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HC ने लगाई विद्युत बोर्ड कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन पर रोक, नहीं माने तो दर्ज होगा केस - State Electricity Board Employees News

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि अपनी मांगों को मनवाने के लिए राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते हैं.

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट.
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Published : Sep 24, 2020, 8:01 PM IST

शिमला: हाई कोर्ट ने राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि अपनी मांगों को मनवाने के लिए राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते हैं.

अदलात ने कहा कि कानून इसकी इजाजत नहीं देता है. प्रदेश उच्च न्यायालय पहले ही डॉक्टरों द्वारा की गई हड़ताल को गैरकानूनी करार दे चुका है. न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि कर्मचारी संघ का कोई भी सदस्य हड़ताल में भाग नहीं लेगा.

अगर कोई सदस्य बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के निर्णय से नाखुश हैं तो वह सक्षम न्यायालय या प्राधिकरण के समक्ष अपना मामला रख सकते हैं. न्यायालय इन लोगों को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं देगा.

अदालत ने ये साफ किया कि अगर फिर भी वह नहीं माने तो उनके खिलाफ विभागीय व अपराधिक मामले दर्ज करने के अलावा उन्हें न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने के लिए अवमानना के मामले का सामना करना पड़ेगा. मामले पर सुनवाई 29 अक्टूबर के लिए निर्धारित की गई है.

शिमला: हाई कोर्ट ने राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारियों के धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि अपनी मांगों को मनवाने के लिए राज्य विद्युत बोर्ड के कर्मचारी हड़ताल नहीं कर सकते हैं.

अदलात ने कहा कि कानून इसकी इजाजत नहीं देता है. प्रदेश उच्च न्यायालय पहले ही डॉक्टरों द्वारा की गई हड़ताल को गैरकानूनी करार दे चुका है. न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि कर्मचारी संघ का कोई भी सदस्य हड़ताल में भाग नहीं लेगा.

अगर कोई सदस्य बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के निर्णय से नाखुश हैं तो वह सक्षम न्यायालय या प्राधिकरण के समक्ष अपना मामला रख सकते हैं. न्यायालय इन लोगों को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं देगा.

अदालत ने ये साफ किया कि अगर फिर भी वह नहीं माने तो उनके खिलाफ विभागीय व अपराधिक मामले दर्ज करने के अलावा उन्हें न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने के लिए अवमानना के मामले का सामना करना पड़ेगा. मामले पर सुनवाई 29 अक्टूबर के लिए निर्धारित की गई है.

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