शिमला: हिमाचल प्रदेश के चर्चित जेओए आईटी पेपर लीक मामले में आरोपी नितिन आजाद को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है. हिमाचल हाईकोर्ट ने पहले ही नितिन आजाद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. नितिन आजाद ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के के बाद प्रार्थी नितिन आजाद ने अपनी चुनौती याचिका वापस ले ली. इस कारण याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई.
जमानत के लिए पहले नितिन आजाद ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जमानत याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि प्रार्थी पर लगे आरोप गंभीर हैं. ऐसे में आरोपों की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल उसे जमानत पर छोड़ा जाना उचित नहीं होगा. हाईकोर्ट के इसी फैसले को नितिन आजाद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिए चुनौती दी थी, लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली.
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी नितिन आजाद के खिलाफ राज्य विजिलेंस के पुलिस थाना हमीरपुर में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7ए, 8, 12 और 13(1)(ए) और आईपीसी की धारा 420, 201 और 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया है. अभिलाष कुमार नामक शख्स की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
पुलिस को शिकायत की गई कि संजीव कुमार उर्फ संजय ने उसे जेओए (आईटी), पोस्ट कोड संख्या 965 की परीक्षा के पेपर चार लाख रुपये में बेचने की बात कही थी. उसके बाद शिकायतकर्ता ने संजीव कुमार उर्फ संजय की बातचीत रिकॉर्ड करनी शुरू कर दी. उसके बाद प्रश्न पत्र का सौदा ढाई लाख रुपये में तय हुआ. प्रश्न पत्र के लिए संजीव कुमार ने शिकायतकर्ता का परिचय निखिल नाम के व्यक्ति से करवाया. इसके बाद संजीव कुमार और निखिल ने प्रश्न पत्र और आंसर की यानी उत्तर कुंजी उपलब्ध कराने की पेशकश की.
पुलिस ने मामले की जांच के बाद संजीव कुमार उर्फ संजय, निखिल, नीरज और उमा आजाद को गिरफ्तार किया. मामले की आगामी जांच में नितिन आजाद भी आरोपी पाया गया और उसके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया. नितिन आजाद इसी मामले की मुख्य आरोपी उमा आजाद का बेटा है. इसी पेपर लीक के बाद राज्य सरकार ने हमीरपुर स्थित अधीनस्थ कर्मचारी सेवाएं आयोग को बंद किया था.
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