शिमला: कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव अर्थव्यवस्था और शिक्षा पर पड़ा है. कोरोना वायरस से शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है. शनिवार को प्रोजेक्ट अप्रूवल की प्री-बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई.
11 मई को होगी फाइनल बैठक
इस बैठक में प्रदेश शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के बारे में चर्चा की. प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की फाइनल बैठक 11 मई को करना तय की गई है. 11 मई के दिन ही हिमाचल प्रदेश को शिक्षा के लिए मिलने वाली राशि का निर्धारण किया जाएगा.
केंद्र से की सोलह सौ करोड़ के बजट की मांग
कोरोना संक्रमण के बढ़ते संकट के बीच हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के ढांचे में बदलाव के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र से सोलह सौ करोड़ का के बजट की मांग की है.
कंप्यूटर लैब का दायरा बढ़ाने की मांग
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने वोकेशनल शिक्षा, आईसीटी लैब, रोबोटिक शिक्षा, प्री-प्राइमरी शिक्षा और कम्युनिकेशन स्किल बढ़ाने का प्रस्ताव देते हुए केंद्र सरकार से बजट मांगा है. शिक्षा विभाग ने केंद्र से आईसीटी कंप्यूटर लैब का दायरा बढ़ाने को लेकर प्रस्ताव रखा. केंद्र के सामने यह पक्ष रखा गया कि प्रदेश में कंप्यूटर लैब बढ़ाए जाना बेहद जरूरी है.
केंद्र से सभी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लैब बनाने की मांग की है. विद्यार्थियों के कम्युनिकेशन स्किल बढ़ाने के लिए लैब बनाने का के लिए बजट मांगा गया है, ताकि इसका सीधा फायदा विद्यार्थी को मिल सके. शिक्षा विभाग ने एक नई पहल करते हुए वोकेशनल हब एंड स्कोप लैब बनाने की पेशकश भी केंद्र के सामने रखी है. बता दें कि प्रदेश में अभी 3840 प्री प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं इनकी संख्या 950 बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
शिक्षा के स्तर में आएगी गुणवत्ता
केंद्र और प्रदेश सरकार लंबे समय से स्किल डेवलपमेंट और टेक्निकल शिक्षा पर ध्यान दे रही है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अधिक से अधिक स्वरोजगार की ओर बढ़ाना है. ऐसे में इस बजट की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है. हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड को इस बजट के मिलने से बड़ी सहायता मिलेगी. इस बजट से प्रदेश की शिक्षा के स्तर में गुणवत्ता आएगी.
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