शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. एक साल में कैबिनेट विस्तार के अलावा कुछ क्षत्रपों की नाराजगी सहित दो नए मंत्रियों के पोर्टफोलियो तय करने और संभावित फेरबदल पर दिल्ली बैठक में बात होगी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी मुखिया मल्लिकार्जुन खड़गे हिमाचल कांग्रेस से जुड़े मसलों पर बात करेंगे. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में चार सीटों के संभावित प्रत्याशियों सहित चुनाव रणनीति पर भी बात होगी.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल कांग्रेस में सरकार और संगठन के स्तर पर मतभेद समय-समय पर उभर कर सामने आते रहे हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने करीब एक साल बाद अपनी कैबिनेट का विस्तार तो किया, लेकिन नए बने मंत्रियों को अभी विभाग नहीं बांटे गए हैं. इसके अलावा कैबिनेट में मंत्री का एक पद और खाली रह गया है. कांगड़ा से यादविंद्र गोमा और घुमारवीं से राजेश धर्माणी को मंत्री बनाया गया है. सिरमौर की श्री रेणुका जी सीट से जीते विनय कुमार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर चुने गए हैं.
दरअसल, कयास लगाया जा रहा था कि सीएम सुखविंदर सिंह चीफ व्हिप और डिप्टी चीफ व्हिप भी बना सकते हैं, लेकिन ये अनुमान ही रह गया. ऐसे में कांगड़ा से पूर्व में कैबिनेट मंत्री रह चुके सुधीर शर्मा और सुजानपुर से राजेंद्र राणा का मन खट्टा हो गया है. ये दोनों कैबिनेट मंत्री की रेस में हैं, लेकिन अलग-अलग कारणों से उनका नंबर नहीं लगा है. अब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस के समक्ष चार सीटों पर भाजपा का विजय रथ रोकने की चुनौती है. इन्हीं सब मसलों को लेकर दिल्ली में बुधवार को दिन के 12 बजे मीटिंग होगी.
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर दो दिवसीय दौरे पर ऊपरी शिमला में रहेंगे. उनके अलावा सभी कैबिनेट मंत्री और विधायक दिल्ली में मीटिंग में शामिल होंगे. मीटिंग में राहुल गांधी राज्य इकाई और सरकार से तैयारियों के बारे में पूछेंगे. साथ ही सरकार के एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियों की जानकारी लेंगे. राज्य का चुनावी फीडबैक भी हाईकमान लेगा. चार सीटों पर किसे चुनाव लड़वाया जाए और आने वाले चार साल सरकार की क्या दशा-दिशा रहेगी, इस पर हाईकमान निर्देश देगा. कुल मिलाकर ये मीटिंग हिमाचल कांग्रेस की ओवरहालिंग करेगी.
लोकसभा चुनाव सीएम सुखविंदर सिंह के लिए चुनौती: बैठक में राहुल गांधी और हाईकमान के बड़े नेता हिमाचल की चार लोकसभा सीटों पर पार्टी की रणनीति डिस्कस करेंगे. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए लोकसभा चुनाव कसौटी पर कसे जाने वाली इवेंट है. सीएम खुद हमीरपुर से हैं और हमीरपुर संसदीय सीट से ही डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री भी हैं. हमीरपुर से भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर निरंतर जीतते आ रहे हैं. ऐसे में हमीरपुर सीट तौ सौ फीसदी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की नाक का सवाल है.
सीएम बनने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने हिसाब से फैसले ले रहे हैं. संगठन से उनकी दूरी की चर्चा भी होती रहती है. एक साल के जश्न के मौके पर धर्मशाला में समारोह को लेकर पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह ने संगठन की अनदेखी का सवाल उठाया था. प्रतिभा सिंह ने यहां तक कहा कि उनसे इस बारे में विमर्श नहीं किया गया. इसके अलावा समय-समय पर संगठन के लोगों को सत्ता सुख में एडजस्ट करने को लेकर भी मतभेद के स्वर उठते रहते हैं. इससे ये संकेत मिलता है कि पावर सेंटर सीएम के इर्द-गिर्द ही है. यही कारण है कि लोकसभा चुनाव सीएम सुखविंदर सिंह की साख का चुनाव भी होगा.
गारंटियों को लेकर विपक्ष आक्रामक: विधानसभा के विंटर सेशन में विपक्षी दल भाजपा ने जिस आक्रामक तरीके से कांग्रेस सरकार को चुनाव पूर्व गारंटियों पर घेरा है, उससे स्पष्ट है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है. भाजपा में निरंतर संगठन की गतिविधियां चलती रहती हैं. फिर देश के तीन बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं. महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने वाली गारंटी कांग्रेस के लिए गले की फांस बन रही है. इसके अलावा दूध खरीद वाली गारंटी भी पूरी नहीं हुई है.
कर्मचारी चयन आयोग भंग होने से भर्तियों के रिजल्ट लटके हुए हैं. विजिलेंस जांच और नए आयोग के गठन के बीच युवाओं का आक्रोश सरकार को भारी पड़ सकता है. विपक्ष इस सभी मसलों को चार सीटों पर चुनावी मुद्दा बनाएगा. उधर, पीएम नरेंद्र मोदी स्पष्ट कह चुके हैं कि तीसरी टर्म में वे देश को विश्व की टॉप तीन आर्थिक शक्ति बनाएंगे. यानी परोक्ष रूप से वे ऐलान कर चुके हैं कि 2024 का रण भी भाजपा ही जीतेगी. ऐसे में भाजपा के विजय रथ को रोकना कांग्रेस के लिए चुनौती है.
हिमाचल की राजनीति को चार दशक से भी अधिक समय से नजदीकी से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार बलदेव शर्मा का कहना है कि कांग्रेस को सत्ता में आए एक साल का अरसा हो गया. इस दौरान कैबिनेट एक्सपेंशन, नेताओं की नाराजगी आदि मसलों से निपटने में सरकार ढीली रही है.
उनका तो यहां तक मानना है कि तीन राज्यों में कांग्रेस की हार का एक कारण हिमाचल सरकार की परफॉर्मेंस भी रही है. चूंकि हिमाचल में कांग्रेस सरकार चुनाव पूर्व वादे पूरे नहीं कर पाई, लिहाजा उपरोक्त राज्यों के नतीजों पर इसका असर रहा. उनका कहना है कि प्रियंका वाड्रा शिमला में होने के बाद भी सरकार के एक साल के समारोह में नहीं पहुंची. फिर दो मंत्रियों की ताजपोशी तो हो गई, लेकिन विभाग अभी भी नहीं बंटे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए हिमाचल में लोकसभा चुनाव की राह आसान नहीं है.