शिमलाः कालका के पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी की याचिका को स्वीकार करते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले पर हुई लंबी बहस के बाद अपना फैसला सुनाया है.
नालागढ़ के न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने साल 2011 के मामले में प्रदीप चौधरी को दोषी करार दिया था. मामला एक युवक की मौत के बाद बद्दी चौक पर जाम लगाने और सरकारी काम में बाधा डालने का है. न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत ने दोषियों को तीन-तीन साल की सजा और 85-85 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. 31 मई 2011 को थाना बरोटीवाना में ट्रैफिक चैकिंग के दौरान सुना सिंह निवासी पप्सोहा पुलिस को देखकर घबरा गया था और इसी बीच बिजली ट्रांसफार्मर की तारों की चपेट में आ गया था.
प्रदर्शन में कई पुलिसकर्मी हुए थे घायल
युवक की इलाज के दौरान PGI चंडीगढ़ में मौत हो गई थी. मौत के बाद परिजनों और अन्य लोगों ने बद्दी रेडलाइट चौक पर शव रखकर प्रदर्शन किया था. इस दौरान पुलिस पर हमला भी किया गया था. इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. बद्दी पुलिस थाने की सरकारी गाड़ी भी फूंक दी गई थी. इसी मामले में कालका से कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी के अलावा पंचकूला जिले के 14 दोषियों को सजा सुनाई गई है. 13 जून 2011 को बद्दी थाने में केस दर्ज हुआ था.
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