शिमला: केंद्र सरकार द्वारा लोन लिमिट घटाने से सुखविंदर सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. आय कम होने के कारण हिमाचल विकास कार्यों और अन्य खर्चों के लिए कर्ज पर ही निर्भर है. इस बीच केंद्र सरकार के लोन लिमिट घटाने का फैसला हिमाचल सरकार की आर्थिक परेशानी बढ़ाने वाला है. इसके साथ ही हिमाचल द्वारा ओल्ड पेंशन लागू करने और एनपीएस की कंट्रीब्यूशन के बदले हिमाचल को मिल रहे लोन को भी केंद्र सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है. इन दोनों फैसलों से हिमाचल की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने की पूरी संभावना है.
केंद्र सरकार ने लोन लेने की लिमिट को 3 फीसदी तक कर दिया है. इस तरह हिमाचल अब अपने जीडीपी का केवल 3 फीसदी ही लोन ले सकता है. केंद्र सरकार के इस फैसले का सीधा असर हिमाचल पर पड़ना तय है जो कि पूरी तरह से कर्ज पर निर्भर है. इससे पहले हिमाचल जीडीपी का 5 फीसदी तक लोन ले रहा था. ज्यादा कर्ज लेने के चक्कर में सुखविंदर सरकार ने सत्ता में आते ही अधिक कर्ज लेने के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) संशोधन विधेयक पास किया था, इसके तहत कर्ज लेने की सीमा 6 फीसदी की गई थी.
राजस्व में कमी के चलते कोरोना काल में बढ़ाई गई थी लोन लिमिट: दरअसल, केंद्र सरकार ने हिमाचल सहित सभी राज्यों की लोन लिमिट कोरोना काल में बढ़ा दी थी. इसकी वजह यह थी कि इस दौरान राज्यों के राजस्व में भारी कमी आई थी. हालांकि पहले लोन लिमिट जीडीपी का 3 फीसदी ही था, लेकिन केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए इस दौरान लोन लिमिट 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दी थी. इसके बाद हिमाचल के लिए भी लोन लिमिट 5 फीसदी ही थी.
केंद्र ने लोन लिमिट 3 फीसदी कर दी: बता दें, बीते साल सरकार ने इसकी लिमिट बढ़ा दी, जिसके चलते सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को लोन लिमिट बढाने के लिए विधानसभा से राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) संशोधन विधेयक पारित करवाना पड़ा था, जिसमें जीडीपी का 6 फीसदी तक लोन लेने की लिमिट निर्धारित की गई. लेकिन अब केंद्र सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए फिर से लोन लिमिट 3 फीसदी कर दी है, जिसके चलते बीते 14500 करोड़ की लोन लिमिट के चलते अबकी बार इसमें कटौती हो गई है. यही वजह है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह रहे हैं कि राज्य सरकार ने लोन लिमिट में 5500 करोड़ की कटौती कर दी है.
आय कम खर्च ज्यादा होने से कर्ज पर निर्भर हिमाचल: आय कम और खर्च ज्यादा होने के कारण हिमाचल कर्ज पर ही निर्भर है. सत्ता में आने पर हर सरकार कर्ज लेती रही है. यही वजह है कि हिमाचल पर लगातार कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. राज्य पर करीब 75 हजार करोड़ का कर्ज हो गया है. आगे भी सरकार को कर्ज की जरुरत रहेगी, लेकिन जिस तरह के केंद्र सरकार ने लोन लेने की लिमिट घटा दी है और एनपीएस कंट्रीब्यूशन के बदले मिलने वाले अतिरिक्त कर्ज पर रोक लगा दी है, उससे सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ना तय है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कर्ज की सीमा घटाने के फैसले और एनपीएस कंट्रीब्यूशन के बदले मिलने वाले लोन को बंद करने के फैसले की समीक्षा करने की मांग की.
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