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दागी अफसरों की सूची में क्यों नहीं एसीएस प्रबोध सक्सेना का नाम, हाईकोर्ट में सोमवार को होगी सुनवाई - IAS officer Prabodh Saxena

अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का नाम दागी अधिकारियों की सूची में डालने के मामले की सुनवाई 21 नवंबर को निर्धारित की गई है. बलदेव शर्मा के आवेदन पर हाईकोर्ट (Himachal high court) ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध किया गया था. आवेदन में आरोप लगाया गया है कि मुख्य सचिव ने प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझ कर दागी अधिकारियों की सूची में नहीं डाला है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal high court
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Published : Nov 18, 2022, 8:05 PM IST

शिमला: राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव और सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई लिस्ट (ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी) यानी दागी अफसरों की सूची में न डालने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal high court) में सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है. इस बारे में बलदेव शर्मा की तरफ से हाईकोर्ट में आवेदन किया गया था. उनके आवेदन पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया हुआ है. यह मामला हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद ए सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष लिस्ट किया गया है.

बलदेव शर्मा की तरफ से दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझकर ओडीआई लिस्ट में नहीं डाला गया है. मुख्य सचिव को ये मालूम था कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है. इसके बावजूद मुख्य सचिव ने एसीएस सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नहीं डाला. हाईकोर्ट में जब ओडीआई लिस्ट पेश करनी थी तो मुख्य सचिव ने उस सूची में प्रबोध सक्सेना का नाम शामिल नहीं किया. यही नहीं, आवेदन में ये भी आरोप लगाया गया है कि एसीएस प्रबोध सक्सेना को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें राज्य सरकार में संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है.

आवेदन में दलील दी गई है कि सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआई की दिल्ली स्थित अदालत में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है. प्रबोध सक्सेना के खिलाफ 350 करोड़ के घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की हुई है. इस मामले की पूरी जानकारी होते हुए भी हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव ने अदालत के समक्ष झूठा हल्फनामा दाखिल किया है. यही नहीं, ओडीआई में होने के बावजूद उन्हें राज्य सरकार में वित्त विभाग सहित अन्य संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है.

उल्लेखनीय है कि इस समय अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना (IAS officer Prabodh Saxena) के पास राज्य सरकार में वित्त विभाग सहित कार्मिक, पर्यावरण और योजना विभाग का जिम्मा सौंपा गया है. इसके अतिरिक्त उन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार भी दिया गया है. अब मामले की सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है.(Case Of Corrupt Officers in Himachal).

ये भी पढ़ें: Himachal TET Schedule: शिक्षा बोर्ड ने अध्‍यापक पात्रता परीक्षा का शेड्यूल बदला, अब इस दिन होगी परीक्षा

शिमला: राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव और सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना का नाम ओडीआई लिस्ट (ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी) यानी दागी अफसरों की सूची में न डालने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal high court) में सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है. इस बारे में बलदेव शर्मा की तरफ से हाईकोर्ट में आवेदन किया गया था. उनके आवेदन पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया हुआ है. यह मामला हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद ए सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष लिस्ट किया गया है.

बलदेव शर्मा की तरफ से दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना का नाम जानबूझकर ओडीआई लिस्ट में नहीं डाला गया है. मुख्य सचिव को ये मालूम था कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित है. इसके बावजूद मुख्य सचिव ने एसीएस सक्सेना का नाम दागी अफसरों की सूची में नहीं डाला. हाईकोर्ट में जब ओडीआई लिस्ट पेश करनी थी तो मुख्य सचिव ने उस सूची में प्रबोध सक्सेना का नाम शामिल नहीं किया. यही नहीं, आवेदन में ये भी आरोप लगाया गया है कि एसीएस प्रबोध सक्सेना को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें राज्य सरकार में संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है.

आवेदन में दलील दी गई है कि सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआई की दिल्ली स्थित अदालत में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है. प्रबोध सक्सेना के खिलाफ 350 करोड़ के घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की हुई है. इस मामले की पूरी जानकारी होते हुए भी हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव ने अदालत के समक्ष झूठा हल्फनामा दाखिल किया है. यही नहीं, ओडीआई में होने के बावजूद उन्हें राज्य सरकार में वित्त विभाग सहित अन्य संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया है.

उल्लेखनीय है कि इस समय अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के सीनियर आईएएस अफसर प्रबोध सक्सेना (IAS officer Prabodh Saxena) के पास राज्य सरकार में वित्त विभाग सहित कार्मिक, पर्यावरण और योजना विभाग का जिम्मा सौंपा गया है. इसके अतिरिक्त उन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार भी दिया गया है. अब मामले की सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है.(Case Of Corrupt Officers in Himachal).

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