शिमला: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है. सरकार अपने कामकाज चलाने के लिए इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ही दूसरी बार कर्ज लेने को मजबूर हो गई है. अबकी बार सरकार 1000 करोड़ का कर्ज लेगी. यह कर्ज अगले माह में पहले हफ्ते में लिया जाएगा. इसे पहले इसी माह सरकार ने 800 करोड़ का कर्ज लिया था. इस तरह अब दूसरी बार सरकार कर्ज लेने की तैयारी में है.
सरकार लेगी एक हजार करोड़ का ऋण: हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार कर्ज लेकर अपना काम चला रही है. यही वजह है कि सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है. आर्थिक संकट से घिरी हुई सरकार इस वित्तीय वर्ष में दूसरी बार कर्ज उठाने जा रही है. सरकार 1,000 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी जो कि दो अलग-अलग मदों में 500-500 करोड़ रुपए के रुप में लिया जाएगा. इसमें पहली मद के तहत 500 करोड़ रुपए का कर्ज 10 वर्ष के लिए, जबकि दूसरी मद के तहत 500 करोड़ रुपए 15 वर्ष की अवधि के लिए लिया जा रहा है. इसके लिए नीलामी प्रक्रिया 4 जुलाई को होगी और 5 जुलाई को यह कर्ज सरकार के खाते में आ जाएगा.
इसी माह लिया था 800 करोड़ का कर्ज: यह दूसरी मौका है कि जब सरकार इस वित्तीय वर्ष में दूसरी बार कर्ज लेने जा रही है. इससे पहले राज्य सरकार ने इसी माह 800 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. इस तरह इस वित्त वर्ष में अब तक 1,800 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है. हालांकि इससे बीते साल बीते साल सुखविंदर सरकार ने करीब पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया था. इसके साथ ही इस सरकार का कर्ज करीब सात हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा.
हिमाचल पर कर्जा 76 हजार करोड़ से पार: इस तरह हिमाचल पर कर्ज 76 हजार करोड़ हो गया है. हालांकि कांग्रेस पहले पूर्व की जयराम सरकार पर भारी भरकम कर्ज लेने का आरोप लगाती थी, लेकिन अब सत्ता में आते ही सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार आर्थिक संकट से घिर गई है और वह भी कर्ज पर ही निर्भर हो गई है. हालांकि केंद्र की मोदी सरकार ने हिमाचल की कर्ज लेने की सीमा भी घटा दी है. मोदी सरकार ने कर्ज लेने की सीमा में 5,500 करोड़ रुपए की कटौती की है. जबकि पिछले साल 14,500 करोड़ की कर्ज की लिमिट थी. केंद्र सरकार ने एनपीएस के बदले मिलने वाले कर्ज भी रोक लगाई है.
केंद्र सरकार ने घटाई कर्ज की सीमा: केंद्र सरकार की ओर से एनपीएस कंट्रीब्यूशन के तौर पर हर साल करीब 1,780 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज मिलता था, जो ओल्ड पेंशन लागू होने के बाद अब हिमाचल को नहीं मिल पाएगा. यही नहीं केंद्र सरकार ने एक्टर्नल एडेड प्रोजेक्ट की सीमा भी अगले तीन सालों के लिए करीब 3000 करोड़ रुपए कर दिया है. इससे राज्य सरकार की परेशानियां आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है.
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