शिमलाः सूबे में कोरोना के कारण पिछले एक साल से टैक्सी ऑपरेटरों के व्यवसाय पर गहरा असर पड़ा है. टैक्सी ऑपरेटरों को अपने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है. हालांकि बंदिशें खत्म होने के बाद धीरे-धीरे सभी व्यवसाय पटरी पर लौट रहे थे, लेकिन हिमाचल सरकार ने 16 अप्रैल के बाद 7 बड़े राज्यों के सैलानियों के लिये RTPCR रिपोर्ट के साथ हिमाचल में एंट्री के आदेश दिये हैं. जिससे टैक्सी कारोबारियों के चेहरे मुरझा गये हैं.
सैलानीयों की आमद घटी
बता दें कि अप्रैल से जून माह तक बड़े स्तर पर सैलानी हिमाचल पहुंचते थे. ऐसे में अब प्री-बुकिंग भी पर्यटक कैंसल करवा रहे हैं. पर्यटक कोविड रिपोर्ट के झंझट में नहीं पड़ना चाहते, वहीं यदि बात करें राजधानी शिमला के टैक्सी चालकों की तो उनका कारोबार अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है. नौबत ये है की घर का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है.
टैक्सी यूनियन की बढ़ी परेशानी
जय मां तारा टैक्सी ऑपरेटर यूनियन आईएसबीटी के पदाधिकारियों का कहना है की पिछले एक साल से उनका काम बिलकुल ठप्प है,सवारियां नहीं मिल रही हैं. गाड़ियों की किस्तें चुकाना मुश्किल हो गयी है. परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया है. वहीं सरकार टैक्स में राहत प्रदान करने की जगह टैक्स पर टैक्स लगाये जा रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय परमिट टैक्स एकाएक बढ़ाया है यह सरकार का गलत फैसला है. हम इसका विरोध करते हैं.
टैक्सी कारोबारियों की अनदेखी कर रही सरकार
टैक्सी कारोबारियों का कहना है कहा कि सरकार उनकी अनदेखी कर रही है और अब टैक्सी ऑपरेटरों को आत्महत्या तक की नौबत आ गयी है, क्योंकि किस्तें चुकाना मुश्किल हो गया है और वो ऋण के बोझ से दबे हुए हैं. यूनियन के पदाधिकारियों ने मांग की है की सरकार जल्द से जल्द उनकी ओर ध्यान दें और टैक्स में छूट देकर राहत प्रदान करें.
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