शिमला: हिमाचल प्रदेश में कई जगहों पर बड़े स्तरों पर अवैध खनन किया जा रहा है. हालांकि प्रदेश सरकार अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त रुख अपना रही है. रेत, बजरी और पत्थर के अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है बल्कि राज्य सरकार को इसका कर भी नहीं मिलता. जिससे सरकारी राजस्व का भी भारी नुकसान होता है. इसको देखते हुए प्रदेश में वर्तमान अवैध खनन पर रोक लगाने सरकार कई स्तर पर कदम उठा रही है. विभिन्न स्तरों पर अवैध खनन गतिविधियों की जांच के लिए संबंधित विभागों द्वारा की गई कार्रवाई की सरकार रिपोर्ट ले रही है और इसकी समीक्षा के लिए सरकार ने एक कार्यबल भी गठित किया है.
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार वैज्ञानिक खनन से राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रही है और अवैध खनन पर रोक लगाने को लेकर पूरी तरह गंभीर है. उन्होंने कहा कि रॉयल्टी की चोरी रोकने और फॉर्म डब्ल्यू.एक्स के सरलीकरण के लिए इसे एम-परिवहन पोर्टल से जोड़ा जाएगा. लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि संबंधित विभागों को भी इस पोर्टल से जोड़ा जाएगा. इससे अवैध खनन पर रोक लगेगी और राजस्व हानि पर अंकुश लग सकेगा.
हिमचाल प्रदेश सरकार ने अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न स्थानों पर फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात किए हैं. बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध खनन की जांच के लिए खनन कर्मचारी निरंतर छापेमारी कर रहे हैं. अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए खनन विभाग के अधिकारी अंतरराज्यीय सीमाओं पर खनन माफिया द्वारा बनाई गई अवैध सड़कों को बाधित कर इनकी खड्डों तक पहुंच को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. राज्य सरकार ने जिलों में माइनर मिनरल्ज के अवैध भंडारण एवं अनाधिकृत डीलरों द्वारा इसकी बिक्री के विरूद्ध भी सख्त कार्रवाई शुरू की है.
प्रदेश में ग्राम पंचायतों के प्रधानों को अवैध खनन के दुष्परिणामों और निजी भूमि पर खनन पट्टा देने की प्रक्रिया के बारे में ग्राम सामान्य भूमि अधिनियम, 1974 के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है. उद्योग विभाग ने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण क्षेत्र में स्थानीय लोगों द्वारा अवैध खनिजों की निकासी के लिए उपयोग में लाई जा रही निजी भूमि की पहचान करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. राजस्व विभाग द्वारा इनका सीमांकन पूर्ण होते ही हिमाचल प्रदेश माइनर मिनरल्ज रूल्ज -2015 के अनुसार अवैध खनन गतिविधियों में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई की जाएगी और दोषियों पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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