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हाई कोर्ट की सख्ती, वित्तीय लाभ न देने पर अदालत में तलब किए ट्रेजरी ऑफिसर - अदालत में तलब किए ट्रेजरी ऑफिसर

प्रदेश उच्च न्यायालय ने अदालती आदेशों की अनुपालना न करने पर शिमला के ट्रेजरी ऑफिसर को कोर्ट के समक्ष तलब (Himachal High Court summoned treasury officer) किया है. साथ ही उससे पूछा है कि अदालती आदेशों की अवहेलना करने पर क्यों न उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही चलाई जाए ? कोर्ट ने प्रार्थी के सभी वित्तीय सेवा लाभों को 24 घंटे के भीतर अदा करने के भी आदेश जारी किए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
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Published : Dec 29, 2022, 7:35 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालती आदेश की अवहेलना पर सख्ती दिखाई है. हाई कोर्ट ने शिमला जिला के कोषाधिकारी यानी ट्रेजरी ऑफिसर को अदालत में तलब किया है. यही नहीं, अदालत ने ये भी पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए ? हाई कोर्ट ने ट्रेजरी ऑफिसर को प्रार्थी के सभी वित्तीय लाभों को 24 घंटे के भीतर अदा करने का आदेश भी दिया है. इसी केस की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त को आदेश जारी किए थे कि वह 12 दिसंबर से पहले ट्रिब्यूनल के आदेशों की अनुपालना करें.

आबकारी एवं कराधान विभाग की तरफ से प्रार्थी को दिए जाने वाले सभी वित्तीय लाभों के भुगतान करने के लिए बिल ट्रेजरी विभाग को भेजा गया. वहां ट्रेजरी ऑफिसर ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रार्थी को 3 वर्ष से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई. हाई कोर्ट ने इसे अदालती आदेशों की अवमानना का मामला पाया और ट्रेजरी ऑफिसर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाने के लिए आदेश पारित कर दिए.

मामले के अनुसार 16 नवंबर 2016 को तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए वर्ष 1974 में बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत लाभ देने के आदेश जारी किए थे. वित्तीय लाभ भी प्रमोशन की तारीख से दिए जाने के आदेश जारी किए थे. ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुपालना में प्रार्थी को 22 जुलाई 1994 से वरिष्ठ सहायक फिर 20 फरवरी 2006 से अधीक्षक ग्रेड 2 के पद पर और बाद में 12 अगस्त 2009 से आबकारी एवं कराधान अधिकारी के तौर पर प्रमोट तो कर दिया गया मगर उसके वित्तीय लाभ देने के लिए अलग ही फैसला लिया गया.

प्रार्थी ने इस निर्णय के खिलाफ प्रतिवादियों को प्रतिवेदन भेजा, लेकिन इसी संदर्भ में वर्ष 2022 में दायर की गई अनुपालना याचिका के बाद 29 अक्टूबर 2022 को उसके प्रतिवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशानुसार वह केवल 3 साल के ही वित्तीय लाभ लेने का हक रखता है. इस पर हाई कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि आबकारी एवं कराधान आयुक्त प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ गया जबकि प्रशासनिक प्राधिकरण ने अपने आदेशों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा था कि प्रार्थी के वित्तीय लाभों को केवल 3 साल के लिए ही मान्य किया गया है.

हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया था कि 12 दिसंबर 2022 से पहले पहले प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना की जाए, नहीं तो दोनों प्रतिवादीगण उनके खिलाफ अदालती आदेशों की अवहेलना के लिए चलाए जाने वाली कार्रवाई के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हों. अदालत की सख्ती और अवमानना की कार्रवाई के डर से विभाग ने प्रार्थी के सभी सेवा लाभ देने के आदेश पारित कर बिल ट्रेजरी ऑफिस के लिए भुगतान के लिए भेजा तो ट्रेजरी ऑफिस में 3 साल से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई. साथ ही प्रार्थी के वित्तीय लाभ अदा करने से साफ तौर पर मना कर दिया अब आगामी सुनवाई दो जनवरी को तय की गई है और ट्रेजरी ऑफिसर को अदालत में पेश होना होगा.

