शिमला: किसान और बागवान इस समय खुद को काफी मुश्किल में महसूस कर रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानून को लेकर किसान समस्या में पड़ गए हैं और किसानों के कानून के फायदे और नुकसान का पता नहीं चल पा रहा है. कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए ही शिमला में एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई.
सेब को न्यूनतम समर्थन मूल्य में लाने की मांग
प्रदेश फल सब्जी एवं फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि विदेशों से हमारे देश में जो सेब आ रहा है. इसका बागवानों को काफी नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया कि प्रदेश का सेब सीए स्टोर में होता है. इसको लेकर केंद्र सरकार से हमने बात करनी है. उन्होंने कहा कि हमे सबसे ज्यादा नुकसान ईरान के सेब से हो रहा है जो साफ्ता के तहत अफगानिस्तान में उतारा जाता है. हरीश चौहान ने कहा कि अफगानिस्तान में जो साउथ एशियन फ्रीट्रेड एग्रीमेंट है, उसके तहत जो इम्पोर्ट ड्यूटी बचाई जाती है, उसका नुकसान भारत सरकार को भी होता है. इससे रेवन्यू का भी नुकसान होता है और बागवानों का भी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सेब को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य में लाया जाए. प्रदेश में बहुत सी सब्जियां, फूल आदि को एमएसपी के दायरे में लाया जाए.
सरकार बागवानों से करे बात
हरीश चौहान ने कहा कि सेब को विशेष उत्पाद घोषित किया जाए और इसमें 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार को कानून के फायदे और नुकसान के बारे में किसानों से बात करनी चाहिए ताकि किसानों की समस्या दूर हो सके. उन्होंने कहा कि हमारा सरकार से कोई टकराव नहीं है, जहां पर सरकार का सहयोग होगा, वहां पर हम सरकार का सहयोग करेंगे, लेकिन अगर हमें अपनी रोजी रोटी के लिये खतरा लगेगा तो हम कहीं भी संघर्ष करने को तैयार हैं.
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