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Himachal Dam: हिमाचल में डैम से पानी छोड़ने के नियमों में बरती लापरवाही तो होगी कार्रवाई, बांध प्रबंधन के कारण हुए नुकसान की रिपोर्ट तलब

हिमाचल प्रदेश लगातार हो रही बारिश से बांधों का जलस्तर काफी बढ़ा गया है. जिसकी वजह से सीएम सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने संबंधित अधिकारियों के साथ मीटिंग की. जिसमें उन्होंने कहा डैम से पानी छोड़ने के नियमों में लापरवाही बरतने पर कार्रवाई होगी. साथ ही बांध प्रबंधन के कारण हुए नुकसान की रिपोर्ट भी उन्होंने तलब की. (Dam Water Releasing In Himachal) (Himachal Dam).

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Published : Aug 19, 2023, 3:27 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से जान और माल का व्यापक नुकसान हुआ है. पंडोह डैम की स्थिति ने तो एकबारगी हिमाचल को चिंता में ही डाल दिया था. वर्ष 2014 में पंडोह डैम से अचानक पानी छोड़ने से हैदराबाद के विज्ञान ज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज के 24 छात्र बह गए थे. अब फिर से बांधों में पानी की स्थिति डरा रही है. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों के साथ मीटिंग की है.

मुख्य सचिव ने कहा कि बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) और केंद्रीय जल आयोग द्वारा वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना न करने पर बांध परियोजनाओं में विफलता के लिए डैम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए. उन्होंने अधिकारियों को कहा कि बांध प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार की जाए. रिपोर्ट के बाद दोषियों के खिलाफ एक्शन होगा और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 2014 में पंडोह डैम के पानी के बहाव में 24 छात्रों के डूब जाने के बाद बांधों से पानी छोड़े जाने के साथ-साथ आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने के दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि इस अधिनियम में सभी बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रख-रखाव का प्रावधान है, लेकिन कुछेक प्राधिकरण इनकी अनुपालन में विफल रहे हैं. ऐसे में सार्वजनिक और निजी संपत्ति तथा फसल को भारी नुकसान होने के साथ-साथ सडक़ नेटवर्क भी प्रभावित हुआ है.

उन्होंने कहा कि बांधों से पानी छोड़ने के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं. यदि इन निर्देशों की अनुपालना में किसी भी प्रकार की चूक हुई तो उसे गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को बांध प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुए नुकसान पर रिपोर्ट देने को कहा, ताकि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य में वर्तमान परिस्थितियों से साफ पता चलता है कि बांध सुरक्षा जांच मानकों के अनुसार नहीं की गई है.

उन्होंने कहा कि डीएसए के तहत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना, जल निकासी संबंधी दिशा-निर्देश, नियंत्रण कक्ष की स्थापना, जलाशय रख-रखाव, आपातकालीन कार्य योजना और बांध स्थलों और पावर हाउस के बीच बेहतर संचार इत्यादि का प्रावधान है. उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इन कड़े प्रावधानों को धरातल पर लागू किया जाए. बैठक में डीजीपी संजय कुंडू, वित्त आयुक्त (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा, उर्जा निदेशक हरिकेश मीणा, निदेशक-एवं-विशेष सचिव (एसडीएमए) डीसी राणा, सचिव ऊर्जा राजीव शर्मा सहित अन्य अफसर मौजूद थे.

ये भी पढ़ें: Kangra Flood: इंदौरा में छठे दिन भी Rescue Operation जारी, 5 दिनों में 2209 लोग किए रेस्क्यू

शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से जान और माल का व्यापक नुकसान हुआ है. पंडोह डैम की स्थिति ने तो एकबारगी हिमाचल को चिंता में ही डाल दिया था. वर्ष 2014 में पंडोह डैम से अचानक पानी छोड़ने से हैदराबाद के विज्ञान ज्योति इंजीनियरिंग कॉलेज के 24 छात्र बह गए थे. अब फिर से बांधों में पानी की स्थिति डरा रही है. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों के साथ मीटिंग की है.

मुख्य सचिव ने कहा कि बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (डीएसए) और केंद्रीय जल आयोग द्वारा वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना न करने पर बांध परियोजनाओं में विफलता के लिए डैम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए. उन्होंने अधिकारियों को कहा कि बांध प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार की जाए. रिपोर्ट के बाद दोषियों के खिलाफ एक्शन होगा और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 2014 में पंडोह डैम के पानी के बहाव में 24 छात्रों के डूब जाने के बाद बांधों से पानी छोड़े जाने के साथ-साथ आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने के दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि इस अधिनियम में सभी बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रख-रखाव का प्रावधान है, लेकिन कुछेक प्राधिकरण इनकी अनुपालन में विफल रहे हैं. ऐसे में सार्वजनिक और निजी संपत्ति तथा फसल को भारी नुकसान होने के साथ-साथ सडक़ नेटवर्क भी प्रभावित हुआ है.

उन्होंने कहा कि बांधों से पानी छोड़ने के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं. यदि इन निर्देशों की अनुपालना में किसी भी प्रकार की चूक हुई तो उसे गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को बांध प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुए नुकसान पर रिपोर्ट देने को कहा, ताकि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य में वर्तमान परिस्थितियों से साफ पता चलता है कि बांध सुरक्षा जांच मानकों के अनुसार नहीं की गई है.

उन्होंने कहा कि डीएसए के तहत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना, जल निकासी संबंधी दिशा-निर्देश, नियंत्रण कक्ष की स्थापना, जलाशय रख-रखाव, आपातकालीन कार्य योजना और बांध स्थलों और पावर हाउस के बीच बेहतर संचार इत्यादि का प्रावधान है. उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इन कड़े प्रावधानों को धरातल पर लागू किया जाए. बैठक में डीजीपी संजय कुंडू, वित्त आयुक्त (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा, उर्जा निदेशक हरिकेश मीणा, निदेशक-एवं-विशेष सचिव (एसडीएमए) डीसी राणा, सचिव ऊर्जा राजीव शर्मा सहित अन्य अफसर मौजूद थे.

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