शिमला: हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार ने इस साल ग्रीन कवर को 30 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए सरकार अधिक से अधिक पौधारोपण कर रही है. सरकार प्रदेश में जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) के सहयोग से इस दिशा में काम कर रही है. इसके तहत हिमाचल प्रदेश में पिछले दो सालों के दौरान 4600 हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया गया है.
हिमाचल में बढ़ाया जाएगा ग्रीन कवर: हिमाचल में वनों से ढके पहाड़ जहां एक ओर इसके अद्भुत सौन्दर्य को निखारने में अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में भी सहायक साबित हो रहे हैं. इसी अद्भुत सौन्दर्य को संजोए रखने के लिए हिमाचल के ग्रीन कवर को बढ़ाया जाएगा. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने ग्रीन कवर एरिया को इस साल तक 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए सरकार जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) के सहयोग से से कार्य कर रही है.
'जायका के जरिए हिमाचल में बढ़ी हरियाली': हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया है कि प्रदेश के सात जिलों में जायका परियोजना द्वारा वित्त पोषित वानिकी और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं से हरियाली बढ़ाने में मदद मिली है. उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए बीते दो सालों में 4600 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण किया गया है. इसके अलावा परियोजना नर्सरी विकसित करने और पौधा रोपण स्टॉक की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी बल दिया जा रहा है, जिसका लक्ष्य सामुदायिक और वानिकी के उपयोग के लिए विभिन्न लाभकारी प्रजातियों के 60 लाख से अधिक उच्च गुणवत्ता वाले पौधे तैयार करना है.
जायका के तहत हिमाचल में हो रहे विभिन्न कार्य: हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि संयुक्त वन प्रबंधन पहल को मजबूत करते हुए और सामूहिक प्रयास के लिए जायका के तहत प्रदेश के 7 जिलों में 460 ग्राम स्तर पर वन विकास समितियां और 900 से ज्यादा स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं. इस परियोजना के तहत जंगलों पर निर्भर रहने वाले समुदायों और फील्ड स्टाफ के स्किल इम्प्रूवमेंट और कैपेसिटी बिल्डिंग को भी बढ़ाती है. आजीविका गतिविधियों और वन पुनर्जनन में प्रशिक्षित 15 हजार से अधिक व्यक्तियों के साथ, यह परियोजना जलवायु परिवर्तन और संबंधित आपदाओं से होने वाले जोखिमों को कम करने में भी मदद करती है.
हिमाचलवासियों की जंगलों पर निर्भरता: हिमाचल प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य में जंगलों का बहुत ज्यादा महत्व है. हिमाचल प्रदेश की पहचान विशेषकर इसके घने और सुंदर वनों से होती है. हिमाचल वासी भी अपनी आजीविका के लिए काफी हद तक वन संसाधनों पर निर्भर रहते हैं. जलवायु परिवर्तन को लेकर वैश्विक चिंताओं और पर्यावरण अनुकूल समाधानों की खोज और राज्य की वन संपदा को संरक्षित और समृद्ध करने की तात्कालिकता को पहचानते हुए जायका के साथ सहयोग एक नई किरण बनकर विश्व में उभरा है.
1991 से भारत में कार्य कर रहा जायका: जायका साल 1991 से भारत में वानिकी और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं पर कार्य रहा है. जायका ने हिमचाल में ग्रीन लैंड कवर को बढ़ाकर और फॉरेस्ट एरिया को रिजर्व करके सतत विकास को प्राथमिकता दी है. जायका परियोजना से हिमाचल में जापान की उत्तम फॉरेस्ट्री सिस्टम को लागू करके, वन विभागों के भीतर नई टेक्नोलॉजी को पेश करके इसमें सभी लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने का काम कर रही है.
क्या है जायका परियोजना: बता दें की जायका (जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी) एक ऐसी परियोजना है, जिसके तहत हिमाचल सहित देशभर में सभी प्रकार के पर्यावरण संबंधि कार्य वन पंचायतों के जरिए किए जाते हैं. जायका परियोजना का मुख्य लक्ष्य भारत में वनों का संरक्षण व जंगलों की गुणवत्ता सुधारना और साथ ही देश और प्रदेश में ग्रीन लैंड कवर एरिया को बढ़ावा देना है.
'पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम': हिमाचल राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाना प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा टारगेट है. हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाना और यहां सतत विकास को बढ़ाने का काम प्रदेश सरकार कर रही है, ताकि भविष्य में हिमाचल में ग्रीन एरिया बढ़ाकर पर्यावरण का संरक्षण किया जा सके. जायका परियोजना के की मदद से हिमाचल में बड़े बदलावों की ओर यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिसके जरिए आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश की पहचान दुनिया भर में अपनी अद्भुत सौंदर्य के साथ पर्यावरण संरक्षण के रूप में भी होगी.
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