शिमला: हिमाचल सरकार के गृह सचिव और डीजीपी को समय पर हिमाचल हाई कोर्ट में जवाब दाखिल न करना महंगा पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने गृह सचिव व डीजीपी को 20 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है. दोनों अफसरों को ये राशि एक हफ्ते के भीतर हाई कोर्ट में जमा करनी होगी. ये आदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने जारी किए हैं. खंडपीठ ने ये भी स्पष्ट किया है कि कॉस्ट की राशि जमा करवाने के बाद उक्त रकम संबंधित अधिकारी से वसूली जाए.
मामले के अनुसार प्रार्थी यशपाल सिंह ने अपनी सेवाओं से जुड़े वित्तीय लाभ को लेकर हिमाचल हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. अदालत में 13 दिसंबर 2022 को याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने संबंधितों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. उसके बाद 7 व 9 मार्च 2023 को हाई कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए संबंधित अधिकारियों को अतिरिक्त समय दिया. लेकिन संबंधित विभाग ने फिर भी इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया.
प्रार्थी के खिलाफ विभाग ने डिपार्टमेंटल एक्शन में तीन वर्ष तक वेतन वृद्धि न किए जाने का जुर्माना लगाया था. याचिका में दलील दी गई है कि विभाग ने बिना सोचे-समझे उसके खिलाफ डिपार्टमेंटल एक्शन लिया है. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि विभाग ने उसके खिलाफ आरोप लगाया है कि प्रार्थी ने चिकित्सा अवकाश के लिए वैध प्रमाण पत्र नहीं दिया है. याचिका में प्रार्थी के अनुसार विभाग को चिकित्सा अवकाश के लिए वैध प्रमाण पत्र दिया गया है.
याचिकाकर्ता के खिलाफ दूसरा आरोप लगाया गया था कि उसने विभाग के आदेशों की अनुपालना नहीं की है. याचिका में दलील दी है कि विभाग ने उसे बिना प्रमोशन के उच्च पद का कार्य सौंप दिया था. बिना प्रमोशन उच्च पद का काम सौंपने के लिए उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती है. मगर अभी विभाग ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. मामला गृह विभाग से जुड़ा है और अब समय पर जवाब न देने के लिए गृह सचिव तथा डीजीपी को 20 हजार की कॉस्ट लगाई गई है.