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SMC टीचर्स की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, HC के आदेशों को दी थी चुनौती

हाईकोर्ट ने एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया था. ऐसे में अब टीचर्स को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय होगा कि एसएमसी शिक्षक सेवाएं देंगे या फिर उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.

फाइल फोटो
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Published : Oct 8, 2020, 8:44 AM IST

Updated : Oct 8, 2020, 4:01 PM IST

शिमला: एसएमसी (स्कूल प्रबंधन समिति) शिक्षकों के हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. प्रदेश सरकार ने टीचर्स के साथ मामले में एसएलपी दायर की है.

हाईकोर्ट ने एमससी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया था. ऐसे में अब टीचर्स को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय होगा कि एसएमसी शिक्षक सेवाएं देंगे या फिर उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.

बीते माह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने एसएलपी दायर करने की बात कही थी. कोर्ट ने सरकार के आग्रह पर सुनवाई आठ अक्तूबर तक टाल दी थी. प्रदेश सरकार को एसएमसी शिक्षकों की संख्या, उनकी सेवाओं वाले क्षेत्रों समेत अन्य नियमित शिक्षकों को दिए जा रहे वेतन का पूरा ब्योरा देने के निर्देश दिए थे.

हाईकोर्ट ने बीते माह एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाते हुए उनकी जगह छह माह में नियमित शिक्षकों की भर्ती करने का फैसला दिया था. बता दें कि एसएमसी टीचर्स हिमाचल के दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में साल 2012 से सेवाएं दे रहे हैं.

शिक्षकों की नौकरी संकट में आने के बाद हरकत में आई सरकार ने कैबिनेट बैठक में विस्तृत चर्चा की थी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. इस बीच शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एसएलपी दायर की थी.

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर नियमों के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां करे. इन आदेशों को एसएमसी पीरियड बेस अध्यापकों के संघ व कुछ एसएमसी अध्यापकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

शिमला: एसएमसी (स्कूल प्रबंधन समिति) शिक्षकों के हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. प्रदेश सरकार ने टीचर्स के साथ मामले में एसएलपी दायर की है.

हाईकोर्ट ने एमससी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया था. ऐसे में अब टीचर्स को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय होगा कि एसएमसी शिक्षक सेवाएं देंगे या फिर उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.

बीते माह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने एसएलपी दायर करने की बात कही थी. कोर्ट ने सरकार के आग्रह पर सुनवाई आठ अक्तूबर तक टाल दी थी. प्रदेश सरकार को एसएमसी शिक्षकों की संख्या, उनकी सेवाओं वाले क्षेत्रों समेत अन्य नियमित शिक्षकों को दिए जा रहे वेतन का पूरा ब्योरा देने के निर्देश दिए थे.

हाईकोर्ट ने बीते माह एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाते हुए उनकी जगह छह माह में नियमित शिक्षकों की भर्ती करने का फैसला दिया था. बता दें कि एसएमसी टीचर्स हिमाचल के दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों में साल 2012 से सेवाएं दे रहे हैं.

शिक्षकों की नौकरी संकट में आने के बाद हरकत में आई सरकार ने कैबिनेट बैठक में विस्तृत चर्चा की थी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी. इस बीच शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एसएलपी दायर की थी.

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर नियमों के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां करे. इन आदेशों को एसएमसी पीरियड बेस अध्यापकों के संघ व कुछ एसएमसी अध्यापकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

Last Updated : Oct 8, 2020, 4:01 PM IST
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