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हिमाचल के युवा खून में घुल रहा नशे का जहर, HC की चिंता के बावजूद नहीं थम रही सामाजिक बुराई

हिमाचल में युवा नशे के लिए चिट्टे का प्रयोग कर रहे हैं. इस पर विधानसभा में भी चिंता जताई जा चुकी है. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. खासकर, सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. हिमाचल हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ एक के बाद एक कई बड़े फैसले दिए थे. यही नहीं, तब जुलाई महीने में हाईकोर्ट ने छह मामलों में चरस तस्करों को लेकर निचली अदालतों के फैसले पलटे थे. हाईकोर्ट ने चिंता जताई थी कि यही हाल रहा तो प्रदेश उड़ता पंजाब बन जाएगा.

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Published : Jun 8, 2021, 7:52 PM IST

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फोटो.

शिमला: देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल के युवा नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं. यहां के युवा खून में नशे का जहर घुल रहा है. हाईकोर्ट भी इस पर चिंता जता चुका है. पुलिस के सक्रिय अभियान के बावजूद प्रदेश के युवा इस जहर के चंगुल में फंस रहे हैं. हालांकि हिमाचल सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सख्ती बरतते हुए दो ग्राम भी चरस, गांजा या अफीम मिलने पर सीधे जेल जाने का प्रावधान किया है. फिर भी तमाम सख्तियां नाकाफी साबित हो रही हैं.

हाल ही की बात करें तो हिमाचल में नशे का इंटरनेशनल रैकेट भी सामने आया था. विदेशी तस्करों को भी पकड़ा जा रहा है. हिमाचल में नशे के लिए लोग कुल्लू जिला के मलाणा व अन्य पहाड़ी इलाकों में सक्रिय रहते हैं. इसी साल की बात करें तो 28 फरवरी को कुल्लू के बंजार में 28 साल के युवा से चार किलो से अधिक चरस पकड़ी गई. इससे पहले 20 फरवरी को मर्णिकर्ण वैली में 10 किलो चरस पकड़ी. मई महीने में मणिकर्ण में ही पुलिस ने 2 लोगों से 9 किलो चरस बरामद की. अभी हाल ही में पांवटा साहिब में पुलिस ने 303 किलो गांजा पकड़ा था. ये अब तक की गांजे की सबसे बड़ी खेप था. ये खेप त्रिपुरा से ट्रक में लाई जा रही थी.

अब चिट्टे ने बढ़ाई चिंता

हिमाचल में युवा नशे के लिए चिट्टे का प्रयोग कर रहे हैं. इस पर विधानसभा में भी चिंता जताई जा चुकी है. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. खासकर, सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. पुलिस के अनुसार हिमाचल में विदेश से भी नशा तस्करी होती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में तैयार किए गए नशीले पदार्थ भारत स्मगल किए जाते हैं. भारत में हेरोइन का नशा इन्हीं तीन देशों से आ रहा है. चिट्टा भी हेरोइन का ही रूप है. वहां से यह क्रॉस बॉर्डर स्मगलिंग के जरिए दुबई, नेपाल के रास्ते भारत पहुंचता है.

हिमाचल में भी काफी मात्रा में हेरोइन और चिट्टा पकड़ा जा रहा है. चिट्टे के कारण कई युवाओं की जान जा चुकी है. राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में तीन युवाओं की मौत चिट्टे के सेवन से हुई है. एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष 2014 में 644 मामले सामने आए थे. वहीं, 2015 में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. उस साल 622 मामले आए. फिर 2016 में उछाल आया और पुलिस ने 929 मामले दर्ज किए. वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 1010 हो गया और 2018 में 1342 मामलों तक पहुंच गया. वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 1400 से अधिक हो गया था.

हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका, स्कूल में होता है नशे का सेवन

वर्ष 2018 में हिमाचल में एक हैरतनाक घटना हुई. सोलन जिला के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हार्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री के कैंपस में स्थित एक स्कूल के छात्रों द्वारा ड्रग्स लिए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने तब कड़ा संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश सोलन को आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल का निरीक्षण करें. उस समय हाईकोर्ट में रित्विक गौर व आशी गौर की तरफ से स्कूल में नशे के सेवन की खबर पर याचिका दाखिल की गई थी. स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि विद्यालय में छात्र और छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं वह लोग भांग व हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले इस तरह के नशेड़ी बच्चे अन्य बच्चों को यातनाएं देते हैं.

हाईकोर्ट ने जताई थी चिंता, उड़ता पंजाब बन जाएगा हिमाचल

पांच साल पहले की बात है. हिमाचल हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ एक के बाद एक कई बड़े फैसले दिए थे. यही नहीं, तब जुलाई महीने में हाईकोर्ट ने छह मामलों में चरस तस्करों को लेकर निचली अदालतों के फैसले पलटे थे. कुछ मामलों में हाईकोर्ट ने 15 से लेकर 25 साल कैद की सजा सुनाई थी. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार से स्थानीय निकाय चुनाव के नियमों को बदलने और चरस तस्करी में शामिल लोगों के रिश्तेदारों तक के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की व्यवस्था करने को कहा था.

