शिमला: कोविड-19 से निपटने में केंद्र सरकार ने सराहनीय कार्य किया है. यह बात जयराम ठाकुर ने मोदी सरकार 2.0 के एक साल पूरा होने पर कही. उन्होंने कहा कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में कोरोना पीडितों के ठीक होने की दर दुनिया के अन्य देशों से कहीं बेहतर है, जबकि संक्रमण फैलने की रफ्तार भी यूरोपीय देशों से कहीं कम है . ऐसे में प्रधानमंत्री के निर्णयों की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है.
जयराम ठाकुर ने कहा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री से जब यह इच्छा व्यक्त की गई कि प्रदेशों से बाहर फंसे लोगों को राज्य में वापस लाना है तो उन्होंने हमे पूरा सहयोग दिया. इसके लिए केंद्र की सहायता से वंदे भारत और समुद्र सेतु अभियान से दूसरे देशों में फंसे हजारों भारतीयों की वतन वापसी करवाई है. श्रमिक ट्रेनों से गरीबों व श्रमिकों को भी उनके घर भेजा है.
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आग्रह पर पूरे देश ने 22 मार्च, 2020 को सुबह 7 से 9 बजे तक देश में जनता कर्फ्यू का पालन किया. 5 बजे राष्ट्र की निस्वार्थ सेवा करने वाले डॉक्टर, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों एवं सुरक्षा कर्मियों को पूरे देश ने घर से बाहर निकलकर ताली, थाली व शंख-घंटी बजाकर धन्यवाद किया.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने 24 मार्च को राष्ट्र के नाम एक सम्बोधन में कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए 24 मार्च की आधी रात से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की और लॉकडाउन से पहले 1444 देशी और विदेशी लोगों को बचाया. जयराम ठाकुर ने कहा कि भारत ने मालद्वीप, म्यांमार, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मेडागास्कर, श्रीलंका जैसे देशों के 48 नागरिकों को भी सुरक्षित बचाने का काम किया.
30 देशों में फंसे 72,500 से अधिक लोगों को बचाया. भारत ने 'वंदे भारत' और 'समुद्र सेतु' मिशन के पहले दो चरणों के दौरान बड़े पैमाने पर 30 से अधिक से देशों में फंसे 72,500 से अधिक लोगों को वापिस लाने का काम किया.
सीएम ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनेंचलाई गई. 28 मई 2020 तक 3,840 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 52 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्यों तक भेजा जा चुका है. जनवरी में सिर्फ एक कोविड परीक्षण प्रयोगशाला थी. अब ये बढ़कर अब 610 हुई हैं. 25 मई तक भारत में 610 परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्य कर रही हैं, जनवरी, 2020 में देश में केवल 01 परीक्षण प्रयोगशाला थीं.