शिमला: कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जिला परिषद कर्मचारियों को पंचायती राज या ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज करने के साथ ही उनकी मांगें मानने का वादा किया था. राज्य में नौ माह का वक्त कांग्रेस की सरकार बने हो चुका है, सरकार ने इन कर्मचारियों को न तो छठा वेतनमान दिया है और न ही डीए की कोई किस्त दी है. यही नहीं सरकार एक साल पहले दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके जिला परिषद कर्मचारियों को रेगुलर भी नहीं कर रही. वहीं, सरकार ने इस वर्ग के कर्मचारियों का स्टेट कैडर बना दिया है.
सरकार के इस फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है. कर्मचारियों ने अब आर पार की लड़ाई लड़ने का पूरा मन बना लिया है. इसके तहत जिला परिषद कर्मचारी अभी मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे. कर्मचारियों ने सरकार से साफ कहा है कि अगर फिर भी उनके हक को नहीं दिया गया तो आंदोलन तेज करेंगे. हिमाचल सरकार ने जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को अभी तक उनके वित्तीय लाभ नहीं दिए हैं. सरकार ने एक ओर जहां सभी विभागों और अन्य कर्मचारियों को 2016 से छठा वेतनमान दे दिया है, वहीं इन कर्मचारियों को पांचवें वेतन आयोग के आधार पर वेतन जारी किया जा रहा है. इससे इन कर्मचारियों को हर माह हजारों का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
अन्य कर्मचारियों को 2016 से दिया गया नया वेतनमान: प्रदेश में सभी कर्मचारियों को दिसंबर 2021 में संशोधित वेतनमान जारी करने का ऐलान तत्कालीन जयराम सरकार ने किया था. यही नहीं इन कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान जनवरी 2016 से देय है. हालांकि 2016 से 2022 तक का यह एरियर कर्मचारियों का किस्तों में मिलेगा जिसकी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 60 हजार की किस्त जारी की गई थी जबकि तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 50 हजार की किस्त दी गई थी. बाकी राशि भी किस्तों में दी जानी है. संशोधित वेतन मान 2022 से अब हिमाचल में सभी कर्मचारियों को दिया जा रहा है. मगर जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को नया वेतनमान लटकाया गया है. बताया जा रहा कि इन कर्मचारियों की फाइल वित्त विभाग के पास लंबित पड़ी है.
नव नियुक्त कर्मचारियों का नया स्केल दे रही सरकार: जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों की मानें तो उनके साथ सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है. एक ओर जिला परिषद कैडर में साल 2022 में नियुक्त करीब 412 पंचायत सचिवों को सरकार नया वेतनमान के साथ डीए की किस्त भी जारी कर चुकी है. जबकि इससे पहले के नियुक्त कर्मचारियों को न तो संशोधित वेतनमान और न ही डीए की किस्त जारी की जा रही है.
सरकार ने नहीं जारी नहीं की डीए की किस्त: प्रदेश के जिला परिषद कैडर कर्मचारियों को सरकार ने डीए किस्त भी नहीं दी है जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों को बीते अप्रैल माह में डीए की 3 फीसदी किस्त दी गई थी. मगर जिला परिषद के कर्मचारी डीए की इस किस्त से भी वंचित हैं. दरअसल इन कर्मचारियों को आखिरी बार पूर्व जयराम सरकार के समय में ही डीए मिली थी. लेकिन जनवरी 2022 के बाद इन कर्मचारियों को एक भी डीए किस्त नहीं दी गई है.
दो साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने वाले कर्मचारी नहीं किए रेगुलर: प्रदेश अनुबंध कर्मचारियों को दो साल के बाद नियमित करने का प्रावधान है. अनुबंध कर्मियों को साल में दो बार रेगुलर किया जाता है. सभी विभागों में कार्यरत 31 मार्च और 30 सितंबर दो बार दो साल पूरा करने पर कर्मचारियों को रेगुलर किया जाता रहा है. लेकिन जिला परिषद कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने बीते सितंबर 2022 के बाद इस वर्ग के कर्मचारियों को रेगुलर नहीं किया है. अभी तक करीब 50 कर्मचारी हैं जो कि दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, इसके अलावा अब 30 सितंबर को दो साल का कार्यकाल कई अन्य कर्मचारी इस वर्ग के पूरा कर जाएंगे. इसको लेकर भी कर्मचारियों ने भारी रोष है.
