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यूपी, उत्तराखंड में कमल खिलने से हिमाचल भाजपा जोश में, मिशन रिपीट के लिए बढ़ा हौसला

चार विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए उत्साह बढ़ाने वाले साबित हुए. यूपी, उत्तराखंड में सत्ता में वापसी के बाद हिमाचल भाजपा को भी मिशन रिपीट के लिए हौसला (Himachal BJP excited by victory)मिला, लेकिन पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद ये भी चर्चा चल निकली है कि क्या हिमाचल में तीसरी राजनीतिक ताकत के लिए कोई राह (Aam Aadmi Party is active in Himachal)बन रही है.

Himachal BJP excited by victory
मिशन रिपीट के लिए बढ़ा हौसला
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Published : Mar 10, 2022, 9:26 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 9:10 AM IST

शिमला: चार विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए उत्साह बढ़ाने वाले साबित हुए. यूपी, उत्तराखंड में सत्ता में वापसी के बाद हिमाचल भाजपा को भी मिशन रिपीट के लिए हौसला (Himachal BJP excited by victory)मिला, लेकिन पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद ये भी चर्चा चल निकली है कि क्या हिमाचल में तीसरी राजनीतिक ताकत के लिए कोई राह (Aam Aadmi Party is active in Himachal)बन रही है.

क्या आम आदमी पार्टी हिमाचल में जनता को तीसरा विकल्प देने में सफल होगी. इन सवालों का जवाब तलाशने से पहले हमें हिमाचल की राजनीति और यहां की जनता के मूड का विश्लेषण करना होगा. बता दें कि हिमाचल में भाजपा व कांग्रेस के अलावा तीसरा विकल्प कभी उभरा ही नहींय ये सही है कि 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस ने जरूर सत्ता का संतुलन अपने हाथ में लिया था, लेकिन ये सिलसिला अधिक देर तक नहीं चला. पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई थी. तब 1998 में इस नई पार्टी के 5 नेता चुनाव जीते थे और भाजपा ने उनके सहयोग से सरकार चलाई. बाद में हिमाचल विकास कांग्रेस का कांग्रेस में विलय हो गया.

पड़ोस में आप देवभूमि का बढ़ा राजनीतिक ताप: पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत ने हिमाचल के आगामी विधानसभा चुनाव को रोचक बना दिया है. हालांकि, बारी -बारी की सरकार की राह पर चलने वाले उत्तराखंड ने पहली बार इस मिथक को तोड़ते हुए दोबारा भाजपा को मौका दिया है, लेकिन सियासी फिजा में सवाल तैर रहा है कि चुनावी साल में हिमाचल में क्या होगा. क्या आम आदमी पार्टी यहां चुनाव को तिकोना बना पाएगी.

ये सवाल इसलिए क्योंकि इससे पहले हिमाचल में केवल पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस ही थोड़े समय के लिए एक विकल्प बन पाई थी. राज्य में सत्ता दो दलों कांग्रेस और भाजपा में ही बंटती रही है. ये आम आदमी पार्टी के दबाव का ही नतीजा है कि दिल्ली में इनके प्रयोगों को कई राज्य सरकारों को अपने यहां करने पड़े हैं.

कांग्रेस व भाजपा में हलचल स्वाभाविक: हिमाचल ने भी हाल ही में 60 यूनिट तक फ्री बिजली की है. राज्य के विधानसभा चुनाव एक तिहाई से ज्यादा सीटें चार हजार से भी कम वोट से तय हो जाती हैं.ऐसे में किसी भी तीसरे विकल्प की चुनाव में एंट्री गणित बदल सकती है. राज्य के विपक्षी दल कांग्रेस के लिए दुविधा की स्थिति ये है कि वीरभद्र सिंह की तरह निर्विवाद नेतृत्व अब है नहीं और नए चेहरे को चुनाव पूर्व सीएम फेस घोषित करने का जोखिम शायद कांग्रेस पहले न ले. उधर, जिस तरह से दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस का वोट शेयर आम आदमी पार्टी अपने पाले में खींच रही है, उस से हिमाचल में भी कांग्रेस व भाजपा में हलचल मचना स्वाभाविक है.


