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Himachal Pradesh High Court: दफ्तर डी-नोटिफाई करने को चुनौती देने वाले मामले में सुनवाई टली

सुक्खू सरकार द्वारा दफ्तरों को डी-नोटिफाई करने के मामले में भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप और पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने हाई कोर्ट में चुनौती है. वहीं, हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई टल गई है. (Himachal Pradesh High Court)

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट. (फाइल फोटो).
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Published : Jan 11, 2023, 8:11 PM IST

शिमला: राज्य में कांग्रेस सरकार ने पूर्व सरकार के समय खोले गए दफ्तरों को डी-नोटिफाई किया है. सुखविंदर सिंह सरकार के इस फैसले को भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप और पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने हाई कोर्ट में चुनौती है. हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई टल गई है. अब विंटर वेकेशन के बाद ये याचिका सुनी जाएगी. याचिका में कांगड़ा जिला के जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव से पूर्व खोले गए एसडीएम कार्यालय कोटला बेहड़ और रक्कड़ के अलावा डाडासीबा ब्लॉक कार्यालय (Dadasiba Block Office) को बंद करने वाले आदेश को चुनौती दी गई है. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप और जसवां-परागपुर के विधायक बिक्रम ठाकुर ने याचिका में कहा है कि कांग्रेस सरकार ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार के फैसलों को रद्द किया है. (Himachal Pradesh High Court)

उन्होंने अदालत से इन फैसलों को गैरकानूनी ठहराने की गुहार लगाई है. सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने प्रार्थियों की जनहित याचिका दायर करने की योग्यता पर सवाल उठाते हुए याचिका को गुणवत्ताहीन बताया. वहीं, अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से याचिकाओं में पाई गई त्रुटियों को दूर करने और कुछ संशोधन करने की अनुमति मांगी गई थी. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह अनुमति देते हुए मामले पर सुनवाई सर्दियों की छुट्टियों के बाद निर्धारित की है. हाई कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर मामले की सुनवाई छुट्टियों के दौरान बैठने वाली वेकेशन बेंच के समक्ष करने की छूट भी दी है. प्रार्थीयों की ओर से याचिका में आरोप लगाया गया है कि नई सरकार ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार द्वारा नए कार्यालयों को डी-नोटिफाई करने का फैसला ले लिया.

याचिका में कहा गया कि कैबिनेट के फैसले को कैबिनेट ही रद्द करने की शक्ति रखती है. नई सरकार द्वारा जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के फैसले को निरस्त नहीं किया सकता. याचिकाओं में दलील दी गई है कि नई सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत कार्य किया है. राज्य सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को निरस्त करने की गुहार लगाई है. प्रार्थियों का कहना है कि पूर्व सरकार ने सभी फैसले कैबिनेट के माध्यम से कानून के दायरे में रहकर लिए थे. 12 दिसंबर को राज्य सरकार ने अप्रैल 2022 के बाद खोले गए कई संस्थानों को बंद करने के आदेश पारित किए हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नई सरकार द्वेष की भावना से कार्य कर रही है.

ये भी पढ़ें- David Warner Post on Dharamshala Cricket Stadium: डेविड वॉर्नर ने धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम की तस्वीर की साझा, फैंस से पूछा ये सवाल

शिमला: राज्य में कांग्रेस सरकार ने पूर्व सरकार के समय खोले गए दफ्तरों को डी-नोटिफाई किया है. सुखविंदर सिंह सरकार के इस फैसले को भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप और पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने हाई कोर्ट में चुनौती है. हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई टल गई है. अब विंटर वेकेशन के बाद ये याचिका सुनी जाएगी. याचिका में कांगड़ा जिला के जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव से पूर्व खोले गए एसडीएम कार्यालय कोटला बेहड़ और रक्कड़ के अलावा डाडासीबा ब्लॉक कार्यालय (Dadasiba Block Office) को बंद करने वाले आदेश को चुनौती दी गई है. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप और जसवां-परागपुर के विधायक बिक्रम ठाकुर ने याचिका में कहा है कि कांग्रेस सरकार ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार के फैसलों को रद्द किया है. (Himachal Pradesh High Court)

उन्होंने अदालत से इन फैसलों को गैरकानूनी ठहराने की गुहार लगाई है. सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने प्रार्थियों की जनहित याचिका दायर करने की योग्यता पर सवाल उठाते हुए याचिका को गुणवत्ताहीन बताया. वहीं, अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से याचिकाओं में पाई गई त्रुटियों को दूर करने और कुछ संशोधन करने की अनुमति मांगी गई थी. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह अनुमति देते हुए मामले पर सुनवाई सर्दियों की छुट्टियों के बाद निर्धारित की है. हाई कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर मामले की सुनवाई छुट्टियों के दौरान बैठने वाली वेकेशन बेंच के समक्ष करने की छूट भी दी है. प्रार्थीयों की ओर से याचिका में आरोप लगाया गया है कि नई सरकार ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार द्वारा नए कार्यालयों को डी-नोटिफाई करने का फैसला ले लिया.

याचिका में कहा गया कि कैबिनेट के फैसले को कैबिनेट ही रद्द करने की शक्ति रखती है. नई सरकार द्वारा जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के फैसले को निरस्त नहीं किया सकता. याचिकाओं में दलील दी गई है कि नई सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत कार्य किया है. राज्य सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को निरस्त करने की गुहार लगाई है. प्रार्थियों का कहना है कि पूर्व सरकार ने सभी फैसले कैबिनेट के माध्यम से कानून के दायरे में रहकर लिए थे. 12 दिसंबर को राज्य सरकार ने अप्रैल 2022 के बाद खोले गए कई संस्थानों को बंद करने के आदेश पारित किए हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नई सरकार द्वेष की भावना से कार्य कर रही है.

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