ये भी पढ़ें: जयराम सरकार के दिए सेवा विस्तार को वापिस लेने के खिलाफ दाखिल की थी याचिका, हाई कोर्ट में हुई खारिज

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालती आदेश की अवहेलना पर सख्ती दिखाई है. हाई कोर्ट ने शिमला जिला के कोषाधिकारी यानी ट्रेजरी ऑफिसर को अदालत में तलब किया है. यही नहीं, अदालत ने ये भी पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए ? हाई कोर्ट ने ट्रेजरी ऑफिसर को प्रार्थी के सभी वित्तीय लाभों को 24 घंटे के भीतर अदा करने का आदेश भी दिया है. इसी केस की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त को आदेश जारी किए थे कि वह 12 दिसंबर से पहले ट्रिब्यूनल के आदेशों की अनुपालना करें.

आबकारी एवं कराधान विभाग की तरफ से प्रार्थी को दिए जाने वाले सभी वित्तीय लाभों के भुगतान करने के लिए बिल ट्रेजरी विभाग को भेजा गया. वहां ट्रेजरी ऑफिसर ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रार्थी को 3 वर्ष से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई. हाई कोर्ट ने इसे अदालती आदेशों की अवमानना का मामला पाया और ट्रेजरी ऑफिसर के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाने के लिए आदेश पारित कर दिए.

मामले के अनुसार 16 नवंबर 2016 को तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए वर्ष 1974 में बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत लाभ देने के आदेश जारी किए थे. वित्तीय लाभ भी प्रमोशन की तारीख से दिए जाने के आदेश जारी किए थे. ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुपालना में प्रार्थी को 22 जुलाई 1994 से वरिष्ठ सहायक फिर 20 फरवरी 2006 से अधीक्षक ग्रेड 2 के पद पर और बाद में 12 अगस्त 2009 से आबकारी एवं कराधान अधिकारी के तौर पर प्रमोट तो कर दिया गया मगर उसके वित्तीय लाभ देने के लिए अलग ही फैसला लिया गया.

प्रार्थी ने इस निर्णय के खिलाफ प्रतिवादियों को प्रतिवेदन भेजा, लेकिन इसी संदर्भ में वर्ष 2022 में दायर की गई अनुपालना याचिका के बाद 29 अक्टूबर 2022 को उसके प्रतिवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशानुसार वह केवल 3 साल के ही वित्तीय लाभ लेने का हक रखता है. इस पर हाई कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि आबकारी एवं कराधान आयुक्त प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ गया जबकि प्रशासनिक प्राधिकरण ने अपने आदेशों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा था कि प्रार्थी के वित्तीय लाभों को केवल 3 साल के लिए ही मान्य किया गया है.

हाई कोर्ट ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया था कि 12 दिसंबर 2022 से पहले पहले प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना की जाए, नहीं तो दोनों प्रतिवादीगण उनके खिलाफ अदालती आदेशों की अवहेलना के लिए चलाए जाने वाली कार्रवाई के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हों. अदालत की सख्ती और अवमानना की कार्रवाई के डर से विभाग ने प्रार्थी के सभी सेवा लाभ देने के आदेश पारित कर बिल ट्रेजरी ऑफिस के लिए भुगतान के लिए भेजा तो ट्रेजरी ऑफिस में 3 साल से अधिक की सेवा लाभ दिए जाने पर आपत्ति जताई. साथ ही प्रार्थी के वित्तीय लाभ अदा करने से साफ तौर पर मना कर दिया अब आगामी सुनवाई दो जनवरी को तय की गई है और ट्रेजरी ऑफिसर को अदालत में पेश होना होगा.

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