शिमला: अदालत में झूठा आश्वासन देना पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता को महंगा पड़ गया. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अदालत में झूठा भरोसा देने पर अधिशासी अभियंता को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए. हाई कोर्ट ने विभाग के प्रमुख अभियंता को आदेश दिए हैं कि उपरोक्त अधिकारी के स्थान पर किसी दूसरे अधिकारी की तैनाती की जाए. मामला जिला मंडी के धर्मपुर तहसील का है. यहां एक व्यक्ति का रिहायशी मकान लोक निर्माण विभाग की तरफ से दिए गए डंगे के कारण खतरे में आ गया था.
प्रभावित व्यक्ति को जब लोक निर्माण विभाग से सुरक्षा को लेकर कोई रिस्पांस नहीं मिला तो उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाई कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को आदेश दिया था कि सड़क के धंसने से मकान को कोई खतरा न हो, इसके लिए सुरक्षात्मक उपाय किए जाएं. विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को चेताया गया था कि यदि सुरक्षा न की गई तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी. एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने अदालत में भरोसा दिया था कि रिहायशी मकान को बचाने के लिए सभी संभव उपचारात्मक उपाय किए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में जब ये तथ्य आया कि संबंधित अधिकारी ने झूठा आश्वासन दिया है तो नाराज हाई कोर्ट ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए. साथ ही उसकी जगह अन्य अधिकारी की तैनाती को कहा. अदालत ने प्रमुख अभियंता को सख्त हिदायत दी कि पहले प्रार्थी के रिहायशी मकान को बचाने के उपाय किए जाएं. मामले पर आगामी सुनवाई 17 अगस्त को होगी. अदालत के इस सख्त फैसले से अफसरशाही में हडक़ंप मच गया है. इससे पहले भी अदालत ने दो अफसरों की सैलेरी रोकने के आदेश जारी किए थे.
मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अधिशासी अभियंता याचिकाकर्ता के रिहायशी मकान की सुरक्षा को लेकर कारगर कदम उठाने में विफल रहा है. हालांकि पिछली सुनवाई को अभियंता ने अदालत को आश्वास्त किया था कि याचिकाकर्ता के रिहायशी मकान की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. उस समय अदालत नेअधिशासी अभियंता को चेताया था कि यदि याचिकाकर्ता के मकान को नुकसान पहुंचता है तो उसे मुआवजा व दंडात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा. अधिशासी अभियंता अपने आश्वासन को पूरा करने में विफल रहा है. ऐसे में उस पर एक्शन जरूरी है.
मामले के अनुसार प्रार्थी शशिकांत ने याचिका दाखिल कर कहा था कि धर्मपुर तहसील के आईटीआई बरोटी भवन के साथ पीडब्ल्यूडी ने लापरवाही से डंगा दिया हुआ है. इस डंगे का निर्माण निजी कंपनी यूनिप्रो ने लोक निर्माण विभाग की निगरानी में किया है. अदालत को बताया गया कि 12 मार्च 2023 को स्थानीय ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया कि आईटीआई भवन का डंगा लापरवाही से लगाया गया है. डंगा गिरने की स्थिति में प्रार्थी के रिहायशी मकान को भारी नुकसान पहुंच सकता है.
प्रार्थी ने 10 अप्रैल 2023 को लोक निर्माण विभाग को आवेदन किया कि आईटीआई का डंगा गिरने की कगार पर है और उसकी सुरक्षा के लिए प्रयास करने की जरूरत है. निरीक्षण के बाद राजस्व विभाग ने 26 मई 2023 को रिपोर्ट दी कि डंगा गिरने की स्थिति में है और इससे मकान को खतरा है. आरोप लगाया गया है कि डंगे की सुरक्षा के लिए विभाग ने कोई कदम नहीं उठाए. अंतत: 24 जून 2023 को डंगा गिर गया. अदालत को बताया गया कि हालांकि आईटीआई और मकान के बीच सड़क है, लेकिन डंगे के मलबे से सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है और धंसने वाली है. इससे प्रार्थी के मकान को खतरा बना हुआ है. अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद विभाग को मकान की सुरक्षा का उपाय करना होगा.
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