस्य नॉमिनेट करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है. एसजेवीएनएल में हिमाचल की 28 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी है. प्रदेश सरकार का कहना है कि इसके चलते हिमाचल का इसमें निदेशक मंडल में स्थायी सदस्य होना चाहिए. अभी तक हिमाचल की ओर से इसमें अस्थायी सदस्य नॉमिनेट करने का प्रावधान है. मुख्य संसदीय सचिव (ऊर्जा) सुंदर सिंह ठाकुर ने एसजेवीएनल की जल विद्युत परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि हिमाचल ने इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.
मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि एसजेवीएनएल में प्रदेश सरकार की 26.85 प्रतिशत भागीदारी है, जिसके मद्देनजर कंपनी की निर्देशक मंडल में प्रदेश सरकार के स्थायी सदस्य नामित होने चाहिए, जिसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्ताव भारत सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया है. मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड प्रबंधन के साथ हिमाचल में निगम द्वारा क्रियान्वित जल विद्युत परियोजनाओं की समीक्षा की.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में दो जल विद्युत परियोजनाओं क्रमशः 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी व 412 मेगावाट का रामपुर में संचालन किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त, 210 मेगावाट क्षमता की लुहरी चरण-1 और 66 मेगावाट क्षमता की धौलासिद्ध व 382 मेगावाट क्षमता की सुन्नी बांध परियोजनाओं पर निर्माण कार्य चल रहा है. मुख्य संसदीय ने कहा कि सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा 2470 मेगावाट की चार पम्प स्टोरेज परियोजनाएं भी चिन्हित की गई हैं और फ्लोटिंग सोलर व ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश के हितों की रक्षा करने व आय के स्त्रोतों की बढ़ोतरी के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जो परियोजनाएं ऋण मुक्त हो चुकी हैं उन परियोजनाओं में राज्य को मिलने वाली मुफ्त बिजली की हिस्सेदारी को बढ़ाया जा सकता है और परियोजनाओं की अनुबंध अवधि सरकार द्वारा संशोधित लीज नियमों के अनुसार निर्धारित की जाएगी. इस बैठक में ऊर्जा सचिव राजीव शर्मा, ऊर्जा निदेशक हरिकेश मीणा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड नंद लाल व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.
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