शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कीरतपुर-मनाली फोरलेन निर्माण के मलबे को गोबिंद सागर झील में डंप करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है. यही नहीं, अदालत ने इस मामले में वन विभाग के सचिव को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने इस संदर्भ में फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल की जनहित याचिका पर उपरोक्त आदेश पारित किए. मामले में अगली सुनवाई 12 जून को तय की गई है.
जनहित याचिका में प्रार्थी मदन लाल ने अदालत को बताया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कीरतपुर-मनाली सड़क को चौड़ा करने का कार्य एख ठेकेदार को सौंपा है. स्थानीय लोगों के सख्त एतराज के बावजूद फोरलेन निर्माण से निकला मलबा अवैध रूप से भाखड़ा बांध जलाशय फैंका जा रहा है. इस अवैध डंपिंग के खिलाफ समिति ने स्थानीय प्रशासन और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी एनएचएआई को कई बार शिकायत की.
प्रार्थी ने याचिका में कहा है कि बिलासपुर के बरमाणा और तुनहु में एम्स के पास मलबे को डंप किया जा रहा है. इसके अलावा रघुनाथपुरा-मंडी भराड़ी सड़क को चौड़ा करते समय निकले मलबे को भाखड़ा बांध के जलाशय में अवैध रूप से डंप किया जा रहा है. प्रार्थी के अनुसार अवैध डंपिंग से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि झील में मछलियां भी कम हो रही हैं. मछलियों की कमी का प्रमुख कारण गाद बढ़ना है. झील में गाद की वजह से बिलासपुर के सबसे बड़े जल निकाय गोबिंद सागर में मछलियों की विभिन्न प्रजातियों का प्रजनन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. जलाशय में मछलियों की कुल 51 जैसे सिल्वर कार्प, सिंहरा, महाशीर और जीआईडी आदि हैं.
हिमाचल प्रदेश रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के ठेकेदार पर मंडवान और अन्य नालों में मलबे के ट्रक को खाली करने का आरोप लगाया गया है. प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि गोबिंद सागर में अवैध डंपिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए और दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. मामले पर आगामी सुनवाई 12 जून को निर्धारित की गई है.
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