शिमला: प्रदेश में कोविड की वजह से साहित्य और कला से जुड़े आयोजन नहीं हो पा रहे हैं. फिर भी इन गतिविधियों को रोका नहीं गया है, बल्कि हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से साहित्य और कला से जुड़ी गतिविधियों को इस समय भी लगातार जारी रखा गया है.
अकादमी की ओर से ऑनलाइन आयोजन लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए किए जा रहे हैं. इतना ही नहीं इसी बीच अकादमी की ओर से पुस्तकों को प्रकाशित करने का काम भी किया गया है. दो पुस्तकें अकादमी की ओर से लॉकडाउन के समय में प्रकाशित की गई हैं.
अकादमी की ओर से प्रकाशित की गई इन दो किताबों में एक किताब नव संवत्सर परंपरा पर है. वहीं, दूसरी किताब अकादमी कि ओर से हिमाचल लोक रामायण पर प्रकाशित की गई है. दोनों ही किताबें हिमाचल की लोक संस्कृति को दर्शाती हैं.
नव संवत्सर परंपरा पर प्रकाशित की गई यह किताब हिमाचल के अलग-अलग जिलों में नया साल की परंपरा मनाने पर आधारित हैं. हिमाचल में अलग-अलग जिलों में नए साल को मनाने के अलग-अलग तरीके है. पारंपरिक तरीकों से यहां पर नए साल का जश्न पकवान और कई जगहों पर मेले लगा कर मनाया जाता है. इसके बारे में बताने के लिए इस किताब को प्रकाशित किया गया है.
वहीं, लोक रामायण पर प्रकाशित की गई दूसरी किताब में लोक रामायण की परंपरा पर आधारित गीत, लोकगाथाओं पर विद्वानों के लेख प्रकाशित किए गए है.
हिमाचल की संस्कृति और यहां की लोक परंपरा को दर्शाती हुई यह दोनों ही पुस्तकें अहम है. इसके साथ ही अकादमी लॉकडाउन के इस समय में साहित्यकारों और लेखकों को मंच प्रदान कर रही है. साहित्य और कला से जुड़े आयोजन किए जा रहे है.
साहित्यकार और लेखक अपनी लिखित रचनाएं ऑनलाइन आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में सुना रहे है. अकादमी सचिव डॉ. कर्म सिंह ने बताया कि कोविड की वजह से अकादमी की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, लेकिन अब ऑनलाइन ही इन गतिविधियों को शुरू कर दिया गया है. साहित्यकारों और लेखकों को उनकी रचनाओं को लिखने और प्रकाशित करने को लेकर प्रोत्साहित किया जा रहा हैं. इसके साथ ही पुस्तकों को भी प्रकाशित किया जा रहा है.
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