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ऐतिहासिक ग्रैंड होटल इस गवर्नर जनरल का होता था बैंटिक काउंसिल, जानें पूरा इतिहास

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Published : May 13, 2019, 9:15 PM IST

Updated : May 13, 2019, 11:33 PM IST

1922 में होटल में लगी भीषण आग में भवन पूरी तरह नष्ट हो गया था. 1930 में इसे फिर से बना लिया गया. 1942 में ये शहरी विकास मंत्रालय भारत के अधिकार में आया.

ऐतिहासिक ग्रैंड होटल

शिमला: ऐतिहासिक ग्रैंड होटल 1829 में लार्ड विलियम बैन्टिक गवर्नर जनरल के लिए बैंटिक काउंसिल का निर्माण किया गया था. तत्कालिक पर्वत शिखर पर बने डाक बंगले को प्रस्थापित कर अधिकार में लिया गया था.


यह भवन कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों का आवास रहने के बाद हेनरी लोरीन्स की सम्पति बना. उसके बाद यह सिमला बैंक के अधिकार में आया जो 1850 से 1857 तक रहा. जब बैंक का परिसमापन हुआ तब यह परिसर न्यू क्लब के द्वारा 35,000 रुपय में खरीदा गया. जिसने यूनाइटेड सर्विस क्लब को गंभीर प्रतिद्वंदिता दी. इस क्लब में एक भोजन कक्ष और एक नृत्य कक्ष बनवाया गया, लेकिन उसके बाद भी यह यूनाइटेड क्लब को टक्कर नहीं दे पाया. उसके बाद यह परिसर वायसरीगल कंफेशनर शेवालेय पेलिटी के द्वारा 1892 में 2 लाख रुपए में खरीदी गई. उन्होंने इसे शिमला का सबसे बड़ा व विख्यात होटल बनवाया. नए भवन बनाने व बर्फ बनाने की मशीन लगाने के बाद यह भारत का सबसे अच्छा व आरामदायक होटल बना.


1922 में होटल में लगी भीषण आग में भवन पूरी तरह नष्ट हो गया था. 1930 में इसे फिर से बना लिया गया. 1942 में ये शहरी विकास मंत्रालय भारत के अधिकार में आया.1960 में यह केंद्रीय अवकाश ग्रह के रूप में आया, लेकिन पानी की कमी व पुराने भवन के रख रखाव के अभाव में यह अपना आकर्षण खो बैठा. 2000 में फिर होटल का जीवर्णोधार करवाया गया. 2001 और 2002 में होटल ने फिर से अपना अस्तित्व बरकरार कर लिया.

शिमला: ऐतिहासिक ग्रैंड होटल 1829 में लार्ड विलियम बैन्टिक गवर्नर जनरल के लिए बैंटिक काउंसिल का निर्माण किया गया था. तत्कालिक पर्वत शिखर पर बने डाक बंगले को प्रस्थापित कर अधिकार में लिया गया था.


यह भवन कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों का आवास रहने के बाद हेनरी लोरीन्स की सम्पति बना. उसके बाद यह सिमला बैंक के अधिकार में आया जो 1850 से 1857 तक रहा. जब बैंक का परिसमापन हुआ तब यह परिसर न्यू क्लब के द्वारा 35,000 रुपय में खरीदा गया. जिसने यूनाइटेड सर्विस क्लब को गंभीर प्रतिद्वंदिता दी. इस क्लब में एक भोजन कक्ष और एक नृत्य कक्ष बनवाया गया, लेकिन उसके बाद भी यह यूनाइटेड क्लब को टक्कर नहीं दे पाया. उसके बाद यह परिसर वायसरीगल कंफेशनर शेवालेय पेलिटी के द्वारा 1892 में 2 लाख रुपए में खरीदी गई. उन्होंने इसे शिमला का सबसे बड़ा व विख्यात होटल बनवाया. नए भवन बनाने व बर्फ बनाने की मशीन लगाने के बाद यह भारत का सबसे अच्छा व आरामदायक होटल बना.