भाजपा की मुश्किल: भाजपा के लिए भी मुश्किल ये है कि हाल में चार उपचुनाव हारने के बाद विधानसभा चुनाव के लिए मिशन रिपीट का लक्ष्य पूरा करना है. राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारियों ने आंदोलन के रास्ते पकड़े हुए हैं. नगर निगम शिमला का चुनाव सिर पर है. सरकार और संगठन में भी बदलाव होने शेष हैं. ऐसे में भाजपा को आम आदमी पार्टी को भी एक विपक्षी दल समझकर रणनीति बनानी होगी. भाजपा को उत्तराखंड के चुनाव नतीजे एक उम्मीद दे रहे है कि हिमाचल में भी मिशन रिपीट संभव है. चुनावी साल में संगठन को सक्रिय कर कैडर को जमीन पर उतारना मुख्य चुनौती होगी. आम आदमी पार्टी भी शिमला नगर निगम चुनाव में कूदने वाली है. इनके लिए भी पहला टेस्ट राजधानी शिमला में ही हो जाएगा. पंजाब में मिली जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने हिमाचल को टटोलना शुरू कर दिया है. इनकी मीडिया टीम दो दिन में राज्य के दौरे पर होगी. इसके बाद अगले कार्यक्रम तय हो रहे हैं.

कांग्रेस व भाजपा बारी-बारी सत्ता: वैसे हिमाचल में राजनीति अमूमन दो ही दलों के इर्द गिर्द घूमती है. कांग्रेस व भाजपा बारी- बारी से सत्ता में आते रहे. तीन दशक से भी अधिक समय से हिमाचल में कोई दल सरकार रिपीट करने में कामयाब नहीं हुआ. हालांकि ,नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने मिशन रिपीट को लक्ष्य बनाया है. 2017 के चुनाव में अमित शाह ने हिमाचल में प्रचार के दौरान कहा था कि भाजपा यहां 15 साल तक सरकार में रहने का इरादा रखती है.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी राजेश मंढोत्रा के अनुसार अब आम आदमी पार्टी को कम आंकना भारी भी पड़ सकता है. हालांकि, अभी हिमाचल को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. आम आदमी पार्टी की नजर दोनों दलों से नाराज नेताओं पर रहेगी. अभी आप को यहां कार्यकर्ता भी जोड़ने हैं. फिर हिमाचल की राजनीति अलग तरह की है. यहां की आर्थिक परिस्थितियों में कोई बड़े वादे करना कठिन है. उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की जीत से उत्साहित सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि हिमाचल में भी फिर से भाजपा सरकार बनेगी.

ये भी पढ़ें : जनादेश स्वीकार, लेकिन जयराम सरकार को खुश होने की जरूरत नहीं, हिमाचल में कांग्रेस की होगी वापसी: मुकेश अग्निहोत्री

शिमला: चार विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए उत्साह बढ़ाने वाले साबित हुए. यूपी, उत्तराखंड में सत्ता में वापसी के बाद हिमाचल भाजपा को भी मिशन रिपीट के लिए हौसला (Himachal BJP excited by victory)मिला, लेकिन पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद ये भी चर्चा चल निकली है कि क्या हिमाचल में तीसरी राजनीतिक ताकत के लिए कोई राह (Aam Aadmi Party is active in Himachal)बन रही है.

क्या आम आदमी पार्टी हिमाचल में जनता को तीसरा विकल्प देने में सफल होगी. इन सवालों का जवाब तलाशने से पहले हमें हिमाचल की राजनीति और यहां की जनता के मूड का विश्लेषण करना होगा. बता दें कि हिमाचल में भाजपा व कांग्रेस के अलावा तीसरा विकल्प कभी उभरा ही नहींय ये सही है कि 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस ने जरूर सत्ता का संतुलन अपने हाथ में लिया था, लेकिन ये सिलसिला अधिक देर तक नहीं चला. पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई थी. तब 1998 में इस नई पार्टी के 5 नेता चुनाव जीते थे और भाजपा ने उनके सहयोग से सरकार चलाई. बाद में हिमाचल विकास कांग्रेस का कांग्रेस में विलय हो गया.

पड़ोस में आप देवभूमि का बढ़ा राजनीतिक ताप: पड़ोसी राज्य पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत ने हिमाचल के आगामी विधानसभा चुनाव को रोचक बना दिया है. हालांकि, बारी -बारी की सरकार की राह पर चलने वाले उत्तराखंड ने पहली बार इस मिथक को तोड़ते हुए दोबारा भाजपा को मौका दिया है, लेकिन सियासी फिजा में सवाल तैर रहा है कि चुनावी साल में हिमाचल में क्या होगा. क्या आम आदमी पार्टी यहां चुनाव को तिकोना बना पाएगी.

