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हिमाचल में सेब बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प देगी सरकार: जगत सिंह नेगी - apple universal cartons

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि सरकार सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन पर फोकस कर रही है. यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से ज्यादा सेब नहीं भरा जा सकता. अगर सेब के लिए सरकार यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था करती है तो इससे बागवानों का शोषण रुकेगा. (apple growers in Himachal)

apple growers in Himachal
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Published : Feb 11, 2023, 6:28 PM IST

शिमला: हिमाचल में सेब बागवान मार्केट में लूटे जा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि मौजूदा समय में सेब के लिए जो टेलीस्कोपिक कार्टन इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें 35 किलो तक सेब भरा जा रहा है. जबकि दाम औसतन 20 किलो की पेटी के हिसाब से मिल रहे हैं, क्योंकि एक स्टेंडर्ड पेटी का वजन 20 किलो ही माना जाता है, मगर इन टेलीस्कोपिक कार्टन में बागवानों को 30-35 किलो सेब भरने पर मजबूर किया जा रहा है. ऐसे में सरकार अब यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प बागवानों को देने जा रही है. यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से ज्यादा सेब नहीं भरा जा सकता. राज्य की सरकार बागवानों के लिए इसी सीजन में यह व्यवस्था लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. सरकार बागवानों के साथ यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने को लेकर बातचीत करेगी और इसके बाद इस पर फैसला लेगी.

यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता
यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता

टेलीस्कोपिक कार्टन में मानदंडों से ज्यादा भरा जा सकता है सेब: मौजूदा समय में हिमाचल में टेलीस्कोपिक कार्टन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन कार्टन का डिजाइन इस तरह से होता है कि इसमें निर्धारित 20 किलो से ज्यादा सेब भरने की गुंजाइश रहती है. आढ़ती बागावनों को इससे अधिक सेब पेटियों में भरने को मजबूर कर रहे हैं, अगर ऐसा नहीं किया जाता तो उनका सेब रिजेक्ट किया जाता है या इसके कम दाम दिए जाते हैं. आम तौर पर सेब की पांच लेयर भरी जाती है लेकिन टेलीस्कोपिक कार्टन में कुछ किस्म के ग्रेड के सेब को सात-सात लेयर में बागवानों को भरनी पड़ रही है. हालांकि पैसा उनको एक पेटी यानी 20 किलो के हिसाब से मंडियों में मिलता है, लेकिन एक पेटी में 10 से 15 किलो सेब एक्स्ट्रा जा रहा है. एक ओर बागवानों से निर्धारित मात्रा से ज्यादा सेब मंडियों में खरीदा जाता है तो वहीं, इन्हीं सेब की पेटियों की फिर से पैकिंग खरीददार करते हैं. इस तरह एक पेटी की डेढ़ पेटी बना रहे हैं. हालांकि अतिरिक्त सेब भरकर लेने की यह लूट पहले दिल्ली की आजादपुर मंडी में बागवानों से होती थी, लेकिन अब हिमाचल की मंडियों में बागवानों का जमकर शोषण हो रहा है.

टेलीस्कोपिक कार्टन में मानदंडों से ज्यादा भरा जा सकता है सेब
टेलीस्कोपिक कार्टन में मानदंडों से ज्यादा भरा जा सकता है सेब

यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता: टेलीस्कोपिक कार्टन के विपरीत यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक पैकिंग नहीं की जा सकती. इसका डिजाइन इस तरह से होता है कि इसमें 20 किलो से ज्यादा सेब भरा नहीं जा सकता. यह कार्टन 10 किलो में भी उपलब्ध रहता है, इसमें भी इतनी ही मात्रा का सेब आता है. अगर सेब के लिए सरकार यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था करती है तो इससे बागवानों का शोषण रुकेगा. क्योंकि बागवान मौजूदा व्यवस्था का खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे. यही वजह है कि सरकार इसको लेकर गंभीरता से विचार कर रही है.

सेब पर लाखों परिवार निर्भर
सेब पर लाखों परिवार निर्भर

विदेशों में भी यूनिवर्सल कार्टन में बेचा जा रहा सेब: विश्व के अन्य देशों में भी सेब को यूनिवर्सल कार्टन में पैकिंग करके बेचा जाता है. वहां इन कार्टनों में ही सेब बेचने की व्यवस्था सरकारों ने की है. वहां दस या बीस किलो के कार्टन में सेब बेचा जाता है. वहां टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब बेचने पर रोक है. इसके विपरीत हिमाचल में ही टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब बेचे जा रहे हैं. हालांकि पिछली सरकार ने तीन साल पहले हिमाचल में भी यूनिवर्सल कार्टन लाने की बात कही थी लेकिन यह लागू नहीं हो पाया.

