शिमला: हिमाचल में जागरूकता से एचआईवी संक्रमण दर कम है. एक ओर जहां देश की एचआईवी संक्रमण दर 0.22 फीसदी है, वहीं हिमाचल में यह दर 0.12 फीसदी यानि करीब पचास फीसदी तक कम है. जागरूकता और समय पर काउसिलिंग, आईसीटीसी केंद्रों की सेवा, मरीजों की काउंसलिंग, विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से एचआईवी को कंट्रोल करने में हिमाचल को मदद मिली है. बड़ी बात यह है कि हिमाचल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन ( Blood Transfusion) से एचआईवी का कोई मामला नहीं आया है. (world aids day 2022) (HIV positivity rate in Himachal ) (HIV positivity rate in India) (hiv aids awareness)
50 हजार टेस्टिंग पर 350 HIV: हिमाचल में इस साल अब तक पचास हजार लोगों की टेस्टिंग विभिन्न जगहों पर की गई, जिनमें से करीब 350 में एचआईवी संक्रमण पाया गया है. हिमाचल में अभी करीब 6000 एस्टिमेडिट एचआईवी संक्रमित हैं जिनमें से 5132 मरीज एचआईवी के एआरटी सेंटर में दर्ज हैं. इनको समय पर दवाईयां दी जा रही हैं. एचआईवी के बारे में बेहतर काउंसलिंग और मार्गदर्शन से इस संक्रमण को रोकने में मदद मिली है.
छह सेंटरों में मरीजों का इलाज: हिमाचल में मौजूदा समय में छह अस्पताल हैं जहां, एचआईवी मरीजों का इलाज और जांच की जा रही है. मरीजों को दवाईयां भी निशुल्क दी जा रही हैं. इनमें चार सेंटर एआरटी सेंटर ( एंटी रिट्रोवायरल सेंटर) आईजीएमसी, टांडा मेडिकल कॉलेज, मंडी और हमीरपुर में काम कर रहे हैं. इनके अलावा दो सहायक सेंटर-एफआईएआरटी ( फेस्लिटेटिंग इंटीग्रेटिड एंटी रिट्रोवायरल सेंटर) बिलासपुर और ऊना में काम कर रहे हैं.
ब्लड ट्रांसफ्यूजन से एचआवी का कोई भी मामला नहीं: निरंतर जागरूकता और काउंसलिंग के कारण हिमाचल में ब्लड के माध्यम से होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद मिली है. यही वजह है कि यहां पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन से एचआईवी संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इसका कारण यह है कि प्रदेश के सभी ब्लड बैंक बेहद सतर्क होकर काम करते हैं. ब्लड बैंकों में ब्लड की पूरी जांच की जाती है और तभी इसको मरीजों को चढ़ाया जाता है.
युवाओं में नशे से एचआईवी फैलने की संभावना ज्यादा: हिमाचल में नशे के इस्तेमाल के साथ ही एचआईवी फैलने की संभावना भी ज्यादा देखी जा रही है. नशे का इस्तेमाल युवा सिरिंज से करने लगे हैं. यही सूई कई युवाओं को नशे देने में जब इस्तेमाल होती हैं तो इससे एक साथ कई युवाओं को संक्रमण होने का खतरा रहता है. यही वजह है कि हिमाचल में अब युवाओं को जागरूकता के लिए टारगेट किया जा रहा है.
क्या है एचआईवी: एचआईवी शब्द वायरस का नाम दर्शाता है, इसे ह्युमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस कहते हैं जो मनुष्य को संक्रमित करता है. एड्स का अर्थ है एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम. यह एचआईवी के संक्रमण का उच्च अवस्था होती है. दरअसल एचआईवी शारीर में जाने के बाद शरीर में संक्रमण के प्रति लड़ने वाले सीडी4 कोशिकाओं और प्रतिरक्षा प्रणाली( इम्यून सिस्टम) को नष्ट कर देता है. इन दोनों के नष्ट होने शरीर का संक्रमण अन्य बीमारियों में लड़ना मुश्किल हो जाता है.
एचआईवी के फैलने के मुख्य कारण है-
असुरक्षित यौन संबंध बनाना
एक ही सिरिंज या सुई का इस्तेमाल करना
एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से जन्म के समय या स्तन पान से बच्चे में संक्रमण
नियमित दवाईयों से लंबा जीवन जी सकता है संक्रमित व्यक्ति: हालांकि एचआईवी का पूरा इलाज तो नहीं है, लेकिन नियमित रूप से दवाइयां खाने से संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक स्वस्थ और साधारण जीवन जी सकता है. दवाई नियमित रूप से खाने पर वायरस के फैलने की शक्ति भी कम हो जाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी: एडस कंट्रोल सोसायटी के प्रोग्रामिंग आफिसर डॉक्टर ललित ठाकुर का कहना है कि हिमाचल ने एचआईवी को रोकने में बेहतर काम किया है. वहीं हिमाचल में एचआईवी मरीजों को समय पर दवाईयां और उनकी काउसलिंग करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार एचआईवी पीड़ितों को हर माह 1500 रुपए की सहायता भी उपलब्ध करवा रही है. इसके साथ ही न्यूट्रिशियन किट भी समय-समय पर दी जा रही है.
स्वास्थ्य निदेशक डॉक्टर गोपाल बैरी का कहना है कि लगातार जागरूकता से हिमाचल में एचआईवी के संक्रमण को रोकने में मदद मिली है. यही वजह है कि हिमाचल में एचआईवी संक्रमण दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए हुए है.
पढ़ें- नन्हीं वैज्ञानिक का अनोखा एयर प्यूरीफायर मॉडल, घर में कोरोना वायरस भी नहीं कर सकेगा प्रवेश