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अदालत से तारीख पर तारीख मांग रही थी सरकार, हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए हेल्थ सेक्रेटरी को दी ये चेतावनी - हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने चयनित चिकित्सकों को नियुक्ति नहीं देने पर सख्त टिप्पणी की है. अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वे शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि चयनित चिकित्सकों को नियुक्ति क्यों नहीं दी गई है. पढे़ं पूरा मामला...

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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Published : May 15, 2023, 9:50 PM IST

शिमला: राज्य सरकार द्वारा डॉक्टर्स को नियुक्ति पत्र देने से जुड़े एक मामले में देरी करने और तारीख पर तारीख मांगने को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. यही नहीं, अदालती आदेश की अनुपालना न होने पर हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को कड़े एक्शन की चेतावनी भी दी है. दरअसल, डॉक्टर्स की नियुक्ति को लेकर पूर्व में वॉक-इन-इंटरव्यू की प्रक्रिया अमल में लाई जाती थी. उस प्रक्रिया में सिलेक्ट हुए डॉक्टर्स को सरकार नियुक्ति पत्र नहीं दे रही थी.

सिलेक्ट हुए डॉक्टर्स ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो अदालत ने राज्य सरकार को नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए. डॉक्टर्स को नियुक्ति पत्र फिर भी नहीं मिले और हर पेशी पर सरकार अगली तारीख मांगती रही. इस तरह तारीख पर तारीख मांगने से हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई और अब स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी को निजी तौर पर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इस मामले में प्रार्थी डॉक्टर ऐश्वर्या ठाकुर और अन्य डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए. प्रार्थी डॉक्टर विगत छह माह से हाई कोर्ट में अपने पक्ष में फैसले की अनुपालना की राह देख रहे हैं. आदेश की अनुपालना न होने पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य सचिव को कड़ी चेतावनी दी है. अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अब भी उचित शपथपत्र दाखिल न हुआ तो हाई कोर्ट प्रतिकूल आदेश जारी करेगा. उल्लेखनीय है कि वॉक-इन-इंटरव्यू में चयनित डॉक्टर्स को हाई कोर्ट ने 17 नवम्बर 2022 को जारी आदेश में सरकार को 2 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने को कहा था.

अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना के लिए 30 दिसंबर की तारीख रखी थी. तब 30 दिसंबर 2022 को सरकारी वकील ने आदेशों की अनुपालना के लिए अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की थी. फिर हाई कोर्ट ने ये मामला अनुपालना के लिए 7 जनवरी 2023 को निर्धारित किया था. इसके बाद भी प्रार्थियों को नियुक्ति देने की बजाय सरकार की तरफ से तारीख पे तारीख मांगी जाती रही. इस बीच, 6 अप्रैल 2023 को सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि वह हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है. ऐसे में एक बार फिर से तारीख की मांग की गई.

उसके बाद 27 अप्रैल को मामले पर सुनवाई करते हुए अनुपालना न होने पर सरकार को संबंधित सचिव का नाम कोर्ट को बताने को कहा गया था. मामले में 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि आदेशों पर अमल न करने वाली सरकारी वकील की दलील गुमराह करने वाली है. इसके बाद सरकार की ओर से बताया गया कि स्वास्थ्य सचिव का नाम एम. सुधा देवी है. इस पर हाई कोर्ट ने उक्त आईएएस अधिकारी को हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालना न करने के कारण स्पष्ट करने के आदेश दिए. खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक हाई कोर्ट के आदेश सुप्रीम कोर्ट से स्थगित अथवा निरस्त नहीं हो जाते तब तक उसके आदेशों का पालन और अनुपालना करना सरकार का कर्तव्य है. मामले पर सुनवाई 31 मई को निर्धारित की गई है.

Read Also- BJP News : कर्नाटक में हार के बाद मंथन में जुटी भाजपा, राज्य में हो सकते हैं बदलाव

शिमला: राज्य सरकार द्वारा डॉक्टर्स को नियुक्ति पत्र देने से जुड़े एक मामले में देरी करने और तारीख पर तारीख मांगने को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. यही नहीं, अदालती आदेश की अनुपालना न होने पर हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को कड़े एक्शन की चेतावनी भी दी है. दरअसल, डॉक्टर्स की नियुक्ति को लेकर पूर्व में वॉक-इन-इंटरव्यू की प्रक्रिया अमल में लाई जाती थी. उस प्रक्रिया में सिलेक्ट हुए डॉक्टर्स को सरकार नियुक्ति पत्र नहीं दे रही थी.

सिलेक्ट हुए डॉक्टर्स ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो अदालत ने राज्य सरकार को नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए. डॉक्टर्स को नियुक्ति पत्र फिर भी नहीं मिले और हर पेशी पर सरकार अगली तारीख मांगती रही. इस तरह तारीख पर तारीख मांगने से हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई और अब स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी को निजी तौर पर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने इस मामले में प्रार्थी डॉक्टर ऐश्वर्या ठाकुर और अन्य डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए. प्रार्थी डॉक्टर विगत छह माह से हाई कोर्ट में अपने पक्ष में फैसले की अनुपालना की राह देख रहे हैं. आदेश की अनुपालना न होने पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की स्वास्थ्य सचिव को कड़ी चेतावनी दी है. अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अब भी उचित शपथपत्र दाखिल न हुआ तो हाई कोर्ट प्रतिकूल आदेश जारी करेगा. उल्लेखनीय है कि वॉक-इन-इंटरव्यू में चयनित डॉक्टर्स को हाई कोर्ट ने 17 नवम्बर 2022 को जारी आदेश में सरकार को 2 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने को कहा था.

अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना के लिए 30 दिसंबर की तारीख रखी थी. तब 30 दिसंबर 2022 को सरकारी वकील ने आदेशों की अनुपालना के लिए अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की थी. फिर हाई कोर्ट ने ये मामला अनुपालना के लिए 7 जनवरी 2023 को निर्धारित किया था. इसके बाद भी प्रार्थियों को नियुक्ति देने की बजाय सरकार की तरफ से तारीख पे तारीख मांगी जाती रही. इस बीच, 6 अप्रैल 2023 को सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि वह हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है. ऐसे में एक बार फिर से तारीख की मांग की गई.

उसके बाद 27 अप्रैल को मामले पर सुनवाई करते हुए अनुपालना न होने पर सरकार को संबंधित सचिव का नाम कोर्ट को बताने को कहा गया था. मामले में 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि आदेशों पर अमल न करने वाली सरकारी वकील की दलील गुमराह करने वाली है. इसके बाद सरकार की ओर से बताया गया कि स्वास्थ्य सचिव का नाम एम. सुधा देवी है. इस पर हाई कोर्ट ने उक्त आईएएस अधिकारी को हाई कोर्ट के आदेशों की अनुपालना न करने के कारण स्पष्ट करने के आदेश दिए. खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक हाई कोर्ट के आदेश सुप्रीम कोर्ट से स्थगित अथवा निरस्त नहीं हो जाते तब तक उसके आदेशों का पालन और अनुपालना करना सरकार का कर्तव्य है. मामले पर सुनवाई 31 मई को निर्धारित की गई है.

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