शिमला: कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस चुके हिमाचल के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने के मोर्चे पर कोई राहत भरे संकेत नहीं हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को 53413 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. चिंता की बात है कि हिमाचल के बजट का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होगा. हिमाचल में वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा स्टेट जीडीपी यानी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.61 फीसदी रहेगा. वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा 9900 करोड़ रुपए अनुमानित है. हिमाचल में इससे पूर्व जयराम सरकार ने 50192 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. ये अनुपूरक बजट से इतर था. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 53413 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है. इससे पहले सदन में 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया था.
खैर, राज्य का वर्ष 2023-24 का बजट 53413 करोड़ रुपए का होगा. आगामी वित्त वर्ष यानी 2023-24 के बजट में चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 के 6170 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे के मुकाबले 4704 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा होने का अनुमान है. इस बार बजट में 9900 करोड़ का राजकोषीय घाटा होगा. राजकोषीय घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.61 प्रतिशत होने की उम्मीद है. यदि 2022-23 के संशोधित अनुमानों पर नजर डालें तो कुल राजस्व प्राप्तियां 38,945 करोड़ रुपए हैं. इसके मुकाबले कुल राजस्व व्यय यानी खर्च 45115 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है. इस तरह राजस्व घाटा 6170 करोड़ रुपए अनुमानित है. पेश किए गए बजट में ग्रीन हिमाचल के ड्रीम और हैल्थ सेक्टर पर ध्यान दिया गया है. बजट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान प्रदेश में 37999 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियां होंगी. इनके मुकाबले राजस्व खर्च 42704 करोड़ रुपए का होगा.
कहां खर्च होगा पैसा: बजट में सौ रुपए को मानक रखा जाए तो सरकारी कर्मियों के वेतन पर 26 रुपए खर्च हो जाएंगे. पेंशन पर 16 रुपए खर्च होंगे. इस तरह वेतन और पेंशन पर 42 प्रतिशत बजट खर्च होगा. इसके बाद रही-सही कसर कर्ज व लिए गए कर्ज के ब्याज की अदायगी पूरी कर देगी. कर्ज के ब्याज की अदायगी पर दस रुपए और इतने ही रुपए कर्ज अदा करने पर खर्च होंगे. विभिन्न यूनिवर्सिटीज को मिलने वाली ग्रांट पर नौ रुपए व्यय होंगे. ऐसे में विकास के लिए सिर्फ 29 रुपए ही बचेंगे. यदि आमदनी की बात की जाए तो सौ रुपए में केंद्रीय शुल्क से 16.35 रुपए, सहायता अनुदान से 25.16 रुपए, लोक ऋण के बदले 24.14 रुपए की हिस्सेदारी है. सरकार के खर्चों में सामान्य सेवाओं पर 100 रुपए में से 33.05, सामाजिक सेवा पर 31.64, आर्थिक सेवाओं पर 12.91, लोन के भुगतान पर 10.27 व पूंजीगत व्यय 9.74 रुपए है.
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