शिमला: हिमाचल में विधानसभा चुनावों (Himachal Pradesh Assembly Election 2022) के नतीजे आने के लिए अब कुछ दिन ही बचे हैं. ईवीएम में जनता द्वारा कैद कि गई प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला 8 दिसंबर को सामने आ जाएगा. भाजपा दावा कर रही है कि हिमाचल में पिछले 37 सालों से बारी-बारी सरकार बनने का रिवाज इस बार टूट जाएगा. लेकिन क्या सीएम जयराम समेत कैबिनेट के सभी मंत्री जो इस बार भी चुनावी दंगल में उतरे हैं, वो अपनी साख बचा पाएंगे या नहीं ?
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर: साल 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सराज विधानसभा सीट पर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश भर की निगाहें टिकी हुई हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लगातार छठी जीत हासिल करने की तैयारी में हैं. वहीं, कांग्रेस 1993 के बाद से सराज में खाता खोलना चाह रही है. सराज विधानसभा क्षेत्र में कहने को तो 6 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असल में लड़ाई भाजपा उम्मीदवार जयराम ठाकुर और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पूर्व में दो बार रहे मिल्क फेड के चेयरमैन चेतराम ठाकुर के बीच ही है.
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज: हिमाचल की राजनीति का एक बड़ा चेहरा और सूबे की सियासत की बखूबी समझ रखने वाले सुरेश भारद्वाज इस बार कसुम्पटी विधानसभा से चुनाव के लिए खड़े हैं. इससे पहले वह शिमला शहरी सीट से लड़ते आए हैं और लगातार तीन बार वहां कांग्रेस को पटखनी दे चुके हैं. लेकिन इस बार क्या सुरेश भारद्वाज कसुम्पटी सीट को भाजपा की झोली में डाल पाएंगे ये देखना दिलचस्प होगा. खैर यहां ये कहना कतई गलत नहीं होगा की शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कसुम्पटी सीट पर उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के दो बार विधायक रहे अनिरुद्ध सिंह के साथ है.
स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल: कसौली विधानसभा सीट से विधायक और प्रदेश सरकार में वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल सूबे की राजनीति का एक बड़ा चेहरा है. इस सीट से लगातार तीन चुनाव राजीव सैजल जीत चुके हैं और चौथी बार फिर मैदान में हैं. जबकि कसौली से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी तीसरी बार चुनावी रण में उतरें हैं. 2012 में डॉ. सैजल और विनोद सुल्तानपुरी के बीच जीत का मार्जिन काफी कम था. जिसमें 24 वोटों से डॉ सैजल जीत गए थे. वहीं, 2017 में भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही. जिसमें फिर डॉ. सैजल ने 442 वोट से जीत दर्ज की और तीसरी बार कसौली से विधायक बने. इस बार भी फिर दोनों प्रत्याशी मैदान में हैं और फिर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. खैर मंत्री राजीव सैजल इस बार जीत का चौका लगा पाएंगे या नहीं ये देखना काफी दिलचस्प होगा.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री सरवीन चौधरी: शाहपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सरवीण चौधरी के जीत लगभग तय मानी जा रही है, क्योंकि हर बार की तरह चुनावी दंगल में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर सरवीण के सामने खड़े होने वाले मेजर विजय सिंह मनकोटिया इस बार सरवीण के साथ हाथ मिला चुके है. ऐसा माना जा रहा है कि इन विधानसभा चुनावों में मेजर के समर्थकों ने भी सरवीण चौधरी का साथ दिया है. वहीं, बात अगर कांग्रेस उम्मीदवार केवल सिंह पठानिया की करें तो पिछले विधानसभा चुनावों में केवल सिंह को कांग्रेस पार्टी ने टिकट तो दिया था, लेकिन उन्हें केवल 16,333 हजार वोट ही मिले थे. खैर इस बार क्या होंगे इस सीट के नतीजे ये आने वाला वक्त ही बताएगा.
तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा: जिला लाहौल स्पीति की एकमात्र सीट का मुकाबला इस बार काफी दिलचस्प है. इस बार लाहौल स्पीति विधानसभा में 73.75 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां पर भाजपा की ओर से तकनीकी शिक्षा मंत्री रामलाल मारकंडा चुनावी मैदान में हैं तो वहीं, कांग्रेस ने रवि ठाकुर पर अपना भरोसा जताया है. पिछले चुनावों में भी रामलाल मारकंडा और रवि ठाकुर के बीच ही मुकाबला था. उस वक्त इस सीट से रामलाल मारकंडा ने जीत हासिल की थी. क्या इस बार भी तकनीकी शिक्षा मंत्री अपनी सीट बचा पाएंगे ये देखना दिलचस्प होगा.
पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर: 58 वर्षीय वरेंद्र कंवर हिमाचल की राजनीति का एक बड़ा चेहरा हैं. वह वर्तमान में ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन विभाग के मंत्री हैं. साल 2017 का चुनाव भाजपा के वीरेंद्र कंवर ने कांग्रेस के विवेक शर्मा को हराकर जीता था. वीरेंद्र कंवर इस सीट पर पिछले चार चुनाव यानी 2003 से लगातार जीतते आ रहे हैं. वीरेंद्र कंवर इस सीट पर पिछले चार चुनाव यानी 2003 से लगातार जीतते आ रहे हैं. ऐसे में इस बार अपनी जीत को बरकरार रखना उनके लिए साख का सवाल है. 49 वर्षीय देवेंद्र कुमार भुट्टो के साथ उनका इस बार मुकाबला है. क्या वीरेंद्र कंवर अपनी जीत को बरकरार रख पाएगें या फिर कांग्रेस बाजी पलट देगी ये 8 दिसंबर को पता चल जाएगा.
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह: बिक्रम सिंह को राजनीति का लंबा अनुभव है. बिक्रम सिंह हिमाचल प्रदेश के उद्योग, परिवहन, श्रम और रोजगार मंत्री हैं. 2017 में बिक्रम सिंह ने जसवां परागपुर से जीत हासिल की. 2012 विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के बिक्रम सिंह जीते थे. लगातार दो चुनाव बिक्रम सिंह जीत रहे हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी सुरिंदर सिंह मनकोटिया भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. मनकोटिया हिमाचल प्रदेश के बड़े राजनीतिक चेहरों में से एक हैं. ऐसे में इस बार अपनी जीत को बरकरार रखना उनके लिए साख का सवाल है.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह: मनाली विधानसभा सीट पर गोविंद सिंह ठाकुर तीन बार लगातार जीत रहे हैं. बीते 15 सालों से गोविंद ठाकुर ही यहां विधानसभा चुनावों में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं. ऐसे में इस बार भी अपनी इस जीत को बरकरार रख पाना संभव होगा या नहीं ये तो 8 दिसंबर को ही पता चल पाएगा. कांग्रेस के उम्मीदवार भुवनेश्वर गौड़ से उनका मुकाबला है.
ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी: पांवटा साहिब विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. भाजपा ने वर्तमान विधायक सुखराम चौधरी को दोबारा मौका दिया है, जबकि कांग्रेस ने किरनेश जंग पर दांव लगाया है. 2017 और 2012 के चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार सुखराम चौधरी ने कांग्रेस के किरनेश जंग को मात दी थी. ऐसे में इस बार सुखराम चौधरी अपनी सीट को बचाने में कामयाब होंगे या नहीं ये बोल पाना अभी मुश्किल है.
वन मंत्री राकेश पठानिया: इस बार नूरपुर के विधायक और जयराम सरकार में वन मंत्री राकेश पठानिया फतेहपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट की हमेशा से यह खासियत रही है कि इस सीट पर किसी भी बाहरी व्यक्ति ने जीत दर्ज नहीं की है. ऐसे में अब यह देखना रोचक होगा कि भाजपा हाई कमान ने जो राकेश पठानिया की ट्रांसफर की है, उसका कितना फायदा भाजपा को मिलता है.
खाद्य मंत्री राजेन्द्र गर्ग: जयराम सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले मंत्री राजेन्द्र गर्ग घुमारवीं विधानसभा सीट से पिछला चुनाव जीते थे. कांग्रेस के राजेश धर्माणी घुमारवीं विधानसभा सीट से लगातार दो बार (2007 और 2012) चुनाव जीते चुके हैं लेकिन 2017 में यह सीट उनके हाथ से निकल गई. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र गर्ग को जीत मिली थी. इस बार गर्ग के करीबी रहे राकेश चोपड़ा आम आदमी पार्टी से चुनावी मैदान में कूदे हैं. ऐसे में घुमारवीं सीट का त्रिकोणीय मुकाबले पर सभी की निगाहें हैं.
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