ये सवाल इसलिए क्योंकि इससे पहले हिमाचल में केवल पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस ही थोड़े समय के लिए एक विकल्प बन पाई थी. राज्य में सत्ता दो दलों कांग्रेस और भाजपा में ही बंटती रही है. ये आम आदमी पार्टी के दबाव का ही नतीजा है कि दिल्ली में इनके प्रयोगों को कई राज्य सरकारों को अपने यहां करने पड़े हैं.

कांग्रेस व भाजपा में हलचल स्वाभाविक: हिमाचल ने भी हाल ही में 60 यूनिट तक फ्री बिजली की है. राज्य के विधानसभा चुनाव एक तिहाई से ज्यादा सीटें चार हजार से भी कम वोट से तय हो जाती हैं.ऐसे में किसी भी तीसरे विकल्प की चुनाव में एंट्री गणित बदल सकती है. राज्य के विपक्षी दल कांग्रेस के लिए दुविधा की स्थिति ये है कि वीरभद्र सिंह की तरह निर्विवाद नेतृत्व अब है नहीं और नए चेहरे को चुनाव पूर्व सीएम फेस घोषित करने का जोखिम शायद कांग्रेस पहले न ले. उधर, जिस तरह से दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस का वोट शेयर आम आदमी पार्टी अपने पाले में खींच रही है, उस से हिमाचल में भी कांग्रेस व भाजपा में हलचल मचना स्वाभाविक है.


भाजपा की मुश्किल: भाजपा के लिए भी मुश्किल ये है कि हाल में चार उपचुनाव हारने के बाद विधानसभा चुनाव के लिए मिशन रिपीट का लक्ष्य पूरा करना है. राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारियों ने आंदोलन के रास्ते पकड़े हुए हैं. नगर निगम शिमला का चुनाव सिर पर है. सरकार और संगठन में भी बदलाव होने शेष हैं. ऐसे में भाजपा को आम आदमी पार्टी को भी एक विपक्षी दल समझकर रणनीति बनानी होगी. भाजपा को उत्तराखंड के चुनाव नतीजे एक उम्मीद दे रहे है कि हिमाचल में भी मिशन रिपीट संभव है. चुनावी साल में संगठन को सक्रिय कर कैडर को जमीन पर उतारना मुख्य चुनौती होगी. आम आदमी पार्टी भी शिमला नगर निगम चुनाव में कूदने वाली है. इनके लिए भी पहला टेस्ट राजधानी शिमला में ही हो जाएगा. पंजाब में मिली जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने हिमाचल को टटोलना शुरू कर दिया है. इनकी मीडिया टीम दो दिन में राज्य के दौरे पर होगी. इसके बाद अगले कार्यक्रम तय हो रहे हैं.

कांग्रेस व भाजपा बारी-बारी सत्ता: वैसे हिमाचल में राजनीति अमूमन दो ही दलों के इर्द गिर्द घूमती है. कांग्रेस व भाजपा बारी- बारी से सत्ता में आते रहे. तीन दशक से भी अधिक समय से हिमाचल में कोई दल सरकार रिपीट करने में कामयाब नहीं हुआ. हालांकि ,नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने मिशन रिपीट को लक्ष्य बनाया है. 2017 के चुनाव में अमित शाह ने हिमाचल में प्रचार के दौरान कहा था कि भाजपा यहां 15 साल तक सरकार में रहने का इरादा रखती है.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी राजेश मंढोत्रा के अनुसार अब आम आदमी पार्टी को कम आंकना भारी भी पड़ सकता है. हालांकि, अभी हिमाचल को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. आम आदमी पार्टी की नजर दोनों दलों से नाराज नेताओं पर रहेगी. अभी आप को यहां कार्यकर्ता भी जोड़ने हैं. फिर हिमाचल की राजनीति अलग तरह की है. यहां की आर्थिक परिस्थितियों में कोई बड़े वादे करना कठिन है. उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की जीत से उत्साहित सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि हिमाचल में भी फिर से भाजपा सरकार बनेगी.

ये भी पढ़ें : जनादेश स्वीकार, लेकिन जयराम सरकार को खुश होने की जरूरत नहीं, हिमाचल में कांग्रेस की होगी वापसी: मुकेश अग्निहोत्री

Last Updated : Mar 11, 2022, 9:10 AM IST
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