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Himachal High Court: अवैध तौर पर डंप मलबे को हटाने का खर्च आंका 64 लाख, दोषी ठेकेदार को 5.81 लाख जुर्माने पर हाईकोर्ट नाखुश, पीडब्ल्यूडी को लगाई लताड़ - हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चंबा के मोटला गांव में अवैध रूप से डंपिंग मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने सड़क निर्माण करने वाले आरोपी ठेकेदार पर सिर्फ ₹5.81 लाख जुर्माना लगाने पर पीडब्ल्यू को जमकर लताड़ लगाई. क्योंकि विभाग ने मलबे को हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका था. मामले में कोर्ट सरकार को अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. पढ़िए पूरी खबर... (Himachal High Court) (Chamba Motla village Debris Dumping Case)

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 6:24 AM IST

शिमला: जिला चंबा के मोटला गांव में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदार ने अवैध रूप से मलबे को डंप किया. इस कारण मोटला गांव पर खतरे के बादल मंडरा गए. मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा और अदालत ने ठेकेदार के खिलाफ एक्शन के आदेश दिए. लोक निर्माण विभाग को मलबा हटाने का खर्च आंकने और ठेकेदार पर जुर्माना लगाने के लिए कहा गया था. विभाग ने मलबे को हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका, लेकिन दोषी ठेकेदार पर महज 5.81 लाख रुपए जुर्माना ही लगाया. इस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और सरकार को नए सिरे से अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए.

अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि जब लोक निर्माण विभाग ने खुद मलबा हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका है तो, ठेकेदार पर इतना कम जुर्माना क्यों लगाया है? हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग की इस कार्रवाई से नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत इससे असंतुष्ट है. यही नहीं, सरकार को इस मामले में अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने को भी कहा है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने पीडब्ल्यूडी के दोषी अफसरों के खिलाफ डिपार्टमेंटल एक्शन पर भी कोई जानकारी न देने को गंभीरता से लिया है.

अदालत ने सरकार को 6 नवंबर तक अनुपूरक शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण चंबा के सचिव की तरफ से 9 जून 2021 को सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक मोटला गांव में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर मलबे की अवैध डंपिंग की थी. विभाग ने कार्रवाई के नाम पर केवल सीमित तौर पर मलबे को हटाया था. वहीं, किसानों के खेतों से मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत 31 जुलाई को लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ को उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर अदालत के समक्ष स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे, जिनके समय में ठेकेदारों ने मोटला नाला में मलबे की अवैध डंपिंग की थी. कोर्ट ने पाया था कि लोक निर्माण विभाग के अफसरों की लापरवाही से ही ठेकेदारों ने नाले में अवैध डंपिंग की है.

मामले में याचिकाकर्ता संजीवन सिंह ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग की लापरवाही की वजह से पूरे गांव में मलबा भर गया है. इससे कई घरों और गौशालाओं को भारी क्षति हुई है. अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चंबा के सचिव को जांच का जिम्मा सौंपा था. मामले पर अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी.

ये भी पढ़ें: नियमों के खिलाफ स्थापित किए जा रहे स्टोन क्रशर पर हिमाचल हाई कोर्ट की तुरंत प्रभाव से रोक, कांगड़ा की एक पंचायत की याचिका पर सरकार को नोटिस

शिमला: जिला चंबा के मोटला गांव में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदार ने अवैध रूप से मलबे को डंप किया. इस कारण मोटला गांव पर खतरे के बादल मंडरा गए. मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा और अदालत ने ठेकेदार के खिलाफ एक्शन के आदेश दिए. लोक निर्माण विभाग को मलबा हटाने का खर्च आंकने और ठेकेदार पर जुर्माना लगाने के लिए कहा गया था. विभाग ने मलबे को हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका, लेकिन दोषी ठेकेदार पर महज 5.81 लाख रुपए जुर्माना ही लगाया. इस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और सरकार को नए सिरे से अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए.

अदालत ने हैरानी जताते हुए कहा कि जब लोक निर्माण विभाग ने खुद मलबा हटाने का खर्च 64 लाख रुपए आंका है तो, ठेकेदार पर इतना कम जुर्माना क्यों लगाया है? हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग की इस कार्रवाई से नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत इससे असंतुष्ट है. यही नहीं, सरकार को इस मामले में अनुपूरक शपथ पत्र दाखिल करने को भी कहा है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने पीडब्ल्यूडी के दोषी अफसरों के खिलाफ डिपार्टमेंटल एक्शन पर भी कोई जानकारी न देने को गंभीरता से लिया है.

अदालत ने सरकार को 6 नवंबर तक अनुपूरक शपथपत्र दाखिल करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण चंबा के सचिव की तरफ से 9 जून 2021 को सौंपी रिपोर्ट के मुताबिक मोटला गांव में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदारों ने बड़े पैमाने पर मलबे की अवैध डंपिंग की थी. विभाग ने कार्रवाई के नाम पर केवल सीमित तौर पर मलबे को हटाया था. वहीं, किसानों के खेतों से मलबा अभी तक नहीं हटाया गया है.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत 31 जुलाई को लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ को उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर अदालत के समक्ष स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे, जिनके समय में ठेकेदारों ने मोटला नाला में मलबे की अवैध डंपिंग की थी. कोर्ट ने पाया था कि लोक निर्माण विभाग के अफसरों की लापरवाही से ही ठेकेदारों ने नाले में अवैध डंपिंग की है.

मामले में याचिकाकर्ता संजीवन सिंह ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग की लापरवाही की वजह से पूरे गांव में मलबा भर गया है. इससे कई घरों और गौशालाओं को भारी क्षति हुई है. अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चंबा के सचिव को जांच का जिम्मा सौंपा था. मामले पर अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी.

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