शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है. हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी समय कर्मचारियों का तबादला करने का हक रखती है. यही नहीं, अदालत ने कहा कि कर्मचारी किसी निश्चित समय अवधि के लिए एक ही जगह पर सेवाएं देने का हक नहीं रखते. दरअसल, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में तबादले से जुड़ा एक मामला आया था. वन विभाग के एक कर्मचारी ने महज 16 माह में ही हुए तबादले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश जारी किए. हाई कोर्ट ने किसी एक स्थान पर तीन साल के कार्यकाल को पूरा करने के मामले में स्पष्ट किया कि सरकार का ये हक है कि वो समय व जरूरत के अनुसार कर्मचारी का ट्रांसफर कर सकती है.
वन विभाग के कर्मचारी और याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में गुहार लगाने वाले प्रार्थी अब्दुल हमीद का तबादला एक साल चार महीने में ही कर दिया गया था. उससे याचिका के माध्यम से उस तबादला आदेश को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार जनहित अथवा प्रशासनिक आवश्यकता पड़ने पर कभी भी अपने कर्मचारियों के तबादले करने का हक रखती है. मामले के अनुसार प्रार्थी का तबादला चुराह वन मंडल से वाइल्ड लाइफ ब्लॉक खजियार के तुंदह के लिए किया गया. इसका कारण प्रशासनिक आवश्यकता बताया गया था और उसके आधार पर प्रार्थी को स्थानांतरित किया गया था. प्रार्थी का आरोप था कि उसे 1 साल 4 महीने के भीतर ही तब्दील कर दिया गया, जबकि सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी के आधार पर उसे 3 वर्ष के सामान्य कार्यकाल को पूरा किए बगैर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
प्रार्थी ने आरोप लगाया कि उसे डीओ नोट के आधार पर ट्रांसफर किया गया है. हाई कोर्ट ने प्रार्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी में एक कर्मचारी का सामान्य कार्यकाल 3 वर्ष तो है परंतु इसे पूर्ण जनादेश नहीं कहा जा सकता. सरकार अपने कर्मचारी को जनहित अथवा प्रशासनिक आवश्यकता पड़ने पर कभी भी बदलने का हक रखती है. सरकार ने प्रार्थी के तबादले को डीओ नोट के आधार पर करने के आरोप को भी नकार दिया था.
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