शिमला: अंबुजा और एसीसी सीमेंट कंपनी के मालभाड़े पर अब सरकार अंतिम फैसले लेगी. सीमेंट कंपनियों के प्रबंधन हिमकॉन के तय मालभाडे़ को मानने को भी तैयार नहीं है. बीते गुरुवार को हुई बैठक में कंपनी प्रबंधन ने हिमकॉन के तय भाड़े को लेकर असहमति जताई थी. बताया जा रहा है कि कंपनी प्रबंधन भाड़े के कैलकुलेशन को सही नहीं मान रहा है. ऐसे में अब गेंद सरकार के पाले में है और सरकार ही इसमें फैसला करेगी.
बताया जा रहा है कि हिमकॉन ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें मालभाड़ा 10.78 रुपए प्रति किलोमीटर प्रति टन के हिसाब से तय किया गया है. इसकी रिपोर्ट बीते गुरुवार को हुई सब कमेटी में रखी गई. हालांकि ट्रक ऑपरेटर भी इस रिपोर्ट में की कैलकुलेशन से सहमत नहीं थे. ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि तेल का खर्च व टायर की घिसाई, बीमा सहित कुछ बिंदुओं का किराया निर्धारण सही नहीं किया गया है. वहीं, कंपनी प्रबंधन इस भाड़े को भी ज्यादा मान रहा है.
कई दौर की बातचीत में नहीं निकला हल: ट्रक ऑपरेटरों और सीमेटं कंपनियों के विवाद को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है. 12 जनवरी को शिमला में सिविल सप्लाई कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में बनी सब कमेटी की एक बैठक हुई थी. जिसमें सीमेंट प्लांटस के ट्रांसपोर्टर, कंपनी प्रबंधन शामिल हुए थे. लेकिन बैठक में मालभाड़े पर तैयार हिमकॉन की रिपोर्ट से सीमेंट कंपनियां सहमत नहीं थी. इससे पहले 2 जनवरी को इसी सब कमेटी के समक्ष दोनों पक्षों ने अपनी ओर से तय किराए को इसमें रखा था. इस बैठक में हिमकॉन को मालभाड़े पर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन जब रिपोर्ट आई तो इस पर भी सहमति नहीं बनी.
स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में नहीं निकला था समाधान: सरकार की स्टैंडिंग कमेटी की इस मसले को लेकर बैठक 23 दिसंबर को शिमला में हुई थी. परिवहन विभाग के प्रधान सचिव आरडी नजीम की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी कोई समाधान नहीं हो पाया. इसके बाद एसडीएम अर्की ने भी एक बैठक अंबुजा सीमेंट कंपनी और ट्रांसपोर्टरों के बीच भी हुई. इस तरह कई दौरों के बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है. सीमेंट मालभाड़े के विवाद को लेकर अडानी ग्रुप ने बरमाणा और अंबुजा के प्लांट 15 दिसंबर से बंद कर रखे हैं. इससे हजारों परिवार का रोजगार खत्म हो हो गया है. सरकार भी जल्द से जल्द इस मसले का हल निकालना चाह रही है.
सीमेंट मालभाड़े की रिपोर्ट पर सरकार जल्द ले फैसला: दोनों पक्षों के बीच मालभाड़े को लेकर पैदा हुआ विवाद खत्म नहीं हो रहा. ऐसे में अब गेंद अब सरकार के पाले में है. सरकार ही इसको लेकर अंतिम फैसला करेगी. ट्रक ऑपरेटर आंदोलन तेज करने की बात कर चुके हैं, इसके तहत वह पहले 19 जनवरी को एक विशाल प्रदर्शन बिलासपुर में करने जा रहे हैं. यही नहीं अगर इसके बाद भी विवाद नहीं सुलझता तो वे आंदोलन को तेज करने की बात भी कह रहे हैं. दाड़लाघाट से जुड़े बाघल लैंड लूजर्स ट्रांसपोर्ट कॉपोरेटिव सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा ने कहा है कि कंपनी प्रबंधन हिमकॉन के तय मालभाड़े को मानने को तैयार नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग की कि वह इस मामले में तत्काल फैसला कर नोटिफिकेशन जारी करे, अन्यथा ट्रक ऑपरेटर आंदोलन तेज करने पर मजबूर होंगे.
प्रधान सचिव परिवहन आरडी नजीम ने कहा है कि हिमकॉन ने मालभाड़े को लेकर रिपोर्ट दे दी है और इसको स्टैंडिंग कमेटी देखेगी और इस बारे में कोई फैसला लेगी. उन्होंने कहा कि सरकार इस विवाद का जल्द समाधान निकालना चाह रही है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कह चुके हैं कि ट्रक ऑपरेटरों के हित्तों की अनदेखी नहीं होनी दी जाएगी और इस विवाद का जल्द समाधान सरकार निकालेगी.
ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बोले: ट्रक ऑपरेटरों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी सरकार