शिमला: पचास हजार करोड़ रुपए से भी अधिक कर्ज के पहाड़ तले दबे हिमाचल में माननीयों के यात्रा सुख का और बेहतर इंतजाम होने जा रहा है. विधायकों, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित सरकार के मुखिया यानी सीएम का निशुल्क यात्रा भत्ता ढाई लाख रुपए सालाना से बढ़ाकर चार लाख रुपए होगा.
विधेयक में पूर्व विधायकों के यात्रा भत्ते को भी सवा लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए सालाना किए जाने का प्रावधान है. इससे सरकार के खजाने पर हर साल 1.99 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. सालाना चाल लाख रुपए निशुल्क यात्रा भत्ता होने पर मौजूदा माननीयों पर ही खजाने से एक साल में 2.72 करोड़ से अधिक की रकम खर्च होगी.
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को सदन में विधेयक पेश किया. जिस समय सदन में माननीयों के यात्रा भत्ते से संबंधित विधेयक को पेश किया जा रहा था, सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी. मानसून सत्र के अंतिम दिन इस विधेयक पर मुहर लग जाएगी. तीन साल पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार ने माननीयों के वेतन व भत्ते बढ़ाए थे. उस समय भाजपा विपक्ष में थी और सभी भाजपा सदस्यों ने भी मेज थपथपा कर बिल का स्वागत किया था.
ऐसा ही इस बार भी होने की उम्मीद है. इस तरह से मौजूदा 2.5 लाख रुपए सालाना से ये यात्रा भत्ता चार लाख रुपए सालाना हो जाएगा. कुल 68 सदस्यों वाली विधानसभा में वर्तमान माननीयों पर सालाना एक करोड़ दो लाख रुपए व पूर्व विधायकों के हिस्से दो लाख रुपए के हिसाब से करीब 97 लाख रुपए सालाना आएंगे. बढ़ोतरी के बाद ये अतिरिक्त बोझ होगा. शुक्रवार को सदन में प्रश्नकाल के बाद सभा पटल पर कागजात रखे जा रहे थे.
इसी क्रम में सीएम जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन)संशोधन विधेयक 2019 को रखा. विधेयक के अनुसार माननीयों के यात्रा खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में निशुल्क यात्रा भत्ता बढ़ाये जाने की जरूरत है. विधेयक के प्रावधानों के अनुसार माननीय के परिवार के अलावा एक अटैंडेंट भी यात्रा कर सकेगा. दत्तक पुत्र या दत्तक पुत्री भी साथ जा सकेगी. यही नहीं, माननीय 25 हजार एडवांस भी ले सकेंगे. रेल और हवाई यात्रा के साथ टैक्सी से यात्रा भी इसमें शामिल है. टैक्सी यात्रा के लिए चालीस हजार की अधिकतम सीमा होगी.
एक दिन की रकम 1095 रुपए, महीने का भत्ता 32876 रुपए
हिसाब लगाया जाए तो बिल के पास होने के बाद एक माननीय के हिस्से प्रतिदिन 1095 रुपए यात्रा भत्ता के रूप में आएंगे. एक महीने का हिसाब लगाएं तो ये रकम 32876 रुपए बैठती है. यानी कहा जा सकता है कि जितना एक माननीय के हिस्से एक महीने में केवल और केवल यात्रा भत्ता आएगा, उतनी किसी सामान्य कर्मचारी की महीने की पूरी तनख्वाह भी नहीं होती है.
यही कारण है कि मीडिया में खबर आने के बाद आम जनता में इस फैसले के प्रति नाराजगी देखी जा रही है. सोशल मीडिया इस नाराजगी का गवाह बना है. यहां बता दें कि वीरभद्र सिंह सरकार के समय 2016 में सभी के वेतन-भत्ते बढ़ाए गए थे. उस समय विधायकों का वेतन 2.10 लाख रुपए व सीएम का वेतन 2.50 लाख रुपए हो गया था. तब यात्रा भत्ता 2.50 लाख रुपए सालाना था.