शिमला: गुरुवार को हिमाचल चुनाव की मतगणना होनी है. जिसके बाद हिमाचल की 14वीं विधानसभा की तस्वीर साफ हो जाएगी. लेकिन सवाल है कि क्या हिमाचल में इस बार सत्ता का रिवाज बदलेगा या फिर ताज बदल जाएगा, जैसा कि पिछले 37 साल से होता आया है.
37 साल से रिपीट नहीं हुई सरकार- दरअसल हिमाचल में साल 1985 के बाद से हिमाचल में कोई भी सियासी दल सरकार रिपीट नहीं कर पाया है. 1985 में कांग्रेस लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुए थी लेकिन उसके बाद हुए 7 विधानसभा चुनावों में सत्ता कांग्रेस और बीजेपी के पास आती-जाती रही है. यानी पिछले 37 साल से हर विधानसभा चुनाव में जनता सत्ता की चाबी दूसरे दल को दे देती है.
बीजेपी ने किया है मिशन रिपीट का दावा- हिमाचल में बीजेपी ने सरकार रिपीट कर 37 साल का रिवाज बदलने का दावा किया है. इस साल की शुरुआत में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 4 राज्यों में जीत हासिल की थी. खास बात ये है कि इन चारों राज्यों यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में बीजेपी ने सरकार रिपीट की है. खासकर यूपी में करीब 35 साल और उत्तराखंड में राज्य गठन के 22 साल बाद सरकार रिपीट हुई है. बीजेपी ने जो इन राज्यों में किया है वही दावा हिमाचल में भी किया जा रहा है. (Himachal Assembly Election Result 2022) (HP Poll Result 2022) (Election candidates himachal)
कांग्रेस का दावा रिवाज नहीं बदलते, ताज बदलते हैं- वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि रिवाज कभी नहीं बदले जाते बल्कि राज बदले जाते हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस को भरोसा है कि हिमाचल में इस बार कांग्रेस के हाथ सत्ता आएगी और 37 साल से चला आ रहा रिवाज इस चुनाव में भी जारी रहेगा.
बीते 37 साल में क्या हुआ है- साल 1983 में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल की जगह वीरभद्र सिंह को दिल्ली से भेजा और 1983 से 1985 तक बचे हुए दो सालों के लिए मुख्यमंत्री रहे. 1985 में छठी विधानसभा के लिए हुए विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और मुख्यमंत्री एक बार फिर वीरभद्र सिंह बने. इसके बाद से कोई भी दल सरकार रिपीट नहीं कर पाई है. (Government did not repeat in Himachal)
1990 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री शांता कुमार बने. जो अब तक हिमाचल के इकलौते ब्राह्मण मुख्यमंत्री हैं. अब तक बने 6 में से 5 मुख्यमंत्री राजपूत हैं. शांता कुमार दूसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे. करीब 3 साल बाद सरकार ने बहुत खोया और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया. इसके बाद साल 1993 में चुनाव हुए तो सत्ता में कांग्रेस की वापसी हुई और वीरभद्र सिंह तीसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने.
1998 में हिमाचल में फिर से विधानसभा चुनाव हुए तो इस बार बीजेपी ने हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ मिलकर बनाई और प्रेम कुमार धूमल पहली बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे. हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी का गठन पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर किया था. चुनाव में उनकी पार्टी को 5 सीटें मिली थी, जबकि बीजेपी और कांग्रेस को 31-31 सीटें मिली थी. हिमाचल विकास कांग्रेस ने बीजेपी को समर्थन दिया और पूरे 5 साल सरकार चलाई.
2003 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई और वीरभद्र सिंह फिर से हिमाचल के मुख्यमंत्री बन गए.
2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई. प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने.
2012 के विधानसभा चुनाव में सरकार बदलने का सिलसिला जारी रहा और इस बार जनता ने बहुमत कांग्रेस को दिया. वीरभद्र सिंह ही मुख्यमंत्री बने.
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और बीजेपी को बंपर बहुमत मिला. हालांकि इस बार हिमाचल में बीजेपी के सीएम फेस प्रेम कुमार धूमल अपना चुनाव हार गए. जिसके चलते जयराम ठाकुर हिमाचल के नए मुख्यमंत्री बने.
1985 से पहले हिमाचल में कांग्रेस का एकछत्र राज था. यशवंत परमार 1963 से 1971 तक लगातार दो बार केंद्र शासित प्रदेश हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे और 1971 में राज्य का दर्जा मिलने के बाद भी 1977 तक दो बार मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद ठाकुर राम लाल 1977 और फिर 1980 में मुख्यमंत्री बने. हालांकि इस बीच 1977 में हिमाचल में जनता पार्टी की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री शांता कुमार बने.
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