हाईकोर्ट ने चिंता जताई थी कि यही हाल रहा तो प्रदेश उड़ता पंजाब बन जाएगा. नशे जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरुक करती आ रही हिमाचल ज्ञान-विज्ञान संस्था के पदाधिकारी जीयानंद शर्मा का कहना है कि युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृति खतरनाक है. जीयानंद शर्मा का मानना है कि इस बुराई से अकेले पुलिस या प्रशासन नहीं लड़ सकता. इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा. सबसे बड़ी भूमिका परिवार की है. यदि परिवार में बड़े लोगों को ये लगता है कि घर का नौजवान विचित्र व्यवहार कर रहा है और उसकी संगत गलत लोगों की है तो तुरंत सचेत हो जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: नशे की खेप बरामद, बल्ह पुलिस ने 70.69 ग्राम चिट्टा के साथ एक युवक को पकड़ा

शिमला: देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल के युवा नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं. यहां के युवा खून में नशे का जहर घुल रहा है. हाईकोर्ट भी इस पर चिंता जता चुका है. पुलिस के सक्रिय अभियान के बावजूद प्रदेश के युवा इस जहर के चंगुल में फंस रहे हैं. हालांकि हिमाचल सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ सख्ती बरतते हुए दो ग्राम भी चरस, गांजा या अफीम मिलने पर सीधे जेल जाने का प्रावधान किया है. फिर भी तमाम सख्तियां नाकाफी साबित हो रही हैं.

हाल ही की बात करें तो हिमाचल में नशे का इंटरनेशनल रैकेट भी सामने आया था. विदेशी तस्करों को भी पकड़ा जा रहा है. हिमाचल में नशे के लिए लोग कुल्लू जिला के मलाणा व अन्य पहाड़ी इलाकों में सक्रिय रहते हैं. इसी साल की बात करें तो 28 फरवरी को कुल्लू के बंजार में 28 साल के युवा से चार किलो से अधिक चरस पकड़ी गई. इससे पहले 20 फरवरी को मर्णिकर्ण वैली में 10 किलो चरस पकड़ी. मई महीने में मणिकर्ण में ही पुलिस ने 2 लोगों से 9 किलो चरस बरामद की. अभी हाल ही में पांवटा साहिब में पुलिस ने 303 किलो गांजा पकड़ा था. ये अब तक की गांजे की सबसे बड़ी खेप था. ये खेप त्रिपुरा से ट्रक में लाई जा रही थी.

अब चिट्टे ने बढ़ाई चिंता

हिमाचल में युवा नशे के लिए चिट्टे का प्रयोग कर रहे हैं. इस पर विधानसभा में भी चिंता जताई जा चुकी है. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. खासकर, सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. पुलिस के अनुसार हिमाचल में विदेश से भी नशा तस्करी होती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में तैयार किए गए नशीले पदार्थ भारत स्मगल किए जाते हैं. भारत में हेरोइन का नशा इन्हीं तीन देशों से आ रहा है. चिट्टा भी हेरोइन का ही रूप है. वहां से यह क्रॉस बॉर्डर स्मगलिंग के जरिए दुबई, नेपाल के रास्ते भारत पहुंचता है.

हिमाचल में भी काफी मात्रा में हेरोइन और चिट्टा पकड़ा जा रहा है. चिट्टे के कारण कई युवाओं की जान जा चुकी है. राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में तीन युवाओं की मौत चिट्टे के सेवन से हुई है. एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष 2014 में 644 मामले सामने आए थे. वहीं, 2015 में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. उस साल 622 मामले आए. फिर 2016 में उछाल आया और पुलिस ने 929 मामले दर्ज किए. वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 1010 हो गया और 2018 में 1342 मामलों तक पहुंच गया. वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 1400 से अधिक हो गया था.

हाईकोर्ट में दाखिल हुई याचिका, स्कूल में होता है नशे का सेवन

वर्ष 2018 में हिमाचल में एक हैरतनाक घटना हुई. सोलन जिला के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हार्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री के कैंपस में स्थित एक स्कूल के छात्रों द्वारा ड्रग्स लिए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने तब कड़ा संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश सोलन को आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल का निरीक्षण करें. उस समय हाईकोर्ट में रित्विक गौर व आशी गौर की तरफ से स्कूल में नशे के सेवन की खबर पर याचिका दाखिल की गई थी. स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि विद्यालय में छात्र और छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं वह लोग भांग व हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते हैं. स्कूल में पढ़ने वाले इस तरह के नशेड़ी बच्चे अन्य बच्चों को यातनाएं देते हैं.

हाईकोर्ट ने जताई थी चिंता, उड़ता पंजाब बन जाएगा हिमाचल

पांच साल पहले की बात है. हिमाचल हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ एक के बाद एक कई बड़े फैसले दिए थे. यही नहीं, तब जुलाई महीने में हाईकोर्ट ने छह मामलों में चरस तस्करों को लेकर निचली अदालतों के फैसले पलटे थे. कुछ मामलों में हाईकोर्ट ने 15 से लेकर 25 साल कैद की सजा सुनाई थी. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार से स्थानीय निकाय चुनाव के नियमों को बदलने और चरस तस्करी में शामिल लोगों के रिश्तेदारों तक के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की व्यवस्था करने को कहा था.

हाईकोर्ट ने चिंता जताई थी कि यही हाल रहा तो प्रदेश उड़ता पंजाब बन जाएगा. नशे जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरुक करती आ रही हिमाचल ज्ञान-विज्ञान संस्था के पदाधिकारी जीयानंद शर्मा का कहना है कि युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृति खतरनाक है. जीयानंद शर्मा का मानना है कि इस बुराई से अकेले पुलिस या प्रशासन नहीं लड़ सकता. इसके लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा. सबसे बड़ी भूमिका परिवार की है. यदि परिवार में बड़े लोगों को ये लगता है कि घर का नौजवान विचित्र व्यवहार कर रहा है और उसकी संगत गलत लोगों की है तो तुरंत सचेत हो जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: नशे की खेप बरामद, बल्ह पुलिस ने 70.69 ग्राम चिट्टा के साथ एक युवक को पकड़ा

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