शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने पनबिजली परियोजनाओं पर लगने वाले वाटर सेस की नई दरें जारी कर दी हैं. नई दरें पहले की जारी दरों का आधी है. सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. सरकार द्वारा नई दरें कम घोषित करने से विद्युत उत्पादकों ने राहत की सांस ली है. प्रदेश सरकार ने पन बिजली परियोजनाओं पर लगने वाटर सेस की नई दरें जारी की हैं. सकार ने पहले से तय वाटर सेस के दरों में करीब 50 फीसदी कटौती की है. जल शक्ति विभाग के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. नए वाटर टैरिफ के दो स्लैब होंगे. इसमे इसमें पहला सलैब आरंभिक 12 वर्ष की अवधि के लिए लागू रहेगा जबकि दूसरा स्लैब इसके बाद लागू होगा.
12 साल के लिए रहेंगी ये दरें: सरकार की अधिसूचना के मुताबिक पनबिजली परियोजनाओं पर पहले 12 वर्ष के वाटर सेस की बिजली परियोजनाओं की तीन कैटेगरी बनाई गई है. इसमें 30 मीटर ऊंचाई तक पानी उठाने पर 5 मेगावाट तक 2 पैसे, 5 से 25 मेगावाट तक 3 पैसे और 25 मेगावाट से अधिक तक 4 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस देना होगा. वहीं, 30 से 60 मीटर तक पानी उठाने पर 5 मेगावाट तक 5 पैसे, 5 से 25 मेगावाट तक 8 पैसे और 25 मेगावाट से अधिक तक 10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस सरकार लेगी.
इसी तरह 60 से 90 मीटर ऊंचाई तक पानी उठाने पर 5 मेगावाट तक 7 पैसे, 5 से 25 मेगावाट तक 11 पैसे और 25 मेगावाट से अधिक 14 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस लिया जाएगा. इसके अलावा 90 मीटर ऊंचाई तक पानी उठाने पर 5 मेगावाट तक 10 पैसे 5 से 25 मेगावाट तक 15 पैसे एवं 25 मेगावाट से अधिक पर 20 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर जल उपकर देना होगा.
12 साल बाद सरकार लेगी ये वाटर सेस: हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने 12 वर्ष के बाद सभी पन विद्युत परियोजनाओं के लिए 1 ही सलैब रखा है. इसके तहत 30 मीटर की ऊंचाई तक पानी उठाने पर 6 पैसे, 30 से 60 मीटर पानी उठाने तक 15 पैसे, 60 से 90 मीटर तक पानी उठाने पर 20 पैसे और 90 मीटर से अधिक पानी उठाने पर 30 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर वाटर सेस देना होगा.
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने अपने आर्थिक संसाधन बढ़ाने के लिए पनबिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का फैसला लिया है. इसके तहत करीब 175 पन बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का प्रावधान किया गया है और इसके लिए दरें भी पहलें घोषित कर दी थीं, जिससे सरकार ने सालाना करीब 4 हजार करोड़ रुपए आय का अनुमान लगाया था. लेकिन प्रदेश के विद्युत उत्पादकों ने इन दरों को ज्यादा बताया था.
विद्युत उत्पादकों ने इन दरों को कम करने की मांग की थी. इस पर सरकार ने एक कमेटी ऊर्जा सचिव की अगुवाई में गठित की थी. विद्युत उत्पादकों ने अपना पक्ष इस कमेटी के सामने रखा और इसके बाद सरकार ने नई दरें घोषित की हैं. ये दरें पहले की तुलना में 50 फीसदी कम है. इससे सरकार को अब इन बिजली परियोजनाओं से करीब दो हजार करोड़ रुपए आय होने का अनुमान है.
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