शिमला: मंगलवार 14 मार्च से हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सुक्खू सरकार की पहली अग्निपरीक्षा शुरू हो रही है. कर्ज के बढ़ते बोझ के बीच सरकार के सामने वादे पूरे करने की चुनौती है तो पिछली सरकार के फैसलों को पलटने पर विपक्षी दल बीजेपी भी पूरी तरह तैयार है. ऐसे में सुक्खू सरकार का पहला बजट सत्र हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने हथियार हैं, जिनके सहारे वो बजट सत्र में एक-दूसरे को घेरने की कोशिश करेगी.
कर्ज का बढ़ता बोझ और श्वेत पत्र - सरकार के मुताबिक इस वक्त हिमाचल पर कर्ज का बोझ 75 हजार करोड़ रुपये का हो चला है जबकि पिछले साल जयराम ठाकुर ने 50 हजार करोड़ का बजट पेश किया था. हिमाचल पर साल दर साल बढ़ते कर्ज का बोझ पिछले करीब एक दशक में बड़ा चुनावी मुद्दा हो चला है. हालांकि ये भी सच है कि कर्ज हर सरकार लेती है और ये सरकारों की मजबूरी भी है और जरूरत भी लेकिन सियासी दल एक दूसरे के सिर इस कर्ज का ठीकरा फोड़ते रहते हैं. इस बीच सुखविंदर सुक्खू ऐलान कर चुके हैं कि बजट सत्र में कर्ज को लेकर श्वेत पत्र जारी करेंगे. जिससे हिमाचल की आर्थिक स्थिति का पता चलेगा. अगर सरकार कर्ज से जुड़े आंकड़े पेश करती है तो इस मुद्दे पर सदन में सत्ता और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर नजर आएंगे.
चुनावी वादों को पूरा करने का ऐलान- बीते साल के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कई बड़े वादे किए थे. इनमें से कुछ वायदे मंथन की मेज पर पहुंच चुके हैं तो कुछ पाइपलाइन में हैं. ओपीएस को कैबिनेट की हरी झंडी पहले ही मिल चुकी है और बजट में बड़ा ऐलान होना तय है. महिलाओं को 1500 रुपये देने और सरकारी नौकरियों का वादे को भी बजट भाषण में जगह मिलनी तय है. साथ ही पशुपालकों से दूध और गोबर खरीदने को लेकर भी बजट का प्रावधान हो सकता है.
कुल मिलाकर सरकार जनता से किए वादों को पूरा करने की कोशिश इस बजट के दौरान करेगी. वहीं कर्ज के बढ़ते बोझ का हवाला दे रही सुक्खू सरकार चुनावी वादों को अमलीजामा पहनाने को लेकर विपक्ष के निशाने पर आ सकती है. विपक्ष में बैठी बीजेपी पहले ही सीपीएस की नियुक्ति को लेकर इस सरकार को फिजूलखर्ची करने वाला बता चुकी है.
पिछली सरकार के फैसलों को पलटना- सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार बनते ही पूर्व की जयराम सरकार के आखिरी 6 महीनों की घोषणाओं की समीक्षा का ऐलान कर दिया था. जिसके बाद सरकार ने 1 अप्रैल 2022 के बाद नए खोले और अपग्रेड किए गए कई संस्थान डिनोटिफाई कर दिए हैं. इनमें शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य समेत तमाम विभागों से जुड़े संस्थान है. सरकार की दलील है कि इन संस्थानों के लिए वित्त विभाग की कोई मंजूरी नहीं ली गई थी. सिर्फ चुनाव जीतने के लिए आखिरी वक्त में बिना बजट प्रावधान के ताबड़तोड़ घोषणाएं कर दी गई थी. इस फैसले के खिलाफ बीजेपी सुक्खू सरकार पर हमलावर है और हस्ताक्षर अभियान से लेकर आक्रोश रैली निकाल रही है. इस मुद्दे पर सदन में भी विपक्ष का आक्रोश दिख सकता है.
पेपर लीक और HPSSC - दिसंबर महीने में शपथ ग्रहण के बाद सरकार के सामने जेओए पेपर लीक का मामला सामने आया. जिसके बाद मामले में गिरफ्तारियां हुई और परीक्षा होने से पहले ही पेपर लीक का भंडाफोड़ करने को लेकर सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई और पूर्व की बीजेपी सरकार को आड़े हाथ ले लिया. फरवरी आते-आते हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग को हिमाचल सरकार ने भंग कर दिया. गौरतलब है कि इससे पहले भी पेपर लीक के कई मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें पिछले साल ही सामने आया हिमाचल प्रदेश पुलिस भर्ती मामला था.
बजट पर चर्चा- बजट कोई भी पेश करे सत्ता पक्ष का बजट की तारीफ करना और विपक्ष के मन को ना भाना रवायत बन गया है. जानकार मानते हैं कि सरकार के सामने कर्ज का बढ़ता बोझ भले सबसे बड़ी चुनौती हो लेकिन इस बजट में जनता के मनभावन घोषणाएं करके सुक्खू अपने पहले बजट को यादगार जरूर बनाना चाहेंगे. इन्हीं घोषणाओं पर विपक्ष में बैठी बीजेपी कांग्रेस सरकार पर हमलावर होगी. ठीक वैसे ही जैसे 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वित्त वर्ष 2023-24 का आम बजट पेश करने के बाद हुआ था. जिसे बीजेपी ने ऐतिहासिक बताया और कांग्रेस के मुताबिक इस बजट से हिमाचल के हाथ सिर्फ मायूसी लगी.
सीमेंट विवाद की भी सुनाई दे सकती है गूंज- हिमाचल में सीमेंट विवाद भले सुलझ गया हो लेकिन अडानी के दो सीमेंट प्लांट दो महीने से ज्यादा बंद रहे. कांग्रेस अडानी के प्लांट में उत्पादन ठप करने को लेकर बीजेपी को निशाने पर लेती रही और बीजेपी विवाद का निपटारा ना कर पाने को लेकर हिमाचल सरकार को कटघरे में खड़ी करती रही. विवाद तो सुलझ गया लेकिन सूबे की दो फैक्ट्रियां करीब 70 दिन तक बंद रही, करीब 7 हजार ट्रकों के पहिये थमे रहे और हजारों परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हुआ. इस मुद्दे की गूंज भी बजट सत्र के दौरान सुनाई दे सकती है.
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