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निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने की तैयारी, इस एक्ट में हो सकता है बदलाव

निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार 1997 के एक्ट में बदलाव कर सकती है. निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग भी बनाया जा सकता है, जिसके दायरे में निजी स्कूलों को लाया जाएगा.

फाइल फोटो
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Published : Nov 5, 2020, 3:15 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 5:02 PM IST

शिमला: प्रदेश में निजी स्कूलों पर अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलने की शिकायतें आए दिन आ रही हैं. शिक्षा विभाग और सरकार के पास ये शिकायतें तो जाती हैं, लेकिन इसके बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती.

सरकार और विभाग के पास निजी स्कूलों की फीस को रेगुलेट करने का कोई अधिकार नहीं है और ना ही एक्ट में इस तरह का कोई प्रावधान है कि इन स्कूलों की फीस को सरकार नियंत्रित कर सके, लेकिन अब सरकार इसका विकल्प निकालने जा रही है.

इसके लिए एक्ट में संशोधन की तैयारी की जा रही है. निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार 1997 के एक्ट में बदलाव कर सकती है. निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग भी बनाया जा सकता है, जिसके दायरे में निजी स्कूलों को लाया जाएगा.

हालांकि प्रदेश में जो निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग है वह निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय के लिए बनाया गया है. इसके दायरे में अभी तक निजी स्कूलों को नहीं लाया गया है. अब सरकार जब एक्ट में बदलाव करेगी तो निजी स्कूलों को भी आयोग के दायरे अंदर लाया जाए, जिससे की निजी स्कूलों पर भी आयोग का नियंत्रण हो.

अगर एक्ट में बदलाव होता है तो सबसे ज्यादा राहत अभिभावकों को मिलेगी जो निजी स्कूलों की मनमानी से सबसे ज्यादा परेशान हैं. निजी स्कूलों की फीस और अन्य चीजों से जुड़ी शिकायतें लॉकडाउन के समय और इससे पहले भी छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा विभाग के समक्ष रखी थी.

निजी स्कूल जहां मनमानी फीस वसूल रहे हैं तो वहीं छात्रों की वर्दी, किताबें भी चयनित दुकानों से ही लेने के लिए अभिभावकों को बाध्य करते हैं. ऐसे में अगर एक्ट में बदलाव होता है तो स्कूलों की मान्यता के साथ उनकी फीस और अन्य सभी तरह के नियम तय किए जाएंगे.

शिमला: प्रदेश में निजी स्कूलों पर अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलने की शिकायतें आए दिन आ रही हैं. शिक्षा विभाग और सरकार के पास ये शिकायतें तो जाती हैं, लेकिन इसके बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती.

सरकार और विभाग के पास निजी स्कूलों की फीस को रेगुलेट करने का कोई अधिकार नहीं है और ना ही एक्ट में इस तरह का कोई प्रावधान है कि इन स्कूलों की फीस को सरकार नियंत्रित कर सके, लेकिन अब सरकार इसका विकल्प निकालने जा रही है.

इसके लिए एक्ट में संशोधन की तैयारी की जा रही है. निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के लिए सरकार 1997 के एक्ट में बदलाव कर सकती है. निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग भी बनाया जा सकता है, जिसके दायरे में निजी स्कूलों को लाया जाएगा.

हालांकि प्रदेश में जो निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग है वह निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय के लिए बनाया गया है. इसके दायरे में अभी तक निजी स्कूलों को नहीं लाया गया है. अब सरकार जब एक्ट में बदलाव करेगी तो निजी स्कूलों को भी आयोग के दायरे अंदर लाया जाए, जिससे की निजी स्कूलों पर भी आयोग का नियंत्रण हो.

अगर एक्ट में बदलाव होता है तो सबसे ज्यादा राहत अभिभावकों को मिलेगी जो निजी स्कूलों की मनमानी से सबसे ज्यादा परेशान हैं. निजी स्कूलों की फीस और अन्य चीजों से जुड़ी शिकायतें लॉकडाउन के समय और इससे पहले भी छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा विभाग के समक्ष रखी थी.

निजी स्कूल जहां मनमानी फीस वसूल रहे हैं तो वहीं छात्रों की वर्दी, किताबें भी चयनित दुकानों से ही लेने के लिए अभिभावकों को बाध्य करते हैं. ऐसे में अगर एक्ट में बदलाव होता है तो स्कूलों की मान्यता के साथ उनकी फीस और अन्य सभी तरह के नियम तय किए जाएंगे.

Last Updated : Nov 5, 2020, 5:02 PM IST
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