शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने दुराचार के दोषी स्कूल अध्यापक को लोअर अदालत की तरफ से सुनाई गई दस साल कारावास की सजा को बरकरार रखा है. जिला सिरमौर में तैनात स्कूल अध्यापक जगतार सिंह ने नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म किया था. मामला छह साल पुराना है. सिरमौर जिले की निचली अदालत ने दोषी अध्यापक को दस साल कैद की सजा के साथ ही दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा है.
दोषी स्कूल अध्यापक जगतार सिंह को विशेष न्यायाधीश सिरमौर ने 10 वर्ष के कठोर कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी. जुर्माने की अदायगी न करने की सूरत में दोषी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास काटने के भी आदेश दिए गए थे. मामला छह वर्ष पूर्व का है. वर्ष 2016 में स्कूल की छुट्टी के बाद अंग्रेजी पढ़ाने वाले जगतार सिंह ने नाबालिग छात्रा को अखबार में लपेटा गया एक पैकेट दिया और कहा कि पैकेट को कमरे में रख दो. छात्रा जब कमरे में पहुंची तो अध्यापक पहले से ही वहां मौजूद था. जैसे ही नाबालिग छात्रा कमरे में दाखिल हुई अध्यापक ने कमरे के दरवाजे को कुंडी लगा कर बंद कर दिया.
अध्यापक की इस करतूत से दसवीं में पढ़ने वाली छात्रा घबरा गई और शोर मचाया. इस पर दोषी जगतार सिंह ने उसे जान से मार देने की धमकी दी. इसके बाद अध्यापक ने छात्रा से जबरन दुष्कर्म किया. धमकाए जाने के कारण छात्रा ने किसी को कुछ नहीं बताया. दुष्कर्म के दो महीने बाद जब पीड़िता की तबीयत खराब होनी शुरू हुई तो उसके चाचा ने छात्रा को हॉस्पिटल में दिखाया. डॉक्टर ने उसे एनिमिक बताया परंतु कुछ महीनों बाद छात्रा का पेट बढ़ने लगा तो परिजनों को संदेह हुआ. जांच में छात्रा गर्भवती पाई गई. इसके बाद दोषी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई. (school girl rape case in Sirmaur).
बाद में पीड़िता ने हॉस्पिटल में एक बच्चे को जन्म भी दिया. फोरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में दोषी ही बच्चे का पिता पाया गया. जांच कार्य पूरा होने के बाद अभियोजन पक्ष ने विशेष न्यायाधीश सिरमौर की अदालत में चालान पेश किया. अभियोजन पक्ष ने दोष साबित करने के लिए 15 गवाह पेश किए. अदालत ने आरोपी को दुष्कर्म के जुर्म का दोषी ठहराया और उपरोक्त सजा सुनाई. इस निर्णय को दोषी ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि अभियोजन पक्ष पूरे तरीके से दोषी के खिलाफ अभियोग साबित करने में सफल रहा है. हाईकोर्ट ने विशेष अदालत सिरमौर की तरफ से सुनाई गई दस साल के कारावास की सजा पर मुहर लगाई.
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