शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने जिला कांगड़ा की एक पंचायत में स्थापित किए जा रहे स्टोन क्रशर को चलाने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है. यही नहीं, अदालत ने इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका पर राज्य सरकार सहित, निदेशक उद्योग, डीसी कांगड़ा, एसडीएम कांगड़ा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किया है. हाई कोर्ट ने उपरोक्त सभी से 22 नवंबर तक नोटिस का जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है.
जिला कांगड़ा की पंचायत जनयानकड़ ने हाई कोर्ट में पंचायत निवासियों के घरों से महज 345 मीटर की दूरी पर स्टोन क्रशर को स्थापित किए जाने को गैर कानूनी बताते हुए अदालत से उचित निर्देश पारित करने का आग्रह किया था. ग्राम पंचायत जनयानकड़ की तरफ से दाखिल की गई याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित एजेंसियों को उक्त स्टोन क्रशर को स्थापित कर उसका संचालन करने से पहले ही तुरंत प्रभाव से रोकने का आदेश जारी किया.
मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि जनयानकड़ पंचायत के जटेड़ गांव में स्थानीय निवासियों के घर के समीप कृष्णा स्टोन क्रशर के नाम से एक क्रशर स्थापित किया जा रहा है. इसे स्थानीय निवासियों के घरों से मात्र 345 मीटर पर स्थापित किया जाना है. यह दूरी पटवारी द्वारा सत्यापित की गई है, जबकि नियमों के अनुसार यह स्टोन क्रशर घरों से 500 मीटर की अधिक दूरी पर ही लगना जाना चाहिए. इतना ही नहीं इस स्टोन क्रशर को लगाने से पहले स्थानीय निवासियों से किसी भी तरह का अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओसी नहीं लिया गया है.
अदालत ने प्रथम दृष्टया पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर स्टोन क्रशर को चलाने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है. प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 22 नवंबर तक जवाब मांगा गया है. अदालत ने ये भी पाया कि स्टोन क्रशर वाटर टेस्टिंग लैब, आंगनवाड़ी केंद्र और एक सिंचाई परियोजना को अनदेखा कर लगाया जा रहा है. इलाके की छह अन्य पंचायतें भी इस क्रशर का विरोध कर रही हैं. अब मामले की सुनवाई 22 नवंबर को होगी.