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सेवा लाभ के लिए बीबीएमबी ने कर्मी को किया अदालत जाने पर मजबूर, हाई कोर्ट ने लगाई 50 हजार कॉस्ट

हाईकोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि दोषी अधिकारी चाहे सेवा में हो या फिर रिटायर हो गया है, राशि उससे वसूल होनी चाहिए. हाई कोर्ट ने बीबीएमबी के सचिव से अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है. मामले की अगली सुनवाई अब वर्ष 2020 के जनवरी माह में होगी.

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Published : Aug 13, 2019, 10:42 PM IST

High court

शिमला: भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानी बीबीएमबी को अपने कर्मचारी को सेवा लाभ न देने और अदालत जाने पर मजबूर करना भारी पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीबीएमबी पर इसके लिए 50 हजार रुपए कॉस्ट लगाई है.


हाईकोर्ट ने पाया कि बीबीएमबी ने अपने कर्मी को अदालत जाने के लिए मजबूर किया है. ऐसे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आदेश दिया है कि पहले बीबीएमबी कर्मचारी को पचास हजार रुपए का भुगतान करेगी. अदालत ने बीबीएमबी प्रबंधन को आदेश दिए हैं कि वह इस मामले में जांच करे और दोषी अधिकारी से उक्त राशि को वसूला जाए, लेकिन इससे पहले कर्मचारी को 50 हजार रुपए का भुगतान किया जाए.


हाईकोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि दोषी अधिकारी चाहे सेवा में हो या फिर रिटायर हो गया है, राशि उससे वसूल होनी चाहिए. हाई कोर्ट ने बीबीएमबी के सचिव से अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है. मामले की अगली सुनवाई अब वर्ष 2020 के जनवरी माह में होगी.


हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने प्रार्थी धनपत लाल शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा कि बीबीएमबी इस मामले में अदालत के समक्ष बिना किसी आधार के पैरवी करती रही और इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.


मामले के अनुसार प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया था कि बीबीएमबी ने प्रतिवादी को प्रमोट कर दिया, जो उससे जूनियर था. अदालत ने पाया कि रिकॉर्ड के अनुसार प्रार्थी धनपत प्रतिवादी से सीनियर है और बिना किसी वजह से बीबीएमबी ने उसकी प्रमोशन को रोके रखा और अदालत के समक्ष बिना किसी वजह से पैरवी होती रही.


अदालत ने बीबीएमबी की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए प्रार्थी की याचिका को स्वीकार किया था. अब बीबीएमबी को आदेश जारी किए गए हैं कि वह प्रार्थी को उस दिन से प्रमोशन दे, जिस दिन से उसके जूनियर प्रतिवादी को प्रमोट किया गया.

शिमला: भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानी बीबीएमबी को अपने कर्मचारी को सेवा लाभ न देने और अदालत जाने पर मजबूर करना भारी पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीबीएमबी पर इसके लिए 50 हजार रुपए कॉस्ट लगाई है.


हाईकोर्ट ने पाया कि बीबीएमबी ने अपने कर्मी को अदालत जाने के लिए मजबूर किया है. ऐसे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आदेश दिया है कि पहले बीबीएमबी कर्मचारी को पचास हजार रुपए का भुगतान करेगी. अदालत ने बीबीएमबी प्रबंधन को आदेश दिए हैं कि वह इस मामले में जांच करे और दोषी अधिकारी से उक्त राशि को वसूला जाए, लेकिन इससे पहले कर्मचारी को 50 हजार रुपए का भुगतान किया जाए.


हाईकोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि दोषी अधिकारी चाहे सेवा में हो या फिर रिटायर हो गया है, राशि उससे वसूल होनी चाहिए. हाई कोर्ट ने बीबीएमबी के सचिव से अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है. मामले की अगली सुनवाई अब वर्ष 2020 के जनवरी माह में होगी.


हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने प्रार्थी धनपत लाल शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा कि बीबीएमबी इस मामले में अदालत के समक्ष बिना किसी आधार के पैरवी करती रही और इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है.


मामले के अनुसार प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया था कि बीबीएमबी ने प्रतिवादी को प्रमोट कर दिया, जो उससे जूनियर था. अदालत ने पाया कि रिकॉर्ड के अनुसार प्रार्थी धनपत प्रतिवादी से सीनियर है और बिना किसी वजह से बीबीएमबी ने उसकी प्रमोशन को रोके रखा और अदालत के समक्ष बिना किसी वजह से पैरवी होती रही.


अदालत ने बीबीएमबी की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए प्रार्थी की याचिका को स्वीकार किया था. अब बीबीएमबी को आदेश जारी किए गए हैं कि वह प्रार्थी को उस दिन से प्रमोशन दे, जिस दिन से उसके जूनियर प्रतिवादी को प्रमोट किया गया.

सेवा लाभ के लिए बीबीएमबी ने कर्मी को किया अदालत जाने पर मजबूर, हाईकोर्ट ने लगाई 50 हजार कॉस्ट
शिमला। भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानी बीबीएमबी को अपने कर्मचारी को सेवा लाभ न देने और अदालत जाने पर मजबूर करना भारी पड़ा है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीबीएमबी पर इसके लिए 50 हजार रुपए कॉस्ट लगाई है। हाईकोर्ट ने पाया कि बीबीएमबी ने अपने कर्मी को अदालत जाने के लिए मजबूर किया है। ऐसे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने आदेश दिया है कि पहले बीबीएमबी कर्मचारी को पचास हजार रुपए का भुगतान करेगी। अदालत ने बीबीएमबी प्रबंधन को आदेश दिए हैं कि वह इस मामले में जांच करे तथा दोषी अधिकारी से उक्त राशि को वसूला जाए। लेकिन इससे पहले कर्मचारी को 50 हजार रुपए का भुगतान किया जाए। हाईकोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि दोषी अधिकारी चाहे सेवा में हो या फिर रिटायर हो गया है, राशि उससे वसूल होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने बीबीएमबी के सचिव से अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है। मामले की अगली सुनवाई अब वर्ष 2020 के जनवरी माह में होगी। हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने प्रार्थी धनपत लाल शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा कि बीबीएमबी इस मामले में अदालत के समक्ष बिना किसी आधार के पैरवी करती रही और इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है। मामले के अनुसार प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया था कि बीबीएमबी ने प्रतिवादी को प्रमोट कर दिया, जो उससे जूनियर था। अदालत ने पाया कि रिकॉर्ड के अनुसार प्रार्थी धनपत प्रतिवादी से सीनियर है और बिना किसी वजह से बीबीएमबी ने उसकी प्रमोशन को रोके रखा और अदालत के समक्ष बिना किसी वजह से पैरवी होती रही। अदालत ने बीबीएमबी की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए प्रार्थी की याचिका को स्वीकार किया था। अब बीबीएमबी को आदेश जारी किए गए हैं कि वह प्रार्थी को उस दिन से प्रमोशन दे, जिस दिन से उसके जूनियर प्रतिवादी को प्रमोट किया गया।
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