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एमसी शिमला वोटर्स लिस्ट: बाहरी विधानसभा के वोटर्स से जुड़ी याचिका पर सुनवाई टली - एमसी शिमला वोटर्स लिस्ट

बाहरी विधानसभा के एमसी शिमला वोटर्स लिस्ट से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 6 मार्च तक टल गई. इस मामले में कुणाल वर्मा ने याचिका दाखिल की है.

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Published : Mar 2, 2023, 10:00 PM IST

शिमला: एमसी शिमला की वोटर्स लिस्ट में शिमला से अलग बाहरी विधानसभा के वोटर्स को मतदान से रोकने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टल गई है. राज्य सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट से आग्रह किया कि उसे दो दिन का समय दिया जाए. गुरुवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने इस मामले में सरकार की ओर से हिदायत पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगा. इस पर ये सुनवाई 6 मार्च तक टल गई.

इस मामले में कुणाल वर्मा ने याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है.याचिका के अनुसार शहरी विकास विभाग की 9 मार्च 2022 को जारी अधिसूचना के लागू होने से शिमला नगर निगम के 20000 से अधिक मतदाता प्रभावित होंगे. उस अधिसूचना के लागू होने से ऐसे 20 हजार के करीब मतदाता वोटर्स लिस्ट से हटा दिए जाएंगे. यहां बता दें कि एमसी शिमला का नगर क्षेत्र राज्य विधानसभा क्षेत्रों के तीन खंडों अर्थात शिमला शहरी, कसुम्पटी व शिमला ग्रामीण तक फैला हुआ है.

एमसी शिमला का वर्तमान कार्यकाल गत वर्ष 18 जून को पूरा हो गया था. प्रार्थी का कहना है कि वो एमसी शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहता था, लेकिन सरकार द्वारा जारी अधिसूचना उसे इस अधिकार से वंचित कर रही है. प्रार्थी का आरोप है कि ऐसा पहली बार किया गया है. इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई मतदाता उस विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो एमसी शिमला का हिस्सा नहीं है, तो उसे एमसी में निर्वाचक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाएगा.

यह अधिसूचना जारी करके सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव नियम, 2012 के नियम 14, 16 और 26 में संशोधन किया है. इससे अन्य विधायी निर्वाचन क्षेत्र के उन निर्वाचकों को नगर निगम के वोटर होने से रोक दिया गया है जो एमसी क्षेत्र का हिस्सा नही है. यह अधिसूचना उस नागरिक के नगर निगम क्षेत्र में वोट देने के संवैधानिक और वैधानिक अधिकार को खत्म करती है जो नगर निगम का सामान्य निवासी होने के साथ साथ किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र का मतदाता भी है. प्रार्थी का आरोप है कि विवादित अधिसूचना जारी करने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और संबंधित मतदाता की आपत्तियां भी आमंत्रित नहीं की गई है. अब इस पर फैसला 6 मार्च को होगा.

ये भी पढ़ें: हाई कोर्ट ने रद्द किया कैबिनेट का फैसला, वेटरनरी डॉक्टर्स की अनुबंध या एडहॉक सर्विस पर मिलेगा चार स्तरीय वेतनमान

शिमला: एमसी शिमला की वोटर्स लिस्ट में शिमला से अलग बाहरी विधानसभा के वोटर्स को मतदान से रोकने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टल गई है. राज्य सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट से आग्रह किया कि उसे दो दिन का समय दिया जाए. गुरुवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने इस मामले में सरकार की ओर से हिदायत पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगा. इस पर ये सुनवाई 6 मार्च तक टल गई.

इस मामले में कुणाल वर्मा ने याचिका दाखिल की है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है.याचिका के अनुसार शहरी विकास विभाग की 9 मार्च 2022 को जारी अधिसूचना के लागू होने से शिमला नगर निगम के 20000 से अधिक मतदाता प्रभावित होंगे. उस अधिसूचना के लागू होने से ऐसे 20 हजार के करीब मतदाता वोटर्स लिस्ट से हटा दिए जाएंगे. यहां बता दें कि एमसी शिमला का नगर क्षेत्र राज्य विधानसभा क्षेत्रों के तीन खंडों अर्थात शिमला शहरी, कसुम्पटी व शिमला ग्रामीण तक फैला हुआ है.

एमसी शिमला का वर्तमान कार्यकाल गत वर्ष 18 जून को पूरा हो गया था. प्रार्थी का कहना है कि वो एमसी शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहता था, लेकिन सरकार द्वारा जारी अधिसूचना उसे इस अधिकार से वंचित कर रही है. प्रार्थी का आरोप है कि ऐसा पहली बार किया गया है. इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई मतदाता उस विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो एमसी शिमला का हिस्सा नहीं है, तो उसे एमसी में निर्वाचक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाएगा.

यह अधिसूचना जारी करके सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव नियम, 2012 के नियम 14, 16 और 26 में संशोधन किया है. इससे अन्य विधायी निर्वाचन क्षेत्र के उन निर्वाचकों को नगर निगम के वोटर होने से रोक दिया गया है जो एमसी क्षेत्र का हिस्सा नही है. यह अधिसूचना उस नागरिक के नगर निगम क्षेत्र में वोट देने के संवैधानिक और वैधानिक अधिकार को खत्म करती है जो नगर निगम का सामान्य निवासी होने के साथ साथ किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र का मतदाता भी है. प्रार्थी का आरोप है कि विवादित अधिसूचना जारी करने की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और संबंधित मतदाता की आपत्तियां भी आमंत्रित नहीं की गई है. अब इस पर फैसला 6 मार्च को होगा.

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