शिमला: हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश से तबाह हुए नेशनल हाईवे की बहाली के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे. हिमाचल हाई कोर्ट के समक्ष वर्चुअल माध्यम से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को ये आश्वासन दिया. उन्होंने कहा हा कि हिमाचल के नेशनल हाईवेज के लिए प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं. बता दें कि हाई कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को अदालत के समक्ष पेश होकर अपना मत व्यक्त करने के लिए कहा था. वहीं, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ इस संदर्भ में अदालत में दाखिल याचिका की सुनवाई कर रही है.
दरअसल, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि हिमाचल प्रदेश में तबाह हुए नेशनल हाईवेज की बहाली के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में आईआईटी रुड़की और आईआईटी मंडी के अलावा नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुभवी सदस्यों को शामिल किया गया है.
सॉलिस्टिर जनरल का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की आगामी सुनवाई 22 सितंबर को निर्धारित कर दी. उल्लेखनीय है कि मानसून से बर्बाद हुए चंडीगढ़-शिमला व चंडीगढ़-मनाली हाईवे को लेकर अवैज्ञानिक कटिंग का आरोप लगाया गया है. इंजीनियरिंग के क्षेत्र में साढ़े चार दशक का अनुभव रखने वाले श्यामकांत धर्माधिकारी ने हाई कोर्ट से शिकायत की थी कि एनएचएआई ने हाईवे के लिए अवैज्ञानिक कटिंग की है.
धर्माधिकारी ने हाई कोर्ट को लिखे शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों के कटान से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. इंजीनियरिंग से जुड़ी खामियों को नजर अंदाज किया गया और हिमाचल में सोचे-समझे बिना भूमिगत सुरंगें, सडक़ें और पुलों से पहाड़ों का अनियोजित उत्खनन किया जा रहा है. सडक़ों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है.
पत्र में धर्माधिकारी ने लिखा है कि बेशक इंजीनियरिंग के बिना किसी भी राष्ट्र के विकास और निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती है, लेकिन मौजूदा समय में सही इंजीनियरिंग और वास्तु कला की सख्त जरूरत है. यदि इंजीनियरिंग और वास्तु कला में जरा सी भी गलती पाई जाती है तो हजारों मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. तकनीक की कमी और पुराने उपयोग के कारण सडक़ की रिटेनिंग दीवारें कमजोर हुई हैं. मार्गों के आसपास जल निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है. चिंता का विषय है कि सडक़ के दोनों तरफ तीन मीटर की जमीन अतिरिक्त रूप से अधिग्रहित की गई है.
पत्र में धर्माधिकारी ने लिखा है कि शहरों और गांवों में सर्विस लेन नहीं है. इससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा रहता है. बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण भूमि कटाव हुआ है. इससे लगातार भूस्खलन हो रहा है. धर्माधिकारी ने अदालत से आग्रह किया है कि इन सभी बातों का संज्ञान लिया जाए और संबंधित एजेंसिज को उचित दिशा-निर्देश दिए जाएं.
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