शिमला: समय पर सड़क निर्माण के प्रोजेक्ट को पूरा न करना सरकारी ठेकेदार को महंगा पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए ठेकेदार के लंबित बिलों का भुगतान रोकने के आदेश पारित किए. साथ ही ठेकेदार को देय राशि जारी करने पर भी रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने ठेकेदार को अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को तय की गई है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने ठेकेदार के रवैये पर सख्त नाराजगी जताई है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने ठेकेदार के पक्ष में पूर्व में जारी अंतरिम आदेश भी निरस्त कर दिए हैं. इसके अलावा लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को भी सवालों के कठघरे में खड़ा किया गया है.
दरअसल, अदालत ने पूछा कि जब ठेकेदार ने पहले से आवंटित काम पूरे नहीं किए तो नए कार्य किस आधार पर दिए गए? प्रधान सचिव से ठेकेदार को आवंटित किए गए 66 कार्यों की डिटेल भी तलब की है. सरकारी ठेकेदार को मंडी जिला में कुछ सड़क निर्माण प्रोजेक्ट आवंटित हुए थे. इस संदर्भ में मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष ये तथ्य सामने आया कि ठेकेदार को मंडी जिला में दोसा-रा-थारू-पुतलीफाल्ड, लोअर ब्रह्मफाल्ड, झारेड गलू, चनौता सड़क के निर्माण का काम मिला था. अदालत ने पाया कि अभी तक ठेकेदार ने अधिकांश कार्य शुरू नहीं किए हैं. यदि कुछ कार्य शुरू भी हुए हैं तो उन्हें पूरा नहीं किया है. इस बीच, जिला मंडी लोक निर्माण विभाग के धर्मपुर मंडल के कार्यकारी अभियंता ने उपरोक्त सभी कार्यों के लिए फिर से टेंडर आमंत्रित कर लिए.
लोक निर्माण विभाग की तरफ से नए सिरे से इन निविदाओं को आमंत्रित करने के फैसले को याचिकाकर्ता सरकारी ठेकेदार ने अदालत के समक्ष चुनौती दी. याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि नए सिरे से आमंत्रित की गई इन निविदाओं को खारिज किया जाए. इस पर अदालत ने 24 सितंबर 2021 को नई निविदाएं आमंत्रित करने वाले आदेशों पर रोक लगा दी थी. अब मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी विभाग की तरफ से अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता सरकारी ठेकेदार को विभाग ने सड़क निर्माण से जुड़े 66 कार्य ठेके पर दिए हैं. इनमें से अधिकांश कार्य शुरू नहीं हुए हैं और यदि शुरू हुए हैं तो वे पूरे नहीं हुए हैं.
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को आदेश जारी किए हैं कि वो निर्माण कार्य लटकने के लिए दोषी अफसरों के खिलाफ एक्शन लें. साथ ही उन अफसरों पर कार्रवाई करें, जिन्होंने ठेकेदार को पुराने कार्य पूरे न होने पर भी नए कार्य सौंप दिए. अदालत ने प्रधान सचिव से पूछा है कि कार्य पूरा न करने की स्थिति में ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? हाईकोर्ट ने अपने आदेशों की प्रति मुख्य सचिव, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग को भेजने के आदेश दिए हैं. अदालत ने इसके अलावा लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव से ठेकेदार को दिए गए 66 निर्माण कार्यों की जानकारी भी तलब की है. मामले पर सुनवाई अब 13 जुलाई को होगी.
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