मनरेगा कंटीजेंसी स्कीम के कर्मचारियों के लिए भी दोहरे मापदंड: जिला परिषद कैडर के तहत करीब 1200 तकनीकी सहायक नियुक्त हैं, जिनमें से 470 कर्मचारियों को मनरेगा कंटीजेंसी स्कीम में शामिल किया गया है. इन कर्मचारियों को न तो संशोधित वेतनमान दिया गया है और ही डीए. इसके विपरीत मनरेगा कंटीजेंसी स्कीम के तहत कार्यरत करीब 1100 ग्राम रोजगार सेवकों को सरकार संशोधित वेतनमान जारी कर रही है. जिला परिषद कैडर पंचायत सचिव संगठन के राज्य अध्यक्ष अमित जसरोटिया ने कहा है कि कंटीजेंसी स्कीम के तहत कार्य कर रहे तकनीकी सहायकों को नए वेतनमान और डीए से वंचित रखा गया है जबकि इसी योजना के तहत कार्यरत ग्राम रोजगार सेवकों को नया वेतनमान और डीए किस्त दी जा रही है. इस तरह एक ही स्कीम के तहत नियुक्त कर्मचारियों में सरकार भेदभाव कर रही है.
उन्होंने कहा कि इसी तरह सरकार ने जिला परिषद कैडर के तहत 2022 में नियुक्त पंचायत सचिवों को भी संशोधित वेतनमान और डीए की किस्त जारी कर दी है, लेकिन बाकी पंचायत सचिवों और अन्य कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया है. अमित जसरोटिया ने कहा कि वे किसी को संशोधित वेतनमान और अन्य वित्तीय लाभ देने के विरोध में नहीं है, लेकिन यह लाभ सभी को मिलना चाहिए.उन्होंने कहा कि सरकार दो साल का कॉन्ट्रैक्ट पूरा कर चुके जिला परिषद कैडर कर्मचारियों को भी नियमित नहीं कर रही, जबकि बाकी कर्मचारियों को दो साल बाद नियमित किया जा रहा है.
जिला परिषद कर्मचारियों को विभाग में मर्ज करे सरकार: जिला परिषद कैडर पंचायत सचिव संगठन के राज्य अध्यक्ष अमित जसरोटिया ने कहा है कि इस वर्ग के कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग या ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज किया जाना चाहिए, इससे इन सभी समस्याओं का हल हो सकेगा. उन्होंने कहा कि इस वर्ग के कर्मचारी लंबे समय से सरकार से विभाग में मर्ज करने के साथ ही संशोधित वेतनमान और अन्य वित्तीय लाभ देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार केवल आश्वासन दे रही है. ऐसे में कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ रही है. कर्मचारियों ने फिलहाल मानसून सत्र के दौरान विधानसभा घेराव करने का फैसला लिया है. प्रदेश भर से कर्मचारी विधानसभा का घेराव करेंगे.
सामूहिक अवकाश पर भी रह चुके हैं कर्मचारी: हिमाचल में जिला परिषद कैडर कर्मचारियों बीते जून माह में एक दिन का सामूहिकअवकाश भी कर चुके हैं. इससे पहले जयराम सरकार के कार्यकाल में भी ये कर्मचारी 12 दिन की हड़ताल पर चले गए थे. लेकिन सरकार के आश्वासन के बाद ये कर्मचारी काम पर लौटे. लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि जिस तरह के दोहरे मापदंड उनके साथ अपनाए जा रहे हैं, उससे उनको मजबूर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है. जिला परिषद कैडर की कर्मचारियों की संख्या मौजूदा समय में करीब 4700 हैं. ये कर्मचारी सरकारी की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को ग्राउंड लेवल पर उतारने का काम कर रहे हैं. यही नहीं स्टाफ की कमी के चलते एक एक पंचायत सचिवों और अन्य कर्मचारियों के पास दो से तीन पंचायतों का भी काम है. ऐसे में अगर ये कर्मचारी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करते हैं तो इससे लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है.
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