सेब पर लाखों परिवार निर्भर: हिमाचल की सेब की आर्थिकी करीब साढ़े चार हजार करोड़ की है. राज्य में 4 लाख से ज्यादा बागवान परिवार हैं. जो सीधे तौर पर इस पर निर्भर हैं, इसके अलावा सेब अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है. हिमाचल में सेब ने आर्थिक संपन्नता भी लाई है, लेकिन सेब की लागत बढ़ने और उसके मुताबिक मूल्य न मिलने से सेब भी संकट के दौर से गुजर रहा है. हालात यह है कई बार बागवानों को सेब की लागत भी नहीं मिल पा रही है. वहीं, मार्केट में सेब के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे और ऊपर से पेटियों में ज्यादा मात्रा में सेब भरवाकर बागवानों को शोषण किया जा रहा है. ऐसे में किसान संगठन भी सेब को लेकर सरकार के समक्ष लगातार अपनी मांगे उठा रहे हैं, इनमें सेब को बेहतर मार्केट सुविधा देना भी शामिल है.

हिमाचल में सेब बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प देगी सरकार
हिमाचल में सेब बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प देगी सरकार

बागवानों की मांग- सरकार जल्द करे व्यवस्था: हिमाचल में सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन या किलो के हिसाब से सेब बेचने को लेकर बागवान सरकार से जल्द व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं. 27 विभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा है कि हालांकि बागवान प्रति किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था बनाने पर जोर दे रहे हैं. सरकार की प्राथमिकता किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की होनी चाहिए. लेकिन अगर सरकार यूनिवर्सल कार्टन लाने के लिए कदम उठा रही है तो इसके लिए भी समय रहते व्यवस्था करे. उन्होंने कहा कि पिछली तीन सरकारों में यूनिवर्सल कार्टन लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन सिरे नहीं चढ़ी. अब हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में नई सरकार बनी है तो बागवानों की इस सरकार से उम्मीद है कि सरकार लाखों बागवानों के हित में जरूर बड़े कदम उठाएगी.

सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन पर सरकार का फोकस: बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि बागवानों को उनके फलों के उचित दाम देने के लिए सरकार कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि किलो के हिसाब से सेब अभी तक कुल्लू में बेचा जा रहा है जबकि बाकी जिलों में इसमें दिक्कत आ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन पर फोकस कर रही है.

ये भी पढ़ें: बागवानी मंत्री ने सेब बागवानों को वार्ता के लिए बुलाया, 14 फरवरी को शिमला में होगी बैठक

शिमला: हिमाचल में सेब बागवान मार्केट में लूटे जा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि मौजूदा समय में सेब के लिए जो टेलीस्कोपिक कार्टन इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें 35 किलो तक सेब भरा जा रहा है. जबकि दाम औसतन 20 किलो की पेटी के हिसाब से मिल रहे हैं, क्योंकि एक स्टेंडर्ड पेटी का वजन 20 किलो ही माना जाता है, मगर इन टेलीस्कोपिक कार्टन में बागवानों को 30-35 किलो सेब भरने पर मजबूर किया जा रहा है. ऐसे में सरकार अब यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प बागवानों को देने जा रही है. यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से ज्यादा सेब नहीं भरा जा सकता. राज्य की सरकार बागवानों के लिए इसी सीजन में यह व्यवस्था लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. सरकार बागवानों के साथ यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने को लेकर बातचीत करेगी और इसके बाद इस पर फैसला लेगी.

यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता
यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता

टेलीस्कोपिक कार्टन में मानदंडों से ज्यादा भरा जा सकता है सेब: मौजूदा समय में हिमाचल में टेलीस्कोपिक कार्टन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन कार्टन का डिजाइन इस तरह से होता है कि इसमें निर्धारित 20 किलो से ज्यादा सेब भरने की गुंजाइश रहती है. आढ़ती बागावनों को इससे अधिक सेब पेटियों में भरने को मजबूर कर रहे हैं, अगर ऐसा नहीं किया जाता तो उनका सेब रिजेक्ट किया जाता है या इसके कम दाम दिए जाते हैं. आम तौर पर सेब की पांच लेयर भरी जाती है लेकिन टेलीस्कोपिक कार्टन में कुछ किस्म के ग्रेड के सेब को सात-सात लेयर में बागवानों को भरनी पड़ रही है. हालांकि पैसा उनको एक पेटी यानी 20 किलो के हिसाब से मंडियों में मिलता है, लेकिन एक पेटी में 10 से 15 किलो सेब एक्स्ट्रा जा रहा है. एक ओर बागवानों से निर्धारित मात्रा से ज्यादा सेब मंडियों में खरीदा जाता है तो वहीं, इन्हीं सेब की पेटियों की फिर से पैकिंग खरीददार करते हैं. इस तरह एक पेटी की डेढ़ पेटी बना रहे हैं. हालांकि अतिरिक्त सेब भरकर लेने की यह लूट पहले दिल्ली की आजादपुर मंडी में बागवानों से होती थी, लेकिन अब हिमाचल की मंडियों में बागवानों का जमकर शोषण हो रहा है.

