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संस्कृत सेवा सम्मान शुरू करेगी हिमाचल सरकार, प्रथम आने पर मिलेगा 1 लाख का पुरस्कार

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Published : Jul 27, 2020, 5:39 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 6:00 PM IST

प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार शुरू किया जा रहा है. भाषा के प्रचार प्रसार के लिए तीन स्तर पर पुरस्कार दिया जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये की राशि निश्चित की है. इसके अलावा प्रदेश स्तर पर संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार में 50 हजार रुपये दिए जाएंगे.

सुरेश भारद्वाज
सुरेश भारद्वाज, शिक्षा मंत्री, हिमाचल प्रदेश.

शिमला: प्रदेश सरकार हिमाचल में संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने के बाद इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठा रही है. सरकार द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार शुरू किया जा रहा है.

संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए तीन स्तर पर पुरस्कार दिया जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार के रुप में एक लाख रुपये की राशि निश्चित की है. इसके अलावा प्रदेश स्तर पर संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार में 50 हजार रुपये दिए जाएंगे. संस्कृत अकादमी की बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि ऐसे युवा विद्वान जो संस्कृत के प्रचार प्रसार में कार्य कर रहे हैं, उनको भी सम्मानित किया जाएगा.

इसके अलावा 10वीं और 12वीं कक्षा में संस्कृत विषय में मेरिट में आने वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया जाएगा. इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. ये समिति तय सिद्धांतों के आधार पर पुरस्कार की योग्यता और वरीयता निश्चित करेगी, ताकि लंबे समय तक इसे कायम रखा जा सके.

वीडियो रिपोर्ट.

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत के क्षेत्र में विद्वान अलग-अलग कार्य कर रहे हैं. फिर चाहे अध्यापन के क्षेत्र में हो या धार्मिक क्षेत्र में समिति सभी क्षेत्रों का अध्ययन कर पुरस्कार के लिए नियम तय करेग, जिससे देशभर में संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जा सके. राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी भी चल रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार उपयुक्त जमीन की तलाश कर रही है. जमीन की तलाश पूरी होते ही अन्य औपचारिकताओं के बाद संस्कृत विश्वविद्यालय का रास्ता साफ हो जाएगा.

शिक्षा मंत्री और संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने वाला हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ये भी सुनिश्चित करेगी कि स्कूली छात्रों के पास विभिन्न स्तरों पर इच्छा अनुसार संस्कृत भाषा को चुनने का पर्याप्त अवसर हो.

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार जल्द ही राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार शुरू करेगी जिसमें प्रथम पुरस्कार एक लाख रुपए का रखा गया है यह देश भर में संस्कृत के क्षेत्र में अग्रणी यह कार्य करने वाले विद्वान को प्रतिवर्ष दिया जाएगा. इसके अलावा संस्कृत भाषा में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले विद्वानों को सम्मानित करने के लिए भी बैठक में विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई.

वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. गौरतलब है कि हिमाचल में संस्कृत भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा देने के फैसले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की थी.

हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा अपनी प्राचीनता के कारण ग्रीक भाषा की तुलना में अधिक परिपूर्ण लैटिन भाषा की तुलना में अधिक समृद्ध और इन दोनों की तुलना में अधिक परिष्कृत है. उन्होंने कहा कि भारत के कुछ विश्वविद्यालयों में संस्कृत भाषा और पश्चिमी देशों के कुछ स्थानों में भी इसकी शिक्षा प्रदान की जाती है. भारत के वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ ही विश्व में भी संस्कृत भाषा के प्रति रुझान बढ़ा है.

ये भी पढ़ें: कृषि विभाग की टीम फॉल आर्मी वर्म कीट का पता लगाने बजौरा पहुंची, किसानों को दी ये सलाह

शिमला: प्रदेश सरकार हिमाचल में संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने के बाद इस दिशा में एक और बड़ा कदम उठा रही है. सरकार द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार शुरू किया जा रहा है.

संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए तीन स्तर पर पुरस्कार दिया जाएगा. राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार के रुप में एक लाख रुपये की राशि निश्चित की है. इसके अलावा प्रदेश स्तर पर संस्कृत सेवा सम्मान पुरस्कार में 50 हजार रुपये दिए जाएंगे. संस्कृत अकादमी की बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि ऐसे युवा विद्वान जो संस्कृत के प्रचार प्रसार में कार्य कर रहे हैं, उनको भी सम्मानित किया जाएगा.

इसके अलावा 10वीं और 12वीं कक्षा में संस्कृत विषय में मेरिट में आने वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया जाएगा. इसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. ये समिति तय सिद्धांतों के आधार पर पुरस्कार की योग्यता और वरीयता निश्चित करेगी, ताकि लंबे समय तक इसे कायम रखा जा सके.

वीडियो रिपोर्ट.

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत के क्षेत्र में विद्वान अलग-अलग कार्य कर रहे हैं. फिर चाहे अध्यापन के क्षेत्र में हो या धार्मिक क्षेत्र में समिति सभी क्षेत्रों का अध्ययन कर पुरस्कार के लिए नियम तय करेग, जिससे देशभर में संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जा सके. राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी भी चल रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार उपयुक्त जमीन की तलाश कर रही है. जमीन की तलाश पूरी होते ही अन्य औपचारिकताओं के बाद संस्कृत विश्वविद्यालय का रास्ता साफ हो जाएगा.

शिक्षा मंत्री और संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत को दूसरी भाषा का दर्जा देने वाला हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ये भी सुनिश्चित करेगी कि स्कूली छात्रों के पास विभिन्न स्तरों पर इच्छा अनुसार संस्कृत भाषा को चुनने का पर्याप्त अवसर हो.

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार जल्द ही राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार शुरू करेगी जिसमें प्रथम पुरस्कार एक लाख रुपए का रखा गया है यह देश भर में संस्कृत के क्षेत्र में अग्रणी यह कार्य करने वाले विद्वान को प्रतिवर्ष दिया जाएगा. इसके अलावा संस्कृत भाषा में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले विद्वानों को सम्मानित करने के लिए भी बैठक में विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई.

वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. गौरतलब है कि हिमाचल में संस्कृत भाषा को दूसरी भाषा का दर्जा देने के फैसले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की थी.

हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषा अपनी प्राचीनता के कारण ग्रीक भाषा की तुलना में अधिक परिपूर्ण लैटिन भाषा की तुलना में अधिक समृद्ध और इन दोनों की तुलना में अधिक परिष्कृत है. उन्होंने कहा कि भारत के कुछ विश्वविद्यालयों में संस्कृत भाषा और पश्चिमी देशों के कुछ स्थानों में भी इसकी शिक्षा प्रदान की जाती है. भारत के वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के साथ ही विश्व में भी संस्कृत भाषा के प्रति रुझान बढ़ा है.

ये भी पढ़ें: कृषि विभाग की टीम फॉल आर्मी वर्म कीट का पता लगाने बजौरा पहुंची, किसानों को दी ये सलाह

Last Updated : Jul 27, 2020, 6:00 PM IST
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