शिमला: सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार कोविड संक्रमित मरीजों के लिए अधिकृत सरकारी और अन्य अस्पतालों के निरीक्षण, पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन के लिए समिति गठित की गई है. प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार को इस समिति के सदस्यों के विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है.
मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने यह आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश्वर सिंह चंदेल की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए. याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिमाचल सरकार की ओर से कोविड -19 महामारी के रोकथाम के लिए उठाए जा रहे प्रतिबंधात्मक उपाय नाकाफी हैं.
याचिका में स्थिति को संभालने के लिए विभिन्न उपाय भी सुझाए गए हैं. प्रार्थी ने सम्बंधित उत्तरदायी अधिकारियों को जरूरी उपायों को लागू करने और न्यायालय को इस आशय की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश देने की मांग की है. हिमाचल में कोविड-19 के संबंध में तेजी से विकसित होने वाली स्थिति पर नजर रखने के लिए डॉक्टरों और अधिकारियों की विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति करने की मांग भी की है.
मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के 19 जून, 2020 को पारित आदेश की प्रति सौंपी जिसमें कोरोना रोगियों के समुचित इलाज और अस्पतालों में शवों की गरिमापूर्ण हैंडलिंग के संबंध में निर्देश पारित किए गए हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के इन आदेशों में प्रत्येक राज्य में कोविड -19 से पीड़ित मरीजों को समर्पित सरकारी और अन्य अस्पतालों के निरीक्षण, पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञ समितियों के गठन करने के संबंध में आदेश दिए गए हैं. इन्ही आदेशों के तहत कोरोना महामारी से जुड़ी सुविधाओं और परीक्षणों की उचित दरों को निर्धारित करने के आदेश भी केंद्र व राज्य सरकारों को दिए गए हैं. मामले पर सुनवाई 1 सितंबर को निर्धारित की गई है.
पढ़ें: एशिया के सबसे Richest village में एक है शिमला का ये गांव, आज तक खड्ड पर नहीं पक्का पुल