1922 में होटल में लगी भीषण आग में भवन पूरी तरह नष्ट हो गया था. 1930 में इसे फिर से बना लिया गया. 1942 में ये शहरी विकास मंत्रालय भारत के अधिकार में आया.1960 में यह केंद्रीय अवकाश ग्रह के रूप में आया, लेकिन पानी की कमी व पुराने भवन के रख रखाव के अभाव में यह अपना आकर्षण खो बैठा. 2000 में फिर होटल का जीवर्णोधार करवाया गया. 2001 और 2002 में होटल ने फिर से अपना अस्तित्व बरकरार कर लिया.

Intro:ग्रैंड होटल 1829 में लार्ड विलियम बेंटिक गवर्नर जर्नल का होता था बैंटिक काँसिल
शिमला।


शिमला का ऐतिहासिक ग्रैंड होटल 1829 में लार्ड विलियम बेंटिक गवर्नर जर्नल का बैंटिक काँसिल का निर्माण किया गया था। तात्कालिक पर्वत शिखर पर बने डाक बंगले को प्रस्थापित कर अधिकार में लिया गया था।


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शिमला।



 यह भवन कई प्रतिष्टित ब्यक्तियों का आवास रहने के बाद हेनरी लोरीन्स की सम्पति बना । उसके बाद यह सिमला बैंक के अधिकार में आया जो 1850 से 1857 तक रहा। जब बैंक का परिसमापन हुआ तब यह परिसर न्यू क्लब के द्वारा 35,000 रुपय में खरीदा गया। जिसने यूनाइटेड सर्विस क्लब को गंभीर प्रतिद्वंदिता दी। इस क्लब में एक भोजन कक्ष ओर एक नृत्य कक्ष बनवाया गया लेकिन उसके बाद भी यह यूनाइटेड क्लब को टक्कर नही दे पाया ।

उसके बाद यह परिसर वायसरीगल कंफेशनर शेवालेय पेलिटी के द्वारा 1892 में 2 लाख रुपए में खरीदी गई।उन्होंने इसे शिमला का सबसे बड़ा व बिख्यात होटल बनवाया। नए भवन बनाने व बर्फ बनाने की मशीन लगाने के बाद यह भारत का सबसे अच्छा व आरामदायक होटल बना।

1922 में होटल में लगे भीषण आग में 3 भवन पूरी तरह नस्ट हो गया था। 1930 में इसे फिर से बना लिया गया।  1942 में ये शहरी विकास मंत्रालय भारत के अधिकार में आया।

1960 में यह केंद्रीय अवकाश ग्रह के रूप में आया। परन्तु पानी की कमी व पुराने भवन के रखरखाव के अभाव में यह अपना आकर्षण खो बैठा। 2000 में फिर होटल का जीवर्णोधार करवाया गया।2001 ओर 2002 में होटल ने फिर से अपना अस्तित्व बरकरार कर लिया।

 अब फिर से इसके मायाे ब्लाॅक अाग की भेंट चढ़ा है। जानकारी के मुताबिक एक निजी ठेकेदार से इसके रेनाेवेशन का काम कराया जा रहा था। ठेकेदार दिल्ली का रहने वाला है। रेनोवेशन का काम 80 फीसदी काम पूरा हो चुका था। इसमें बिजली की आपूर्ति पहले होती थी लेकिन जब से काम चला तब से बंद थी। ठेकेदार ने बिजली का अस्थाई कनेक्शन लिया हुआ था।





Conclusion:फिलहालए सुरक्षा व्यवस्था ठेकेदार के जिम्मे थी। बावजूद इसके ठेकेदार रात को ना तो किसी को यहां छोड़ता था और ना ही निगरानी के लिए अन्य व्यवस्था की गई थी
Last Updated : May 13, 2019, 11:33 PM IST
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