टेलीस्कोपिक कार्टन में मानदंडों से ज्यादा भरा जा सकता है सेब
टेलीस्कोपिक कार्टन में मानदंडों से ज्यादा भरा जा सकता है सेब

यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता: टेलीस्कोपिक कार्टन के विपरीत यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक पैकिंग नहीं की जा सकती. इसका डिजाइन इस तरह से होता है कि इसमें 20 किलो से ज्यादा सेब भरा नहीं जा सकता. यह कार्टन 10 किलो में भी उपलब्ध रहता है, इसमें भी इतनी ही मात्रा का सेब आता है. अगर सेब के लिए सरकार यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था करती है तो इससे बागवानों का शोषण रुकेगा. क्योंकि बागवान मौजूदा व्यवस्था का खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे. यही वजह है कि सरकार इसको लेकर गंभीरता से विचार कर रही है.

सेब पर लाखों परिवार निर्भर
सेब पर लाखों परिवार निर्भर

विदेशों में भी यूनिवर्सल कार्टन में बेचा जा रहा सेब: विश्व के अन्य देशों में भी सेब को यूनिवर्सल कार्टन में पैकिंग करके बेचा जाता है. वहां इन कार्टनों में ही सेब बेचने की व्यवस्था सरकारों ने की है. वहां दस या बीस किलो के कार्टन में सेब बेचा जाता है. वहां टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब बेचने पर रोक है. इसके विपरीत हिमाचल में ही टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब बेचे जा रहे हैं. हालांकि पिछली सरकार ने तीन साल पहले हिमाचल में भी यूनिवर्सल कार्टन लाने की बात कही थी लेकिन यह लागू नहीं हो पाया.

सेब पर लाखों परिवार निर्भर: हिमाचल की सेब की आर्थिकी करीब साढ़े चार हजार करोड़ की है. राज्य में 4 लाख से ज्यादा बागवान परिवार हैं. जो सीधे तौर पर इस पर निर्भर हैं, इसके अलावा सेब अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है. हिमाचल में सेब ने आर्थिक संपन्नता भी लाई है, लेकिन सेब की लागत बढ़ने और उसके मुताबिक मूल्य न मिलने से सेब भी संकट के दौर से गुजर रहा है. हालात यह है कई बार बागवानों को सेब की लागत भी नहीं मिल पा रही है. वहीं, मार्केट में सेब के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे और ऊपर से पेटियों में ज्यादा मात्रा में सेब भरवाकर बागवानों को शोषण किया जा रहा है. ऐसे में किसान संगठन भी सेब को लेकर सरकार के समक्ष लगातार अपनी मांगे उठा रहे हैं, इनमें सेब को बेहतर मार्केट सुविधा देना भी शामिल है.

हिमाचल में सेब बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प देगी सरकार
हिमाचल में सेब बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन का विकल्प देगी सरकार

बागवानों की मांग- सरकार जल्द करे व्यवस्था: हिमाचल में सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन या किलो के हिसाब से सेब बेचने को लेकर बागवान सरकार से जल्द व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं. 27 विभिन्न किसान संगठनों के संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा है कि हालांकि बागवान प्रति किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था बनाने पर जोर दे रहे हैं. सरकार की प्राथमिकता किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की होनी चाहिए. लेकिन अगर सरकार यूनिवर्सल कार्टन लाने के लिए कदम उठा रही है तो इसके लिए भी समय रहते व्यवस्था करे. उन्होंने कहा कि पिछली तीन सरकारों में यूनिवर्सल कार्टन लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन सिरे नहीं चढ़ी. अब हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई में नई सरकार बनी है तो बागवानों की इस सरकार से उम्मीद है कि सरकार लाखों बागवानों के हित में जरूर बड़े कदम उठाएगी.

सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन पर सरकार का फोकस: बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि बागवानों को उनके फलों के उचित दाम देने के लिए सरकार कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि किलो के हिसाब से सेब अभी तक कुल्लू में बेचा जा रहा है जबकि बाकी जिलों में इसमें दिक्कत आ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन पर फोकस कर रही है.

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